सरकारी मदद और जागरूकता से बढ़ेगी राची में गुलाब की खेती
राची और आसपास में गुलाब की अच्छी खेती हो सकती है।
जागरण संवाददाता, राची : राची और आसपास में गुलाब की अच्छी खेती हो सकती है। इसके बाद भी काफी कम किसान इलाके में गुलाब की खेती कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि खेती में लागत काफी ज्यादा है। औसत आधे एकड़ जमीन में गुलाब की खेती करने के लिए 15-20 लाख तक की पूंजी लगानी पड़ती है। इसके साथ ही खेती के लिए मिलने वाली सब्सिडी में भी काफी वक्त लग जाता है। ज्यादातर किसान तीन महीने में फसल तैयार कर बेचकर पैसे निकाल लेना चाहते हैं। मगर गुलाब लंबी अवधि की फसल है। हालाकि आधे एकड़ में गुलाब की खेती से औसत एक साल में पाच से छह लाख तक के उत्पाद की बिक्री की जा सकती है। सरकार के साथ जनप्रतिनिधियों को भी इस नगदी फसल के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
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राज्य से गुलाब के निर्यात को बढ़ाने की जरूरत : सांसद
राची के सासद संजय सेठ बताते हैं कि राज्य में गुलाब की अच्छी खेती होती है। लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से किसानों को निश्चित रूप से नुकसान हुआ है। गुलाब की सबसे ज्यादा बिक्री शादी के सीजन में होती है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसपर भी मार पड़ी है। केंद्र सरकार किसानों की मदद के लिए लगातार नए स्तर से काम कर रही है। सोमवार को ही 18 खरीफ फसलों के समर्थन मूल्यों में वृद्धि की गई है। राज्य में किसानों को फूल की खेती के लिए बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा सब्सिडी का प्रावधान है। इससे किसान को गुलाब की खेती शुरू करने में मदद मिल सकती है।
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कृषि के विकास के लिए समíपत होकर काम कर रही सरकार
तमाड़ से विधायक विकास मुंडा ने कहा कि राची और आसपास के इलाके में निश्चित रुप से मिट्टी और जलवायु गुलाब की खेती के लिए बहुत बेहतर है। हमारी सरकार भी कृषि और कृषकों के विकास के लिए लगातार कोशिश कर रही है। फूलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार के द्वारा कुछ प्रोजेक्ट पर विचार किया जा रहा है। अभी कुछ दिनों पहले ही कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बताया था कि लॉकडाउन के बाद राची से फूलों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रेलवे के साथ बात की जाएगी। इसके अलावा हम समíपत होकर हर इलाके में कोल्ड स्टोरेज को निर्माण को जोर दे रहे हैं।
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घर में पैसे की कमी थी इसलिए मजदूरी करने के लिए आंध्र प्रदेश जाना पड़ा। अपने जिले में काम नहीं मिलता है। कहीं मिलता है तो लोग सही पैसे भी देते हैं। अगर घर में काम मिले तो बाहर क्यों जायेंगे।
-अजित उराव, मजदूर
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गाव के कुछ लोग पहले से बाहर जाकर कमा रहे थे। इसलिए काम की तलाश में हम भी बाहर निकल गए। वर्द्धमान में गाव के कुछ लोग पहले से काम कर रहे थे। उन्हीं के साथ गया था। लॉकडाउन में बड़ी मुश्किल से वापस आए हैं। अब जो करेंगे अपने गाव में ही करेंगे।
-नवीन एक्का, प्रवासी मजदूर।
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बाहर जाकर जो पैसे कमाए थे वापस घर आने सब खत्म हो गये। अब लुटा हुआ जैसा लग रहा है। अब जो भी होगा अपने जिला से बाहर काम करने नहीं जाएंगे। सरकार कुछ मदद करे तो अच्छा होगा।
-बन्ने उराव, प्रवासी मजदूर।
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अपने यहा काम की कमी है। काम मिलता भी है तो ठेकेदार की मदद से जो आधे पैसे ले लेता है। अब मेहनत करने के बाद भूखे रहा नहीं जाता इसलिए मजबूरी में बंगाल कमाने गया था।
-थुथन उराव, प्रवासी मजदूर।
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कन्याकुमारी गया था काम करने। पहले से गाव के कुछ लोग वहा काम कर रहे थे। लॉकडाउन में काम नहीं मिलने से बहुत दिक्कत हो गयी थी। मजबूरी वापस आना पड़ा।
-दिनेश लोहरा, प्रवासी मजदूर।