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नक्सलियों ने तबाह कर दी उनकी जिंदगी, अब सरकार ने लगाया नौकरियों का मरहम

Naxalites. झारखंड में दो वर्ष में नक्सल हिंसा में मृत के 300 से ज्यादा आश्रितों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 02:42 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 02:42 PM (IST)
नक्सलियों ने तबाह कर दी उनकी जिंदगी, अब सरकार ने लगाया नौकरियों का मरहम
नक्सलियों ने तबाह कर दी उनकी जिंदगी, अब सरकार ने लगाया नौकरियों का मरहम

रांची, दिलीप कुमार। नक्सलियों ने दर्द दिया, अब सरकार मरहम लगा रही है। नक्सलियों ने जिस आम जनता की हत्या की, उनके आश्रित को नौकरी, अनुग्रह अनुदान देकर सरकार ने पिछले करीब दस वर्षों का रिकार्ड तोड़ा है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो पिछले दस वर्ष में जितनी नौकरी नहीं दी गई थी, उससे कहीं अधिक नौकरियां सिर्फ विगत दो वर्षों में दी गईं।

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इस दरम्यान 300 से अधिक आश्रित को नौकरी व अनुग्रह अनुदान दिया गया। इतना ही नहीं, राज्य के मूल निवासी वैसे शख्स जो बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी के पदाधिकारी-कर्मी थे और शहीद हुए थे, उनके आश्रित को भी सरकार अनुकंपा पर नौकरी देती है। उदाहरण के लिए रांची के बूटी मोड़ के समीप रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प शुक्ला हैं, जिनकी शहादत पर उनकी पत्नी को सरकार ने महिला प्रशिक्षण महाविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी दी।

अनुग्रह अनुदान के रूप में राज्य सरकार एक लाख व केंद्र सरकार तीन लाख रुपये देती है। सर्वाधिक नौकरियां सिमडेगा के जवानों को मिली हैं। जो करीब 29 कांड से संबद्ध हैं। इतना ही नहीं, मृतक का आश्रित अगर नाबालिग होता है तो उसके बालिग होने तक का भी इंतजार किया जाता है। अंगूठा छाप को भी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद पर नौकरी दी जाती है।

2006 में शुरू हुई थी आश्रित को नौकरी देने की व्यवस्था : उग्रवादियों के हमले में मृत आम नागरिक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था 2006 में शुरू हुई थी। इससे संबंधित अधिसूचना 16 फरवरी 2006 को जारी हुई थी। इस कानून में 2008 व 2011 में संशोधन भी हुआ था। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पिछले 10 साल में जितनी नियुक्तियां नहीं हुईं, उतनी नियुक्तियां वित्तीय वर्ष 2017-18 व 2018-19 में हुईं।

मृतक के आश्रित की पहचान से लेकर उसका सत्यापन व उसके लिए नौकरी की अनुशंसा जिला अनुकंपा समिति को करनी होती है। इस समिति के अध्यक्ष संबंधित जिले के उपायुक्त होते हैं। शैक्षणिक योग्यता व उम्र सीमा की बाध्यता को बहुत हद तक समाप्त करने की कोशिश होती है, ताकि मृतक के आश्रित को इस योजना का लाभ मिल सके।

किस वर्ष कितनी नौकरी : - नक्सल ङ्क्षहसा में मारे गए 212 आम नागरिक के आश्रित को वित्तीय वर्ष 2017-18 में सरकारी नौकरी मिली। वहीं, 188 को अनुग्रह अनुदान का लाभ मिला। - वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 में अब तक सरकार नक्सल ङ्क्षहसा के 83 आश्रित को नौकरी दे चुकी है। वहीं, इस वर्ष अब तक 100 को अनुग्रह अनुदान का लाभ मिला है। करीब 50 मृतकों के आश्रितों की फाइल मुख्यमंत्री की स्वीकृति के लिए भेजी गई है।


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