SBI की आदित्यपुर शाखा को 15.65 करोड़ का चूना, तीन पर FIR दर्ज Ranchi News
सीबीआइ की रांची स्थित आर्थिक अपराध शाखा ने अलग-अलग तीन प्राथमिकियां दर्ज की। मिलजुलकर बैंक को गलत जानकारी देकर जालसाजी करने का आरोप है।
रांची, राज्य ब्यूरो। सीबीआइ की रांची स्थित आर्थिक अपराध शाखा ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की आदित्यपुर शाखा से अलग-अलग मामलों में ऋण लेकर 15 करोड़ 65 लाख 89 हजार रुपये का चूना लगाने के मामले में तीन अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की है। तीनों प्राथमिकियों में आरोपित एक ही ग्रुप के सदस्य हैं। इनपर मिलजुलकर जालसाजी, धोखाधड़ी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। तीनों ही प्राथमिकियां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) के चाईबासा रीजनल कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक क्रेडिट रविशंकर चौधरी के बयान पर दर्ज की गई हैं।
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार पहली प्राथमिकी में सात करोड़ 57 लाख 66 हजार रुपये, दूसरी प्राथमिकी में तीन करोड़ 15 लाख 97 हजार रुपये व तीसरी प्राथमिकी में चार करोड़ 92 लाख 26 हजार रुपये का चूना लगाए जाने का जिक्र है। तीनों ही केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी अलग-अलग अधिकारियों को दी गई है।
इनपर दर्ज हुई है तीनों प्राथमिकियां
- मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, बी-20, सेकेंड फेज, आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया, आदित्यपुर, सरायकेला-खरसांवा।
- अरुण कुमार तिवारी, एचआइ नंबर 295, शिवपुरी कॉलोनी, पॉल बिल्डिंग के पीछे, बड़ा गम्हरिया, सरायकेला-खरसांवा।
- सरस्वती देवी, पत्नी अरुण कुमार तिवारी, एचआइ नंबर 295, शिवपुरी कॉलोनी, पॉल बिल्डिंग के पीछे, बड़ा गम्हरिया, सरायकेला-खरसांवा
- रीतेश कुमार : एचआइ नंबर 295, शिवपुरी कॉलोनी, पॉल बिल्डिंग के पीछे, बड़ा गम्हरिया, सरायकेला-खरसांवा।
- अन्य अज्ञात।
ये हैं तीनों केस
प्राथमिकी संख्या 01
आदित्यपुर की मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, इसके ओनर व अन्य स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की आदित्यपुर शाखा को 07 करोड़ 57 लाख 66 हजार रुपये का चूना लगाया। आरोपितों ने वर्ष 2013 में बैंक से इलेक्ट्रॉनिक डीलर फाइनेंस स्कीम के तहत ऋण लिया। इस स्कीम के तहत लोन लेकर टाटा मोटर्स की एजेंसी लेना व यात्री वाहन बेचना था। एसबीआइ की आदित्यपुर शाखा ने आरोपितों को सात करोड़ 80 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए। इसके बाद मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने बैंक को गलत बैलेंस शीट जमा किया। ऋण की राशि से टाटा मोटर्स से यात्री वाहन खरीदे और उसे बिहार के सोनपुर, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज के शो-रूम व सर्विस सेंटर से बेच दिया। इस कंपनी ने आंध्रा बैंक व इलाहाबाद बैंक से भी क्रेडिट सुविधा ले रखा था। धीरे-धीरे ऋण खाता वर्ष 2016 में अनियमित हो गया। लोन नहीं चुकाने से 31 दिसंबर 2016 को खाता एनपीए हो गया। कुल सात करोड़ 57 लाख 66 हजार रुपये का बैंक का बकाया और इसपर ब्याज बढ़ता चला गया है, जिसकी रिकवरी नहीं हो सकी है। कांड के अनुसंधानकर्ता सीबीआइ की रांची स्थित आर्थिक अपराध शाखा के इंस्पेक्टर अशोक कुमार बनाए गए हैं।
प्राथमिकी संख्या 02
सरायकेला-खरसांवा के श्रीरामपुर गम्हरिया स्थित मेसर्स साईं हाईड्रोलिक सोल्यूसंस के अरुण कुमार तिवारी व रीतेश कुमार ने मिलकर 06 जुलाई 2015 को एसबीआइ की आदित्यपुर शाखा से 2.50 करोड़ का कैश क्रेडिट लोन लिया। इनलोगों ने हाइड्रोलिक सिलेंडर के कारोबार के लिए यह ऋण लिया था, जो हिड्रोमस इंडिया मैनुफैक्चङ्क्षरग प्राइवेट लिमिटेड की डीलरशिप के नाम पर ली गई थी। इस कंपनी ने अपनी दो सहयोगी कंपनी मेसर्स यूनिवर्सल ऑटो कंपोनेंट प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स सरस्वती ऑटोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर कैश क्रेडिट की राशि का दुरुपयोग किया। यह ऋण एकाउंट 26 सितंबर 2016 को एनपीए हो गया। तब बैंक का कंपनी पर तीन करोड़ 15 लाख 97 हजार रुपये व इसपर लगने वाला ब्याज बकाया है। कांड के अनुसंधान की जिम्मेदारी सीबीआइ की रांची स्थित आर्थिक अपराध शाखा के डीएसपी बीके सिंह को दी गई है।
प्राथमिकी संख्या 03
मेसर्स सरस्वती कंपोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशक अरुण कुमार तिवारी व उनकी पत्नी सरस्वती देवी ने 18 सितंबर 2013 को इलेक्ट्रोनिक डीलर फाइनेंस स्कीम के तहत पांच करोड़ का ऋण स्वीकृत करा लिया। इन लोगों ने टाटा मोर्टस के वाहनों की खरीद-बिक्री की, लेकिन ऋण चुकता नहीं कर पाए। अंतत: 31 दिसंबर 2016 को इनका ऋण एनपीए हो गया। तब से इनपर चार करोड़ 92 लाख 26 हजार रुपये तथा ब्याज का बकाया है। इस केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी भी सीबीआइ के रांची स्थित आर्थिक अपराध शाखा के इंस्पेक्टर अशोक कुमार को दी गई है।
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