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चारा घोटाला में तीन पदाधिकारियों सहित 16 लोगों को सुनाई सजा

CBI. चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सीबीआइ कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। इसमें तीन पदाधिकारियों सहित 16 लोगों को सजा सुनाई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 12:18 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 08:02 PM (IST)
चारा घोटाला में तीन पदाधिकारियों सहित 16 लोगों को सुनाई सजा
चारा घोटाला में तीन पदाधिकारियों सहित 16 लोगों को सुनाई सजा
रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएन मिश्र की अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार (आरसी 20ए/96) मामले में 16 आरोपितों को सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इनमें तीन सरकारी कर्मचारी हैं और शेष 13 आपूर्तिकर्ता। अदालत ने रामअवतार शर्मा, किशोर कुमार झा, महेंद्र कुमार कुंदन व बसंत सिंह को चार-चार साल की सजा सुनाई है। वहीं 12 अन्य को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। फिलहाल 12 सजायाफ्ता को निचली अदालत से ही जमानत मिल गई है।
बुधवार को इस मामले में कुल 18 आरोपितों को सजा सुनाई जानी थी, लेकिन अच्युतानंद प्रसाद की मौत होने व सहरु निशां के बीमार होने की जानकारी अदालत को दी गई। अदालत ने उक्त दोनों को सजा नहीं सुनाई है। चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का मामला है। इसमें अभियोजन की ओर से 350 लोगों की गवाही दर्ज कराई गई है, वहीं बचाव पक्ष की ओर से 32 लोगों की गवाही दर्ज हुई है।
इन्हें मिली है सजा
नाम (सभी आपूर्तिकर्ता)    सजा     जुर्माना
रामअवतार शर्मा -    चार साल-    चार लाख
किशोर कुमार झा-    चार साल -    पांच लाख
महेंद्र कुमार कुंदन-    चार साल -    सात लाख
बसंत सिंह -    चार साल-    छह लाख
अनिल कुमार -    तीन साल-    3.15 लाख
अपोरनिता कुडू सरकार-    तीन साल-    1.70 लाख
अदिति जोरदार-    तीन साल-    3.70 लाख
संजीव कुमार बासुदेव-    तीन साल -    45 हजार
मधु पाठक-    तीन साल-    1.80 लाख
राजेंद्र कुमार हरित -    तीन साल-    80 हजार
ब्रज किशोर अग्र्रवाल -    तीन साल-    1.56 लाख
विमल अग्र्रवाल -   तीन साल-    25 हजार
उमेश दुबे-    तीन साल -   3.5 लाख
सरकारी कर्मचारी
बीएनएल दास (एकाउंटेंट)-    तीन साल-    35 हजार
सहदेव प्रसाद (असिस्टेंट एकाउंटेंट)-    तीन साल-    30 हजार
लाल मोहन गोप (क्लर्क)-    तीन साल-    30 हजार
इस वजह से दोबारा हुई सुनवाई
सीबीआइ के लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि चाईबासा कोषागार मामले में बिहार के तत्कालीन विधायक राजो सिंह पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति लेनी थी। जिस समय राजो सिंह के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई। उस समय वो सांसद थे। सीबीआइ ने लोकसभा स्पीकर से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। परंतु घटना के समय राजो सिंह विधायक थे, इसलिए चार अप्रैल 2003 को बिहार विधानसभा के स्पीकर सदानंद सिंह ने उनके खिलाफ मामला चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति प्रदान की। इसमें बहुत देरी हो गई।
इसके बाद सीबीआइ की ओर से राजो सिंह सहित अन्य के खिलाफ इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की गई। अदालत ने पूरक चार्जशीट पर अलग से सुनवाई करने का निर्णय लिया क्योंकि इसके मुख्य मामले में दो सौ से ज्यादा गवाहों की गवाही दर्ज हो चुकी थी। मुख्य मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य लोग आरोपित थे। अदालत ने राजो सिंह सहित अन्य के मामले में अलग से सुनवाई शुरू की। जिसमें बुधवार को अदालत ने फैसला सुनाया। हालांकि ट्रायल से दौरान राजो सिंह का निधन हो गया।
2013 में हो चुकी है लालू व जगन्नाथ को सजा
इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को तीन अक्टूबर 2013 में सीबीआइ की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है। इसी मामले में बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, आरके राणा व ध्रुव भगत को भी सजा मिली है।
यह है मामला
चाईबासा से अवैध निकासी मामले में 27 जनवरी 1996 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बाद में सीबीआइ ने 27 मार्च 1996 को कांड संख्या आरसी 20ए/96 दर्ज किया था और जांच शुरू की थी। जिसमें 37.70 करोड़ रुपये अवैध निकासी का आरोप लगा। इस मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित राजनीतिक व आइएएस अधिकारियों को आरोपित बनाया गया। हालांकि इन सभी को 2013 में ही सजा सुनाई जा चुकी है।

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