अभी कुछ समय तक और दिख सकता है अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर
बोले बैंक ऑफ इंडिया के ईडी- एक नियमित अंतराल के बाद सुस्ती सामान्य बात रांची राब्यू बै
बोले बैंक ऑफ इंडिया के ईडी- एक नियमित अंतराल के बाद सुस्ती सामान्य बात
रांची, राब्यू : बैंक ऑफ इंडिया के कार्यपालक निदेशक (ईडी) एके दास ने कहा है कि अर्थव्यस्था में मंदी का दौर अभी कुछ समय तक और देखने को मिल सकता है। रांची में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अर्थव्यस्था की इस मंदी का समाधान रातो-रात नहीं हो सकता।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एक नियमित अंतराल के बाद इस तरह की मंदी से अर्थव्यवस्था को गुजरना ही पड़ता है। दास ने विश्वास जताया कि जनवरी 2020 से इसमें सुधार देखने को मिलेगा।
पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के भावी लक्ष्य तक पहुंचने में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की भूमिका पर आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में एके दास ने यह बातें कहीं।
एके दास ने स्वीकार किया कि अर्थव्यस्था को लेकर कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन जब आपदा आती है तभी अच्छे विकल्प सामने आते हैं। यह भी कहा कि बैंकों की ब्याज दर में गिरावट आगे भी देखने को मिल सकती है।
ब्याज दरों को रेपो रेट से भी जोड़ा जाएगा, जिसका उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि बैंक ऑफ इंडिया आवास और वाहन ऋण को एक सितंबर से रेपो रेट से जोड़ देगा। इसका फायदा यह होगा कि रेपो रेट में उतार-चढ़ाव से ब्याज दरें प्रभावित होंगी। प्रेस कांफ्रेंस में बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक शंकर प्रसाद, एसएलबीसी के महाप्रबंधक चंद्रशेखर प्रसाद भी उपस्थित थे।
सीएनटी में बदलाव का सुझाव :
बैंक ऑफ इंडिया के कार्यपालक अभियंता ने स्वीकारा कि झारखंड में सीडी रेशियो अपेक्षाकृत कम है। राष्ट्रीय स्तर पर सीडी रेशियो 75 प्रतिशत है, जबकि झारखंड का पचास प्रतिशत के आसपास। कहा, झारखंड में कुछ बदलाव की जरूरत है। छोटानागपुर टीनैंसी एक्ट (सीएनटी एक्ट) की बाधा भी है। सिक्योरिटी के इश्यू की वजह से भी बहुत-से लोग ऋण से वंचित रह जाते हैं।
हालांकि, दो करोड़ तक का ऋण इस दायरे से बाहर है। कहा, झारखंड में लघु, मध्यम और छोटे उद्योगों में काफी संभावनाएं हैं, जिन्हें तलाशा जाना चाहिए।
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पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने में बैंकों का होगा अहम रोल :
बैंक ऑफ इंडिया के ईडी एके दास ने कहा कि भारत को पांच ट्रिलियन क्लब में शामिल कराने के भावी लक्ष्य को हासिल करने में बैंकों का रोल अहम है। इस दिशा में सामूहिक रूप से बैंकों की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए दो दिवसीय राज्यस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें कुछ सुझाव आए हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली बैठक में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में कलस्टर बेस एप्रोच जैसे विकल्प पर बैठक में मंथन हुआ है। ऋण व्यक्ति को न देकर समूह को दिया जाए। राज्य सरकार को स्किल डेवलपमेंट पर भी जोर देना होगा। उत्पाद क्वालिटी के होंगे, तो एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर आयोजित बैठक में राज्य सरकार के सचिव सत्येंद्र सिंह, आरबीआइ के महाप्रबंधक संजीव दयाल, नाबार्ड के सीजीएम सहित राष्ट्रीयकृत बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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डिजिटल बैंकिंग में कनेक्टिविटी बड़ा इश्यू :
एके दास ने कहा कि झारखंड में डिजिटल बैंकिंग में कनेक्टिविटी एक बड़ा इश्यू है। राज्य में 55 प्रतिशत बैंकों की शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जहां इसका सीधा असर देखने को मिलता है। कनेक्टिविटी में सुधार से बैंकिंग सेवाओं में और सुधार होगा।
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