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Make Small Strong : जहां चाह, वहां राह के सिद्धांत पर चलकर पूरा किया सपना

Google Make Small Strong लगभग डेढ़ महीने बाद ही लाकडाउन ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। ज्योत्सना बताती है कि कोरोना संक्रमण काल ने उन्हें बड़ी चुनौतियों के साथ ऐसी सीख दी है जिससे अब अपने व्यापार में कभी भी पीछे नहीं हो सकती है। कोरोना उनके व्यापार...

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 12:30 AM (IST)
Make Small Strong : जहां चाह, वहां राह के सिद्धांत पर चलकर पूरा किया सपना
जहां चाह, वहां राह के सिद्धांत पर चलकर पूरा किया सपना। जागरण

रांची (जासं)। कोरोना संक्रमण ने एक तरफ जहां आमजन जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। वहीं व्यापारियों के समक्ष कई गंभीर समस्याओं खड़ा कर दिया। ऐसे में कई व्यापारियों ने बाजार में मिलने वाले चुनौतियों का डटकर सामना किया। हरमू की महिला उद्यमी ज्योतसना फरवरी के महीने में बड़े ब्रांड जावेद हबीब की फेंचाइजी खरीदी। मगर लगभग डेढ़ महीने बाद ही लाकडाउन ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। ज्योत्सना बताती है कि कोरोना संक्रमण काल ने उन्हें बड़ी चुनौतियों के साथ ऐसी सीख दी है जिससे अब अपने व्यापार में कभी भी पीछे नहीं हो सकती है। कोरोना उनके व्यापार के अनुभव के लिए एक सबक बना।

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उन्हें अनलाक में अपने व्यापार को नए रूप में विकसीत करने का नजरिया विकसीत किया। साथ ही वित्तिय प्रबंधन में को बेहतर ढंग से मैनेज करने पर अपने ध्यान को केंद्रीत किया। ज्योत्सना बताती है कि उन्होंने तय कर लिया था कि वो किसी भी कीमत पर हार नहीं मानेंगी। इसी जिद और आठ वर्ष के कार्य अनुभन ने उन्हें व्यापार को अनलाक में स्थापित करने में मदद किया।

संतुष्ट ग्राहकों को बनाया पूंजी

ज्योत्सना बताती है कि उनके लिए ग्राहकों की संतुष्टि सबसे महत्वपूर्ण है। हर ग्राहक की समस्या अलग-अलग होती है। ऐसे में उनकी बातें को समझकर उन्हें रिजल्ट देना जरूरी है। जब लाकडाउन के बाद सैलून खुला तो दुकान का किराया और बैंक के लोन के साथ कई अन्य खर्चे सामने खड़े थे। ऐसे में मैंने अपने पुराने ग्राहकों के बेस का इस्तेमाल किया। मैंने जावेद हबीब नया खोला था। मगर इससे पहले 2012 से इस बिजनेस में होने के कारण संतुष्ट ग्राहकों की बड़ी लिस्ट थी। फिर बाद में जैसे-जैसे ग्राहक आने लगे मैंने सभी बकाए भी देना शुरू कर दिया। हालांकि अभी भी बड़ी रकम देनी बाकी है। मगर सुकून है कि व्यापार पहले से बेहतर तरीके से चल रहा है।

संक्रमण से सुरक्षा ने जगाया ग्राहकों में विश्वास

कोरोना के बाद सैलून बिजनेस एकदम स्थिल पड़ गया। लोगों में डर था कि वो सैलून जाने से कहीं संक्रमित न हो जाए। ज्योत्सना ने विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल करके लोगों तक ये संदेश दिया कि जावेद हबीब में कोरोना संक्रमण से बचने के सारे गाइडलाइन का पालन किया जाता है। सैलून में आने वाले ग्राहकों के शरीर का तापमान लेने के साथ ही एक ग्राहक के लिए इस्तेमाल किए टूल को दूसरे ग्राहकों पर इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके साथ ही ज्यादातर डिस्पोजेबल आइटम का इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने टूल को स्ट्रेलाइज करने के लिए अपने सैलून में एक मशीन भी खरीदा। ज्योत्सना बताती है कि सैलून के काम में लोगों के सीधे संपर्क में आना पड़ता है। ऐसे में कर्मचारियों और अन्य ग्राहकों की सुरक्षा को हमने पूरी तरह से सुनिश्चित किया। लोगों को विभिन्न माध्यमों से जब इसकी जानकारी हुई तो हरमू के अलावा दूर-दूर से ग्राहक सर्विस के लिए आने लगे। उन्होंने बताया कि संक्रमण के बाद उनके पास आने वाले में ज्यादातर ग्राहक पुराने थे, जो उनके पहले के सैलून से उन्हें जानते थे।

क्वालिटी और सर्विस से मंदी नहीं किया समझौताःज्योत्सना बताती है कि उन्होंने कोरोना की मंदी के दौरान भी अपने क्वालिटी और सर्विस से समझौता नहीं किया। ग्राहकों के बजट के मुताबिक ब्रांडेड प्रोडक्ट की सर्विस दी। इसके साथ ही अपने ग्राहकों के पाकेट का भी ध्यान रखा। इसके लिए उन्होंने कई मंहगें ट्रीटमेंट के दामों में कटौती किया। ज्योत्सना बताती है कि बाजार में अब कई बड़े ब्रांड है। मगर हम रिजल्ट के बारे में सोचते हैं। अगर हम किसी ग्राहक को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो दुबारा उसके आने की संभावना नहीं के बराबर है। वहीं एक बार कोई ग्राहक अगर संतुष्ट होकर जाता है तो वो बाजार में एक बड़ा व्यापार का जनक होता है।

मेहनत से जमीन से उठाया है व्यापार

ज्योत्सना ने फूड प्रोसेसिंग में बिरसा कृषि विवि से एमटेक किया है। इसके बाद उन्होंने कुछ वक्त इस इंडस्ट्री में काम किया है। मगर बाद में परिवारिक कारणों से उन्होंने नौकरी छोड़ दी। बाद में वर्ष 2012 में उन्होंने एक छोटे पार्लर से अपने व्यवसाय की शुरूआत की। इसके कुछ वर्ष बाद रांची में अपने तरह का पहला मेकअप स्टूडियो स्थापित किया। उन्होंने आठ वर्ष के व्यापार में कई उतार चढ़ाव देखे मगर कभी भी अपने पैर डगमगाने नहीं दिया। ज्योत्सना ने अपने परिवार से साथ व्यापार को भी बड़े बेहतर ढंग से सवारा है।


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