Ranchi: FSL नियुक्ति को लेकर हफ्ते भर में अपने बयान से पलटी सरकार, HC ने फटकारते हुए कहा- गुमराह किया जा रहा
एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) में नियुक्ति को लेकर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के बयान पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई। साथ ही 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगा दिया। अदालत ने कहा कि सरकार कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन एवं जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) में नियुक्ति को लेकर सुनवाई हुई। अदालत ने इस दौरान राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर कड़ी नाराजगी जताते हुए 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया। हालांकि, सरकार के बार-बार आग्रह करने पर अदालत ने संबंधित आदेश को वापस ले लिया। अदालत की नाराजगी इस बात पर थी कि गत दो दिसंबर को सरकार की ओर से एफएसएल में चतुर्थ वर्ग पद पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी को अधियाचना भेज दिए जाने की बात कही गई थी, जबकि एक सप्ताह के अंदर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से कहा गया कि जेएसएससी तृतीय वर्ग के पद पर नियुक्ति कर सकती है। ऐसे में अब चतुर्थ वर्ग के पद विभागीय स्तर पर भरे जाएंगे।
अदालत ने इसपर नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है। ऐसा करना कोर्ट के समय की बर्बादी है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से स्पष्ट जानकारी मांगी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 दिसंबर को होगी। जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने इससे पहले एफएसएल में राज्य सरकार की ओर से नियुक्ति के लिए कोई अधियाचना नहीं भेजे जाने की जानकारी कोर्ट को दी।
बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में यह बात सामने आई थी कि एफएसएल में वैज्ञानिकों की कमी की वजह से जांच रिपोर्ट नहीं दी जा सकती है। इसके बाद अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। साथ ही तीन महीने में वैज्ञानिकों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया था। इसके बाद जेएसएससी ने सहायक वैज्ञानिकों की नियुक्ति तो कर दी। लेकिन, चतुर्थ वर्ग के पदों पर आउटसोर्स से नियुक्ति की बात कही गई। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति की जानी चाहिए, क्योंकि संवेदनशील मामलों की रिपोर्ट लीक होने की संभावना है।