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जिसने भी देखा फट पड़ा कलेजा...खुले नाले में गिरकर 8 KM तक बहती रही बच्ची, 3 घंटे बाद मिली लाश

नन्हीं फलक के लिए रांची के हिंदपीढ़ी इलाके का खुला नाला जानलेवा साबित हुआ। आठ किलोमीटर तक धार में बहने के बाद हरमू नदी होते हुए स्वर्णरेखा नदी में जा गिरी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 09:53 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 06:34 PM (IST)
जिसने भी देखा फट पड़ा कलेजा...खुले नाले में गिरकर 8 KM तक बहती रही बच्ची, 3 घंटे बाद मिली लाश
जिसने भी देखा फट पड़ा कलेजा...खुले नाले में गिरकर 8 KM तक बहती रही बच्ची, 3 घंटे बाद मिली लाश

रांची, राज्य ब्यूरो। जहां-तहां सड़क किनारे खुले पड़े नाले कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं इसका भयावह मंजर बुधवार को रांची के हिंदपीढ़ी में देखने को मिला। नगर निगम की लापरवाही की कीमत यहां एक नन्हीं बच्ची को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ी। बताया जाता है कि हिंदपीढ़ी के नाला रोड में रहने वाली पांच साल की फलक अख्तर बुधवार को प्रतिदिन की तरह अपने सहेलियों के साथ पैदल ट्यूशन पढऩे जाने के लिए घर से निकली थी।

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रास्ते में बड़ा नाला पर कलवर्ट खुला था। यहां से गुजरते वक्त बच्ची का पैर फिसला तो वह सीधे गहरे नाले में गिर गई। नाले में पानी की धार इतनी तेज थी कि वह बच्ची को अपने साथ बहाकर आगे लेती चली गई। नाले में बहती हुए बच्ची होटल रेडिशन ब्लू के पास हरमू नदी में पहुंच गई और इसके बाद हरमू नदी की धारा में बहते-बहते चुटिया श्मशान घाट के पास नामकुम थाना क्षेत्र में स्वर्णरेखा नदी में पहुंच गई। इस बीच रोते-बिलखते परिजन और आसपास के लोग नाले के साथ-साथ हर छोर पर उसे ढूंढते रहे।

करीब साढ़े तीन घंटे की मशक्कत के बाद परिजन व रिश्तेदारों ने उसे शाम साढ़े चार बजे वह स्वर्णरेखा नदी में मृत हालत में मिली। तीन घंटे के भीतर पानी के साथ फलक आठ किलोमीटर दूर तक बह कर अपना आखिरी सफर तय कर चुकी थी। इस घटना ने सबके रोंगटे खड़े कर दिए। वहीं मातम के बीच हिंदपीढ़ी में कई घरों के चूल्हे नहीं जले।

मंत्री सीपी सिंह बोले, दोषियों पर करेंगे कार्रवाई
नाले में गिरकर हुई बच्ची की मौत का मामला गुरुवार को झारखंड विधानसभा में भी उठा। सदन के भीतर और बाहर कई सदस्यों ने इस मामले को उठाया। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने विधानसभा परिसर में गुरुवार को मीडिया से बातचीत में नाले में बहकर हुई बच्ची की मौत पर दुख जताया। स्वीकारा कि लापरवाही हुई है, बड़े नालों पर ढक्कन होने ही चाहिए। कहा, पूरे मामले की जांच होगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रांची नगर निगम प्रशासक से भी इस संदर्भ में बात हुई है। भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो, इसका निर्देश दिया गया है। विधानसभा की पहली पाली में कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने इस मामले पर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया।
एफआइआर हो अफसरों पर : हेमंत
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने सदन के भीतर और बाहर इस मामले को उठाया। मीडिया से बातचीत में कहा कि बच्ची की मौत के सवाल पर मंत्री ठहाका लगा रहे थे। उन्हें शर्म नहीं आती। यह पूछने पर कि फलक मामले पर मुकदमा होना चाहिए, कहा- भूख या इस तरह की मौत से जुड़े हर मामले पर एफआइआर होनी चाहिए।

झामुमो ने मांगा 10 लाख मुआवजा, सीबीआइ जांच की मांग
रांची नगर निगम व पथ निर्माण विभाग के द्वारा हुए सभी नाली नाला निर्माण कार्य की सीबीआइ से जांच कराने की मांग करते हुए झामुमो ने बच्‍ची की मौत मामले में 10 लाख रुपए मुआवजा की मांग की है। प्रवक्‍ता डॉ तनुज खत्री ने कहा कि सरकार को महरूम फलक के परिवार को 10 लाख मुआवजा देना चाहिए। हिंदपीढ़ी की बच्ची फलक के साथ कल जो कुछ हुआ उसने पूरे राज्य को शर्मसार किया है। एक ओर जहां रांची को स्मार्ट सिटी बनाने की बात पांच सालों से हो रही है करोड़ों खर्च कर के नाली व नाले का निर्माण कराया जा रहा है वहीं दूसरी ओर एक पांच साल की बच्ची नाले में बह जाती है और 8 किलोमीटर दूर उसका शरीर मिलता है। यह भयावह स्थिति है।

केजी वन में पढ़ती थी फलक, पिता हैं ऑटो चालक
फलक हिंदपीढ़ी के केबी एकेडमी की कक्षा केजी वन की छात्रा थी। उसके पिता सद्दाम ऑटो चालक हैं, जबकि मां पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहती हैं। बच्ची अपनी नानी के घर नाला रोड में रहती थी। 

मशक्कत के बाद भी नहीं बच सकी बच्ची की जान
फलक जैसे ही खुले नाले में गिरी, उसकी सहेलियों ने रोना-चिल्लाना शुरू किया। इसके बाद बड़ी संख्या में आसपास के लोग जुटे और बच्ची की खोज शुरू की। जेसीबी भी मंगवा ली गई। इस दौरान हिंदपीढ़ी पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस ने राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) को भी बुलाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लोग नाला की खाक छानते-छानते रेडिशन ब्लू के पास पहुंच गए, जहां नाला हरमू नदी में गिरता है।

वहां भी बच्ची का कुछ पता नहीं चला। हरमू नदी के तेज धार के साथ खोजते-खोजते परिजन जब स्वर्णरेखा नदी पहुंचे तो वहां बच्ची दिखी, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी। परिजन बच्ची को लेकर भागे-भागे पहले गुरुनानक अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद भी परिजन उसे लेकर रिम्स पहुंचे, वहां भी चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिर परिजन बच्ची को लेकर घर हिंदपीढ़ी आ गए।


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