Move to Jagran APP

महत्‍वपूर्ण फैसला : विलय के समय से ही निर्वाचन सेवा के पदाधिकारी माने जाएंगे प्रशासनिक सेवा के अधिकारी

झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार की शर्त को निरस्त कर द‍िया है। 2008 में निर्वाचन सेवा का प्रशासनिक सेवा में हुआ था विलय। कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है क‍ि राज्य विभाजन के समय निर्वाचन सेवा से आए पदाधिकारी भी अब झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी माने जाएंगे।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 07:32 PM (IST)
महत्‍वपूर्ण फैसला : विलय के समय से ही निर्वाचन सेवा के पदाधिकारी माने जाएंगे प्रशासनिक सेवा के अधिकारी
झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को महत्‍वपूर्ण फैसला सुनाया है। जागरण

रांची (राज्य ब्यूरो) : झारखंड हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य विभाजन के समय निर्वाचन सेवा से आए पदाधिकारी भी अब झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी माने जाएंगे। अदालत ने राज्य सरकार के विलय की उस शर्त को खारिज कर दिया है, जिसमें विभाजन के समय से निर्वाचन सेवा के जरिए झारखंड में योगदान देने अफसरों को राज्य प्रशासनिक सेवा का अधिकारी नहीं माना गया है।

loksabha election banner

झारखंड सरकार की शर्त में कहा गया है कि यह पद तभी प्रशासनिक सेवा का माना जाएगा, जब विभाजन के समय से कार्यरत निर्वाचन सेवा के पदाधिकारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। राज्य सरकार की इस शर्त को झारखंड हाई कोर्ट की एकलपीठ ने भी मान लिया था, लेकिन चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार और एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। अब विलय के वर्ष 2008 से ही संबंधित पदाधिकारी प्रशासनिक सेवा के अधिकारी माने जाएंगे।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जब राज्य सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के मूल कोटा को बढ़ाते हुए इसमें निर्वाचन सेवा के 40 पदों का भी विलय कर दिया तो विभाजन के समय से काम करने वाले निर्वाचन पदाधिकारियों को प्रशासनिक सेवा का पदाधिकारी माना जाएगा। इससे संबंधित अदालत के आदेश को सोमवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इस संबंध में गायत्री देवी सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजेश कुमार ने अदालत को बताया कि राज्य बनने के बाद निर्वाचन सेवा के 40 पद झारखंड के हिस्से में आए थे। उस समय इस पद पर केवल 12 लोग ही कार्यरत थे। वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने निर्वाचन सेवा को राज्य प्रशासनिक सेवा में विलय कर दिया। शर्त लगाई गई कि वर्तमान में कार्यरत लोगों को प्रशासनिक सेवा का नहीं माना जाएगा। जब-जब यह पद खाली होता जाएगा तो इसे प्रशासनिक सेवा का पद मानते हुए इस पर नियुक्ति की जाएगी। जब राज्य सरकार ने 40 पदों को प्रशासनिक सेवा का मान लिया तो इस पर कार्यरत लोगों को भी प्रशासनिक सेवा का अधिकारी माना जाना चाहिए। वर्ष 2015 के समय राज्य प्रशासनिक सेवा के 695 पद थे। बाद में 40 पद जोड़े जाने से यह संख्या 735 हो गई थी। ऐसे में प्रार्थियों को प्रशासनिक सेवा का लाभ मिलना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.