रांची में वन विभाग पौधारोपण में आगे, संरक्षण में फिसड्डी
पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण ही काफी नहीं है। रांची में पौधारोपण करने के बाद उसे देखने वाला कोई नहीं रहता है।
जागरण संवाददाता, रांची : पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण ही काफी नहीं है। महत्वपूर्ण है, पौधों की देखभाल। ताकि जो पौधे लगाये गए हैं वे जीवित रह सके। रांची में वन विभाग पौधरोपण तो जोर शोर से करती है परंतु लगाये गए पौधों के संरक्षण के प्रति उतना ही लापरवाह दिख रही है। बीते साल नदी महोत्सव पर बड़े तामझाम से बोड़ेया में जुमार नदी तट पर कार्यक्रम का आयोजन कर पांच वर्ग किमी में पौधरोपण किया गया। करीब 10 हजार पौधे लगाये गए। तत्कालीन सीएम रघुवर दास कार्यक्रम में शामिल तो हुए ही अपने हाथों से पौधे भी लगाये। पांच वर्ग किमी में महोगनी, अर्जुन, सागवान, अशोक आदि वृक्ष के पौधे लगाये गए। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद विभाग दोबारा उसका खोज खबर लेना भी उचित नहीं समझी। आधे से ज्यादा पौधे सूख गए। जो पौधे बच भी गए नियमित साफ-सफाई नहीं होने के कारण मरने की स्थिति में है। पौधों के बजाय चारों ओर झाड़ी ही झाड़ी दिखायी दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्यक्रम के बाद वन विभाग कभी सुध नहीं ली।
क्या कहते हैं डीएफओ
वन विभाग नियमित रूप से देखभाल करती है। पौधे नहीं सूखे होंगे। 10 दिन पहले भी साफ-सफाई की गई थी। दलदली क्षेत्र होने के कारण पौधों में वृद्धि नहीं है। अगर पौधे सूखे हैं तो उस स्थान पर दूसरे पौधे लगाये जाएंगे।
सबा आलम अंसारी, डीएफओ
करोड़ों खर्च कर महज 0.49 वर्ग किमी वनक्षेत्र बढ़ा
02 वर्ष पर भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून वन क्षेत्र का सर्वे करती है
2017 से लेकर 2019 तक रांची के वन क्षेत्र का सर्वे किया गया 0.49 वर्ग किमी की ही वृद्धि दो वर्ष में रांची के वन क्षेत्र में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद हुई
2019 के सर्वे के अनुसार रांची में 1164. 49 वर्ग किमी वन क्षेत्र है
63 वर्ग किमी रांची में सघन वन क्षेत्र का हिस्सा है -पौधारोपण कर संरक्षण करना भूल जाता है वन विभाग -2019 में बोरेया में जुमार नदी किनारे वृहद स्तर पर लगाये गए थे पौधे
05 वर्ग किमी में पौधारोपण किया गया था
10 हजार पौधे लगाए गए थे
50 फीसद पौधे सूख गए, आधे झाड़ी में दबकर मरने की स्थिति में