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पेरवाघाघ जलप्रपात में बही गरिमा टोपनो का 21 घंटे बाद मिला शव, CM हेमंत सोरेन ने जताया शोक

खूंटी के पेरवाघाघ जलप्रपात में बही जमशेदपुर की गरिमा टोपनो का शव आज काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। 25 वर्षीय गरिमा रांची में एक एनजीओ के साथ काम करती थी। वह रविवार को अपने दोस्तों के साथ पेरवाघाघ घूमने आयी थी।

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 06:21 PM (IST)
पेरवाघाघ जलप्रपात में बही गरिमा टोपनो का 21 घंटे बाद मिला शव, CM हेमंत सोरेन ने जताया शोक
पेरवाघाघ जलप्रपात में बही गरिमा का मिला शव, CM ने जताया शोक। जागरण

रांची/खूंटी, जासं। खूंटी के पेरवाघाघ फॉल में रविवार को बह गई जमशेदपुर की रहनेवाली गरिमा तोपनो का शव 3 घंटे की खोजबीन के बाद बरामद कर लिया गया। सर्च ऑपरेशन सोमवार को सुबह 7 बजे शुरू हुआ। सुबह करीब 10 बजे उरु रेबेद नामक जगह से गरिमा का शव मिला। जहां से गरिमा पानी में बही थी, वहां से यह जगह आधा किमी दूर है। शव पत्थर की खोह में फंसा हुआ था। एनडीआरएफ की 18 सदस्यीय टीम और 20 पर्यटक मित्रों ने फॉल का चप्पा-चप्पा खंगाला। इस जंबो टीम के संयुक्त प्रयास से ही गरिमा का शव ढूंढा जा सका।

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पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। शव मिलने की सूचना पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुख जताया है। सीएम ने ट्वीट किया...दुःखद! परमात्मा बहन गरिमा की आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दुःख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि झरने, झील और नदी आदि के किनारे भ्रमण करने वाले सभी लोगों से मेरा आग्रह है कि सतर्क रहें तथा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें।

शव बाहर आते ही सभी की आंखें हुईं नम

पूरे सर्च ऑपरेशन के दौरान गरिमा के स्वजन, दोस्त पेरवाघाघ में ही मौजूद थे। बड़ी संख्या में आसपास के लोग भी जुटे थे। जैसे ही गरिमा का शव मिला और उसे बाहर लाया गया, स्वजन व दोस्त बिलखने लगे। गरिमा की मां और उसकी बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। दोस्त बार-बार कह रहे थे, हमलोगों ने क्या गलती कर दी कि दोस्त को खो दिया।

घटना के बाद तपकरा थाना पहुंचे थे स्वजन

रविवार को हुई घटना के बाद स्वजन पहले तपकरा थाना पहुंचे थे। तपकरा थाना में गरिमा की बहन व मां का रो-रोकर बुरा हाल था। गरिमा के पिता विल्सन जॉन तोपनो का पहले ही निधन हो चुका है। मां हेमंती इंदिरा तोपनो जमशेदपुर में ही शिक्षिका हैं। गरिमा अपने घर में सबसे बड़ी बहन थी। उससे छोटी प्रेरणा तोपनो, जुली तोपनो व एक भाई कैरल तोपनो है। कैरल कोलकाता में रहता है। गरिमा रांची में ही रह रही थी। वह एक संस्था में कार्यरत थी। प्रेरणा व जुली जमशेदपुर ही रहती है।

रविवार को आए थे पेरवाघाघ

गरिमा के साथ शैलेश कृष्ण, वर्षा पोद्दार, शैलेश पोद्दार, रिसित नियोगी, आंनद कोठारी व लावण्या तामांग रविवार को दिन के 11 बजे पेरवाघाघ घूमने आए थे। लगभग 1 बजे के आसपास पेरवाघाघ के पास लावण्या व गरिमा खूबसूरत छटा की सुंदरता को निहार रही थीं। इसी बीच गरिमा का पैर फिसल गया। साथ में लावण्या भी गिर गई। हालांकि लावण्या ने गरिमा को बचाने के लिए हाथ पकड़ा। लेकिन अचानक पानी का बहाव तेज हो गया। इससे गरिमा का हाथ छूट गया और वह बहती हुई चली गई। लावण्या का कहना था कि हमलोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

किसी को तैरना नहीं आता था। फिर देखते ही देखते गरिमा ओझल हो गई। फिर हमने स्थानीय पर्यटक मित्रों को इसकी सूचना दी। तपकरा थाने की पुलिस को भी सूचना दी। घटना की सूचना मिलते ही रविवार को तपकारा थाना प्रभारी विक्की ठाकुर जिला पुलिस बल के साथ तैनात रहे। वहीं साथ में तपकरा मुखिया सुदीप गुड़िया, फटका मुखिया, पुष्पा गुड़िया, सामाजिक कार्यकर्ता मशीह गुड़िया ने पर्यटक मित्रों की हौसला अफजाई की और मौके पर मौजूद रहे।

नहीं मानते सैलानी

पेरवाघाघ में पत्थरों पर कई जगह लिखा हुआ है कि इस जगह पर न जाएं, खतरा है, फिर भी लोग वहां चले जाते हैं। कई बार पर्यटक मित्र भी अलर्ट करते हैं, लेकिन सैलानी इसकी अनदेखी करते हैं। वहीं सैलानियों का कहना है कि पेरवाघाघ में सैलानियों को अलर्ट करने के लिए कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है। न ही कोई बैरिकेडिंग की गई है। यहां आए दिन ऐसी घटनाएं होती हैं, फिर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।


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