रिम्स में नामांकन के नाम पर छत्तीसगढ़ की छात्रा से 23 लाख की ठगी
रांची रांची के बरियातू स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में नामांकन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। छत्तीसगढ़ की छात्रा से 23 लाख की ठगी कर ली गई।
दिलीप कुमार, शक्ति सिंह, रांची : रांची के बरियातू स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में नामांकन के नाम पर 23 लाख रुपये की ठगी का एक मामला सामने आया है। इस मामले में छात्रा के पिता शैलेंद्र सिंह बैस ने दो आरोपितों के खिलाफ चुटिया थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। आरोपितों में परिवेश बैठा व राजवीर सिंह शामिल हैं, जिनका मोबाइल नंबर पुलिस को उपलब्ध करा दिया गया है। उन्होंने पुलिस को यह भी बताया है कि जिस होटल में पैसे का लेन-देन हुआ है, वहां के सीसीटीवी फुटेज में दोनों के चेहरे कैद हुए होंगे, जिसे वे पहचान करवा सकते हैं। पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है।
भुक्तभोगी शैलेंद्र सिंह बैस छत्तीसगढ़ के जांजगीर चापा के मूल निवासी हैं। उनकी पत्नी छत्तीसगढ़ कांग्रेस में ऊंचे ओहदे पर हैं। चुटिया पुलिस को आवेदन में शैलेंद्र सिंह बैस ने बताया है कि उन्हें अपनी पुत्री का एमबीबीएस में नामांकन कराना था। रिम्स में नामांकन के नाम के लिए उनके मोबाइल पर परिवेश बैठा व राजवीर सिंह लगातार फोन व एसएमएस कर रहे थे। दोनों से मोबाइल पर ही संपर्क हुआ और अनजाने में बातचीत के बाद लगातार बात होने लगी।
बातचीत के बाद चार अक्टूबर को शैलेंद्र अपनी पुत्री के दस्तावेज के साथ रांची पहुंचे। यहां रिम्स परिसर में दोनों जालसाज मिल गए, जिन्हें शैलेंद्र ने सभी दस्तावेज की फोटोकॉपी दे दी। इसके बाद जालसाजों ने कॉलेज का फॉर्म दिया, जिसे उन लोगों ने भर दिया। फॉर्म के रूप में 1,430 रुपये की रसीद भी दी। इसके बाद जालसाजों ने कहा कि नामांकन कराने में 23 लाख रुपये देने होंगे।
पहले 15 लाख और बाद में आठ लाख रुपये दिए :
पीड़ित शैलेंद्र सिंह बैस ने बताया कि चार अक्टूबर को ही उन्होंने बरियातू के एक होटल माउंटेन व्यू रिसॉर्ट में आरोपित राजवीर सिंह को 15 लाख रुपये दिए। यह भी तय हुआ कि वेलकम लेटर मिलने के बाद शेष आठ लाख रुपये देने होंगे। 10 अक्टूबर को वेलकम लेटर उनके छत्तीसगढ़ के पते पर पहुंच गया। इसके बाद वे वेलकम लेटर लेकर रांची पहुंचे और होटल बोधराज इन में ठहरे। 11 अक्टूबर को वे रिम्स जा रहे थे, तभी आरोपित का फोन आया कि शेष आठ लाख रुपये दिए बगैर रिम्स में प्रवेश संभव नहीं है। इसलिए रास्ते से वापस आकर उन्होंने आरोपितों को आठ लाख रुपये का भुगतान किया।
रिम्स पहुंचने पर हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा :
पीड़ित शैलेंद्र सिंह बैस कुल 23 लाख रुपये के भुगतान के बाद रिम्स पहुंचे। वहां प्रवेश शाखा व रिम्स निदेशक से मिले, तो पता चला कि ऐसा कोई नामांकन नहीं हुआ है। पूरा मामला एक साजिश के तहत धोखाधड़ी का है। सभी दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बाद वे थाने पहुंचे और दोनों ही आरोपित परिवेश बैठा तथा राजवीर सिंह के खिलाफ उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई।
रिम्स परिसर में चल रहा डॉक्टर बनाने का फर्जीवाड़ा, 25 हुए ठगी का शिकार : रिम्स में एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर करोड़ों रुपये लोगों से ठग लिए गए हैं। ऐसे पीड़ित छात्रों की संख्या 25 बताई जा रही है। ठगबाजों का रैकेट इतना शातिर है कि ये सारे कारनामे रिम्स परिसर में किए जा रहे हैं ताकि नामांकन लेने वाले छात्र और उनके परिजनों को तनिक भी भनक या शक न हो। ठगी करने वाले इस तरह से छात्र और परिजनों को अपने जाल में फंसाते हैं कि वह धीरे-धीरे मांगे गए सारे पैसे परिजन खुद ब खुद विश्वास के साथ दे देते हैं। इसके लिए ठगबाज रिम्स के नाम का लेटर पैड व फॉर्म, फर्जी एसएमएस और अस्पताल का फर्जी चिकित्सक बताकर उनका साक्षात्कार भी लेते हैं। कुछ दिनों के बाद उन्हें फर्जी एसएमएस और फर्जी कॉल से नामांकन होने की सूचना भी दे देते हैं। रिम्स प्रबंधन ने भी माना है कि इस तरह की कई शिकायतें उन्हें मिली है। इसलिए उन्होंने छात्रों को ऐसे दलाल के चक्कर में नहीं आने की सलाह दी है। कानपुर के आरव से ठग लग लिए साढ़े 15 लाख
कानपुर के आरव कुमार के साथ भी कुछ ऐसा हुआ, जहां उसे रिम्स में दाखिला के नाम पर 15.5 लाख रुपये देने की मांग करते हैं। इसके लिए उन्हें पांच सितंबर को रिम्स में भी बुलाया जाता है, जहां उन्हें रिम्स से एक बंदा बाहर निकलकर उन्हें फॉर्म देता है, फर्जी चिकित्सक से साक्षात्कार भी दिलाता है। दलाल उन्हें यह आश्वासन भी देता है कि वह सारा काम आरक्षण कोटा से कर रहे हैं। साक्षात्कार के बाद उन्हें एसएमएस भी आता है। उनका रजिस्ट्रेशन हो गया है और 13 सितंबर को दाखिला भी होगा। जबकि दोबारा 13 सितंबर को परिजन पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उनके साथ फर्जीवाड़ा किया गया है। 25 से अधिक हो सकते हैं ठगी के मामले : 25 मामले ऐसे हैं, जिसकी शिकायत पीड़ित परिवार वालों ने रिम्स से की है। लेकिन, कई मामले ऐसे हैं, जो रिम्स तक नहीं पहुंची। डर और बदनामी दोनों ही कारणों से परिवार व छात्रों ने शिकायत करने से परहेज किया। सर्वाधिक मामले झारखंड से बाहर के राज्यों के : ठगी का शिकार होने वालों झारखंड से बाहर के हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के हैं। झारखंड के भी कुछ छात्र ठगी के शिकार हुए हैं, जिनकी शिकायत उन्हें मिली है। पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं दलाल, अब भी ठगे जा रहे हैं लोग : पिछले डेढ़ माह से जालसाजी का काम चल रहा है। लेकिन, पुलिस के गिरफ्त में एक भी दलाल नहीं आया है। अब भी खुलेआम दलाल दलाली कर रहे हैं और बराबर छात्रों को अपने चंगुल फंसा कर लाखों रुपये ठग रहे हैं। 'अब तक इस तरह के कई मामले आ चुके हैं। इसलिए छात्रों को किसी भी तरह के दलाल के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए। पूरी छानबीन के साथ दाखिले की प्रक्रिया में छात्रों को जाना चाहिए। '
डॉ. डीके सिंह
निदेशक, रिम्स