मां की मौत के चार साल बाद हवलदार की जन्मतिथि, अब जाएगी नौकरी
दिलीप कुमार, रांची : जैप वन चालक सिपाही से हवलदार पद पर प्रोन्नति तो मिल गई लेकिन चार साल बाद
दिलीप कुमार, रांची : जैप वन चालक सिपाही से हवलदार पद पर प्रोन्नति तो मिल गई लेकिन चार साल बाद अब मोहम्मद गुलाम सरवर उर्फ मोहम्मद सरवर आलम की नौकरी जाएगी। उनकी सेवा समाप्त होगी, कार्रवाई का आदेश भी जारी हो चुका है। वर्ष 2012 से गुलाम सरवार आइआरबी-एक जामताड़ा में हवलदार पद पर पदस्थापित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रमाण पत्रों की जांच में पाया गया कि मां की मौत के चार साल बाद की उनकी जन्मतिथि है। आरोप है कि उन्होंने मूल जन्मतिथि से सात साल पूर्व का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर 14 अगस्त 2006 को नौकरी ली थी। जब मामले की जांच हुई तो खुलासा हुआ कि मोहम्मद गुलाम सरवर की मां का निधन वर्ष 1975 में ही हो गया था, उन्होंने नौकरी प्रमाण पत्र पर जन्मतिथि 1979 दिखाई थी।
वर्ष 2014 में मोहम्मद गुलाम सरवर के भाई ने ही लोकायुक्त कार्यालय में इसकी लिखित शिकायत की थी, जिसकी विधिवत जांच करवाई गई तो इसका खुलासा हुआ। लोकायुक्त कार्यालय से 17 अक्टूबर 2017 को जैप वन की समादेष्टा को आदेश जारी हुआ था कि मोहम्मद गुलाम सरवर के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करें। इस आदेश के बाद जैप वन की समादेष्टा कुसुम पुनिया ने छह नवंबर को अपनी रिपोर्ट लोकायुक्त कार्यालय में भेजकर बताया कि वर्ष 2012 में हवलदार में प्रोन्नत होने के बाद से ही मोहम्मद गुलाम सरवर उर्फ मोहम्मद सरवर आलम का स्थानांतरण जामताड़ा के आइआरबी-1 में हो गया था। जैप वन की समादेष्टा ने लोकायुक्त कार्यालय से आग्रह किया है कि मोहम्मद गुलाम सरवर उर्फ मोहम्मद सरवर आलम के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आइआरबी-1 जामताड़ा के समादेष्टा को आदेशित किया जाए।
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यह है मामला :
हवलदार मोहम्मद गुलाम सरवर उर्फ मोहम्मद सरवर आलम की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उनके भाई मोहम्मद गुलाम हैदर अंसारी ने ही लोकायुक्त कार्यालय में वर्ष 2014 में लिखित शिकायत की थी। वह देवघर के मधुपुर थाना क्षेत्र के हरलाटांड़ का निवासी है। जानकारी दी थी कि मोहम्मद गुलाम सरवर ने गलत तरीके से फर्जी आयु प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी ली है। उसने मूल आयु से अपनी उम्र सात साल घटाकर नौकरी ली। इसके बाद वह डोरंडा के जैप वन में चालक के पद पर कार्यरत हुआ। उसने 14 अगस्त 2006 को नौकरी ली जिसमें उसकी जन्मतिथि 27 अगस्त 1979 अंकित है। जबकि, उसकी मां की मृत्यु 1975 में आसनसोल के रेलवे अस्पताल में हो गई थी। मोहम्मद गुलाम सरवर के पिता मोहम्मद गुलाम रसूल रेलवे में कार्यरत थे, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं और पेंशन का लाभ उठा रहे हैं।
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