Move to Jagran APP

मौत के बाद भी रह जाते हैं गुमनाम, नहीं मिलता अपनों का कंधा

Ranchi. मौत के बाद अपनों के कंधे का सहारा मिले यह हर व्यक्ति की अंतिम इच्छा होती है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तब होता है जब इंसान को मौत के बाद भी अपने न मिलें।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 08:27 PM (IST)
मौत के बाद भी रह जाते हैं गुमनाम, नहीं मिलता अपनों का कंधा
मौत के बाद भी रह जाते हैं गुमनाम, नहीं मिलता अपनों का कंधा

रांची, [फहीम अख्तर]। मौत के बाद अपनों के कंधे का सहारा मिले, यह हर व्यक्ति की अंतिम इच्छा होती है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तब होता है, जब इंसान को मौत के बाद भी अपने न मिलें। गुमनामी में रहते हुए लाश दफन कर दी जाती है या दाह संस्कार कर दिया जाता। दरअसल यह पुलिस की सुस्ती के कारण हो रहा है। अज्ञात शव मिलने पर पुलिस न तो इनकी तस्वीर दूसरे थानों या जिलों को सर्कुलेट करती है और न ही इस संबंध में कोई जांच-पड़ताल करती है।
अज्ञात शवों की पहचान के लिए 72 घंटे का समय निर्धारित है। इस अवधि में यदि शव की पहचान नहीं हो पाती है तो पुलिसिया कार्रवाई से मुक्त कर अंतिम संस्कार के लिए भेजा जा सकता है। अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने वाली संस्था मुक्ति के आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी में वर्ष 2014 से लेकर अब तक 759 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराया गया है। इन शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता तो रिम्स के शीत गृह में ये सड़ते रहते।
अखबार में प्रकाशित होता है इश्तेहार
अज्ञात लाश मिलने के 72 घंटे के भीतर एक इश्तेहार अखबार में प्रकाशित करवाया जाता है। इसका प्रकाशन सीआइजी (क्राइम इंवेस्टिगेशन गजट) के तहत कराया जाता है। 72 घंटे के इंतजार के बाद शव को मुक्त करते हुए पुलिस अपने स्तर पर अंतिम संस्कार कराने के लिए स्वतंत्र हो जाती है। या किसी संस्था को भी यह काम दिया जा सकता है। अमूमन अज्ञात लाशों के संबंध में कपड़े, रंग, पहनावा, हुलिया का प्रकाशन किया जाता है। लेकिन प्राय: इसकी पहचान नहीं हो पाती है।
फिंगर प्रिंट से हो सकती है पहचान
मुक्ति संस्था के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने पुलिस-प्रशासन को सुझाव देते हुए कहा है कि पुलिस चाहे तो अज्ञात शवों की पहचान कर सकती है। चूंकि इन दिनों हर व्यक्ति का आधार बन चुका है। शव के फिंगर प्रिंट के जरिए पहचान की जा सकती है। प्रवीण ने यह भी बताया कि कई बार रिम्स में इलाज के लिए लाने वाले छोड़कर चले जाते हैं।
अस्थियां भी नहीं मिल पातीं
कई बार ऐसा भी होता है कि शव का अंतिम संस्कार कराए जाने के बाद परिजन पुलिस या संबंधित थानों तक पहुंचते हैं। पुलिस तस्वीरों से पहचान कराती है। लेकिन अस्थियां लेने लायक भी नहीं रहते। क्योंकि अज्ञात शवों का दाह संस्कार अक्सर सामूहिक तौर पर किया जाता है।
हत्या या यूडी में दर्ज होते हैं मामले
अज्ञात शव मिलने पर अक्सर अस्वाभाविक मौत (यूडी) के मामले दर्ज होते हैं। हालांकि पुलिस को लगता है कि सिर कूचा है, चेहरे पर जख्म हैं तो हत्या के मामले भी दर्ज किए जाते हैं। कोई सुराग नहीं मिलने पर सत्य सूत्रहीन कर कोर्ट को रिपोर्ट भेज दिया जाता है। कई बार ऐसा भी होता कि हत्या कर शव को दूसरी जगह फेंक दिया जाता है। मृतक आसपास के इलाके के नहीं होते, तो पहचान भी नहीं होती।
हाल में मिली अज्ञात लाश
16 मई 2019 : जगरन्नाथपुर थाना क्षेत्र के कटहल कोचा स्थित रेलवे ट्रैक से एक अज्ञात शव बरामद किया गया था।
21 मई 2019 : कांके डैम से मंगलवार की शाम अज्ञात महिला का शव बरामद किया गया। महिला की उम्र करीब 55 वर्ष थी।
16 फरवरी 2019 : कांके हुसीर रिंग रोड छोटी पुलिया के समीप करीब 32 वर्षीय युवक का शव बरामद किया गया। उसके सिर एवं चेहरे के दाएं हिस्से पर कुचलने के निशान थे।
16 जनवरी 2019 : पंडरा ओपी क्षेत्र के बाजरा पुल के नीचे गड्ढे से एक अज्ञात शव बरामद किया गया था। उसकी उम्र करीब 40 वर्ष थी।
27 नवंबर 2019 : विधानसभा के पास से एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद। 
26 नवंबर 2019 : गोंदा थाना क्षेत्र में खेत में एक नाले से अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ।
26 नवंबर 2019 : सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के दुर्गा मंदिर पीछे एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला।
20 नवंबर 2019 : पिठौरिया थाना क्षेत्र के केला बागान से एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद।
19 नवंबर 2019 : नगड़ी थाना क्षेत्र स्थित धुर्वा डैम से एक अज्ञात व्यक्ति का शव पानी में तैरते हुए बरामद हुआ।
अज्ञात शवों की पहचान की कोशिश की जाती है। संबंधित शव की तस्वीरों को व्यापक स्तर पर प्रसारित किए जाते हैं। पहचान नहीं होने की स्थिति में शव को अंतिम संस्कार के लिए मुक्त किए जाते हैं। -अनीश गुप्ता, एसएसपी रांची।

loksabha election banner

यह भी पढ़ें: ये करते हैं लावारिस शवों का अंतिम संस्‍कार, जानें 719 लाशों की अंत्‍येष्टि करने वालों को

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.