रांची, राज्य ब्यूरो। Good News for Jharkhand Government College Teachers झारखंड के विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों और कर्मियों के लिए अच्छी खबर है। विश्वविद्यालयों तथा कालेजाें को जहां 12 वर्ष बाद प्रोन्नति का रास्ता साफ होगा, बल्कि कार्यरत व सेवानिवृत्त शिक्षकेतर कर्मियों को शीघ्र ही सातवां वेतनमान का लाभ भी मिलेगा। दोनों से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। एक दिसंबर को होनेवाली कैबिनेट की बैठक में दोनों प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है। विश्वविद्यालयों व कालेजों के शिक्षकों की प्रोन्नति का रास्ता यूजीसी रेगुलेशन-2010 को लागू करने से होगा। इसे लागू करने काे लेकर तैयार परिनियम का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया है।
इसी तरह, वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने सातवें वेतनमान का प्रस्ताव कैबिनेट को भेज दिया है। सातवें वेतनमान का लाभ एक जनवरी 2016 से मिलेगा, जबकि वास्तविक लाभ अधिसूचना जारी होने की तिथि से मिलेगा।
किन कर्मियों को मिलेगा सातवें वेतन का लाभ
सातवें वेतनमान का लाभ रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अलावा बाद में खुले सभी कर्मियों को मिलेगा। ऐसे कर्मियों की संख्या लगभग सात हजार है। साथ ही 1200 रिटायर कर्मियों को भी इसका लाभ मिलेगा।
जानकारी के अनुसार, कर्मचारियों के सातवें वेतनमान में 2016 से अब तक की बकाया राशि भुगतान में किसी प्रकार के भत्ते (एचआरए आदि) को शामिल नहीं किया जाएगा, जबकि सातवां वेतनमान राज्य कर्मियों की तरह हर कर्मचारी के बेसिक व डीए के 2.57 गुना के आधार पर तय किया जाएगा। इससे छठे वेतनमान के आधार पर हर कर्मी को लगभग 20 से 25 प्रतिशत राशि की बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।
परिनियम नहीं बनने से नहीं मिल रही थी प्राेन्नति
झारखंड में 22 सितंबर 1995 तक कालबद्ध प्रोन्नति योजना लागू थी, जिसका कट आफ डेट 23 सितंबर 1995 तक था। इसके बाद 1995 से 27 जुलाई 1998 तक एक भी प्रोन्नति परिनियम नहीं गठित नहीं हुआ जिससे 1981-82 में नियुक्त हुए शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल सकी। इनमें कई सेवानिवृत्त भी हो गए। बाद में राज्य सरकार ने 27 जुलाई 1998 के प्रभाव से जुलाई 2008 में करियर एडवांसमेंट स्कीम लागू किया लेकिन 31 दिसंबर 2008 को उसे खत्म भी कर दिया। इसके बाद नया परिनियम गठित नहीं होने से शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल पा रही थी।