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झारखंड के सरकारी कर्मियों को तोहफा, नेशनल पेंशन स्कीम में अंशदान 14% किया गया; पढ़ें कैबिनेट के फैसले

National Pension Scheme Jharkhand Cabinet Decision मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्‍यक्षता में आज मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में 8 प्रस्तावों को स्वीकृति मिली। पाकुड़ क्षेत्र के वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 29 Jun 2021 06:27 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jun 2021 08:03 PM (IST)
झारखंड के सरकारी कर्मियों को तोहफा, नेशनल पेंशन स्कीम में अंशदान 14% किया गया; पढ़ें कैबिनेट के फैसले
National Pension Scheme, Jharkhand Cabinet Decision राज्य कैबिनेट की बैठक में 8 प्रस्तावों को स्वीकृति मिली।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड में नेशनल पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों का अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14% किया गया है। इसके अलावा अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए अब हिंदी टाइपिंग का ज्ञान अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन हिंदी टाइपिंग सीख लेने और इसकी निर्धारित स्पीड प्राप्त करने के बाद ही नौकरी की संपुष्टि होगी। आज मंगलवार को झारखंड कैबिनेट की बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्‍यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में 8 प्रस्तावों को स्वीकृति मिली। पाकुड़ क्षेत्र के वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। सिंह ने सरकारी नौकरी में रहते हुए दिशा निर्देशों की अवहेलना की थी। मसना और इस तरह के अन्य धार्मिक स्थलों की घेराबंदी एवं सौंदर्यीकरण के लिए 5 करोड़ तक की राशि दी जाएगी।

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एनपीसी के तहत बढ़ा अंशदान

कैबिनेट के फैसले में नेशनल पेंशन स्कीम के तहत कार्यरत राज्य कर्मियों के लिए अंशदान की राशि को बढ़ाकर वेतन और महंगाई भत्ते के योग के 14 फीसद के बराबर करने का निर्णय लिया है। इसमें 14 प्रतिशत राज्य सरकार का भी अंशदान होगा। पूर्व में अंशदान 10 फीसद तक ही सीमित था। चार फीसद अंशदान बढ़ाने से सरकार के ऊपर 342 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। राज्य कर्मियों को राहत देनेवाला यह फैसला जुलाई, 2021 से प्रभावी होगा। राज्य कर्मियों के लिए एक और राहत की खबर मृत्यु के उपरांत अनुकंपा के आधार पर उनके आश्रितों को नौकरी से संबंधित मामले में मिली है। सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों को नौकरी पर रखने के पूर्व हिंदी टाइपिंग अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब आश्रितों को नौकरी दे दी जाएगी और उन्हें बाद में हिंदी टाइपिंग की अनिवार्य टाइपिंग स्पीड प्राप्त करनी होगी। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सेवा संपुष्टि व प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल सकेगा।

सरना, हड़गड़ी, मसना में पांच करोड़ तक खर्च कर तैयार होंगी आधारभूत संरचनाएं

राज्य कैबिनेट ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए इस समुदाय के पवित्र स्थलों को संरक्षित करने के साथ-साथ विकसित करने के लिए पांच करोड़ रुपये तक खर्च करने की अनुमति प्रदान कर दी है। योजना के नाम में अब घेराबंदी शब्द की जगह संरक्षण एवं विकास जोड़ दिया गया है। इस प्रकार सरना, जाहेरस्थान, हड़गड़ी व मसना के संरक्षण के लिए विभाग 25 लाख रुपये से लेकर पांच करोड़ रुपये तक खर्च किया जा सकेगा। 25 लाख रुपये तक की राशि लाभुक समिति के माध्यम से खर्च की जाएगी, जबकि इसके ऊपर की राशि के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सरकार की योजना है कि इन स्थलों पर लोगों के बैठने के लिए चबूतरे का निर्माण, पानी, बिजली, पार्किंग आदि आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा।

पाकुड़ के वनक्षेत्र पदाधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति

पाकुड़ प्रक्षेत्र के वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रस्ताव को कैबिनेट की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। पाकुड़ वन प्रमंडल द्वारा सरकारी सेवा में रहते हुए सरकार के द्वारा चलाए जा रहे कार्यों, नीतियों के विरुद्ध वाद दायर करने तथा विभागीय दायित्वों के निर्वहन में बरती गई अनियमितता/अनुशासनहीनता के आलोक में झारखंड सेवा संहिता के नियम के तहत अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने की स्वीकृति दी गई। ज्ञात हो कि अनिल कुमार सिंह सरकार की नीतियों के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआइएल दायर कर चुके हैं।

अन्य महत्वपूर्ण फैसले

-केंद्र प्रायोजित नई योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (केंद्रांश 60 फीसद एवं राज्यांश 40 फीसद) के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में 85 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से योजना कार्यान्वयन की घटनोत्तर स्वीकृति दी गई।

-वाणिज्य-कर न्यायाधिकरण के अध्यक्ष पद पर मनोज कुमार नियुक्ति से संबंधित निर्गत अधिसूचना पर घटनोत्तर स्वीकृति दी गई।

-झारखंड राज्य अंतर्गत न्यायालयों/न्यायाधिकरणों हेतु ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग (ई-फाइलिंग) नियमावली के गठन को लेकर राज्यपाल का अनुमोदन प्राप्त करने की स्वीकृति दी गई।

-कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) अंतर्गत स्वीकृत झारखंड राज्य फसल राहत योजना के लिए कॉर्पस फंड के गठन की स्वीकृति दी गई।


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