झारखंड के छह लोकसभा, ढाई दर्जन विधानसभा सीटों पर निर्णायक होगा सवर्ण कार्ड
Narendra Modi. गरीब सवर्णों को दस फीसद आरक्षण देने की मोदी सरकार की घोषणा का झारखंड की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। सवर्णों को आरक्षण देने का मोदी सरकार का फैसला यूं तो पूरे प्रदेश को प्रभावित करता है लेकिन वे इलाके खास तौर पर प्रभावित होंगे जहां सवर्णों की आबादी है। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में लोकसभा क्षेत्रों को देखें तो ऐसे कम से कम छह संसदीय क्षेत्र हैं जहां सवर्णों की आबादी सीधे चुनाव को प्रभावित करती है तो ढाई दर्जन के आसपास विधानसभा क्षेत्रों में सवर्ण वोटर प्रभावी हैं।
राज्य के 14 लोकसभा क्षेत्रों में से पांच सांसद सवर्ण बिरादरी के हैं। इन क्षेत्रों में धनबाद, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग और गोडडा शामिल है। इसके अलावा पलामू में सवर्णों का मत सांसद के चयन में प्रभावी होता है। एक आंकड़ों के अनुसार राज्य में तकरीबन 50 लाख सवर्ण आबादी है। इसी प्रकार राज्य के 81 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग ढाई दर्जन सीटें सवर्ण मतदाताओं से सीधे प्रभावित होती हैं।
इनमें शहरी क्षेत्र खास तौर पर अधिक प्रभावी होते दिख रहे हैं। रांची, धनबाद, पलामू, देवघर, जमशेदपुर, बोकारो आदि प्रमुख जिलों में सवर्ण बिरादरी के एक-दो सांसद हैं। इनमें से अधिसंख्य शहरी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिन इलाकों में सवर्ण उम्मीदवार कुछ मतों से पराजित हुए हैं वहां भी सवर्णों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। ग्रामीण और आरक्षित विधानसभ क्षेत्रों में सवर्णों की भूमिका सीमित हो जाती है।
वर्तमान विधानसभा में इन सीटों पर काबिज हैं सवर्ण विधायक
अनंत कुमार ओझा - राजमहल, राज पलिवार - मधुपुर, रणधीर कुमार सिंह - सारठ, बादल पत्रलेख - जरमुंडी, अरूप चटर्जी - निरसा, राज सिन्हा - धनबाद, संजीव सिंह - झरिया, कुणाल षाड़ंगी - बहरागोड़ा, सरयू राय - जमशेदपुर, सीपी सिंह - रांची, देवेंद्र सिंह - पांकी, सत्येंद्र नाथ तिवारी - गढ़वा, भानु प्रताप शाही - भवनाथपुर ।