फर्जी नक्सली सरेंडर मामले में सरकार ने मांगा समय, 5 मार्च को सुनवाई
Jharkhand. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत से समय की मांग की। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व रत्नाकर भेंगरा की अदालत में आदिवासी युवकों को नक्सली बनाकर फर्जी सरेंडर कराने के मामले में सुनवाई हुई। इस मामले में सरकार की ओर से समय दिए जाने की मांग की गई, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए पांच मार्च की तिथि निर्धारित की है।
इस संबंध में काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मस ने सीबीआइ जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में गृह विभाग की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन अदालत में पक्ष रखते थे, लेकिन उन्हें राज्य का महाधिवक्ता बनाया गया है। उनकी ओर से अदालत से समय देने का आग्रह किया गया। इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
बता दें कि राज्य के 514 आदिवासी युवकों को दिग्दर्शन कोचिंग संस्थान और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से नक्सली बताकर सरेंडर कराने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए युवकों को सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था। सरेंडर कराने के पूर्व में उन्हें पुरानी जेल में रखा गया था।
मामला सामने आने के बाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई, जिस पर अदालत सुनवाई कर रहा है। पूर्व में अदालत ने इस मामले में राज्य के गृह सचिव को तलब करते हुए कैमरे पर सुनवाई करने का आदेश दिया था, लेकिन यह मामला दूसरी बेंच में चला गया। अब इस मामले को दोबारा जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ में सुनवाई के लिए भेजा गया है।
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