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RIMS Ranchi: अच्छी खबर: अब रिम्स में होगा मुंह के कैंसर का इलाज, खुलेगा ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर ओपीडी

Ranchi RIMS झारखंड की राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में भी समय रहते मुंह के कैंसर की पहचान व इलाज हो सकेगी। इस माह के अंत तक रिम्स के डेंटल कॉलेज में ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर खुल जायेगा।

By Sanjay KumarEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 10:34 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 10:35 AM (IST)
RIMS Ranchi: अच्छी खबर: अब रिम्स में होगा मुंह के कैंसर का इलाज, खुलेगा ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर ओपीडी
Ranchi RIMS: रिम्स में खुलेगा ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर ओपीडी

रांची, जासं। Ranchi RIMS झारखंड की राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में अब मरीज मुंह के कैंसर की जांच ओपीडी में करवा सकेंगे। इस माह के अंत तक डेंटल कॉलेज में ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर खुल जायेगा। अभी तक सिर्फ समान्य कैंसर के इलाज के लिए ओपीडी की व्यवस्था थी। झारखंड में सबसे अधिक मामला मुंह के कैंसर का आता है, जिसे देखते हुए यह ऐसे मरीजो के लिए लाभ होगा। समय रहते मुंह के कैंसर की पहचान व इलाज हो सकेगी। माउथ व ओरल कैंसर पुरूषों में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। मुंह का कैंसर मुंह में कहीं भी हो सकता है। ज्यादातर इसका निदान गाल और मसूड़े में किया जाता है। देखा जाए, तो यह एक प्रकार का सिर और गर्दन का कैंसर है।

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मुंह के कैंसर का इलाज हो सकता है: डाक्टर

डेंटल कॉलेज के डा प्रजापति बताते हैं कि मुंह के कैंसर का इलाज हो सकता है, अगर समय से पता चल जाए तो। इसकी रोकथाम की जा सकती है, अगर हम इसका ध्यान रखें। बताते हैं कि भारत में 70 प्रतिशत लोग एडवांस स्टेज में डाक्टर के पास पहुंचते हैं। ऐसे में इलाज कठिन होता है और ठीक होने की संभावना भी कम होती है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करें और शुरुआती स्टेज में डाक्टर के पास जाएं।

शुरुआती अवस्था में दिखाई नहीं देते लक्षण

डाक्टर के अनुसार, शुरुआती अवस्था में ओरल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते। धूम्रपान करने वाले और अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने वालों को नियमित रूप से डेंटिस्ट से जांच करानी चाहिए। क्योंकि तंबाकू और शराब मुंह के कैंसर के जोखिम कारक हैं। डेंटिस्ट शुरुआती अवस्थ में लक्षण का पता लगा सकता है।

ओरल कैंसर के कारण...

मुंह का कैंसर तब होता है, जब शरीर में अनुवांशिक परिवर्तन के कारण कोशिकाएं बिना नियंत्रण के बढ़ती हैं। जैसे-जैसे ये कोशिकाएं बढ़ती हैं, तो ये एक ट्यूमर बनाती हैं। समय के साथ ये कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाती हैं। मुंह के कैंसर का लगभग 90 प्रतिशत स्त्रोत स्कवैमस सेल कार्सिनोमा है।


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