प्रत्येक गांव में बनेंगे पांच-पांच ट्रेंच कम बंड
जल संरक्षण की दिशा में प्रशासन गंभीर है। इसलिए उसका ध्यान ट्रेंच कम बं़ड के निर्माण पर है। उपायुक्त ने भी सभी अधिकारियों को इस पर ध्यान देने को कहा है।
जागरण संवाददाता, रांची : जल संरक्षण की दिशा में प्रशासन गंभीर है। इसलिए उसका ध्यान ट्रेंच कम बंड (पहाड़ी ढलानों में गढ्डा) बनाने में सर्वाधिक है। रांची जिला में 3398 ट्रेंच कम बंड का बनाने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य की संख्या में बढ़ोतरी कर दिया गया है। अब प्रत्येक गांव में कम से कम पांच ट्रेंच कम बंड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। विभिन्न प्रखंडों में 1319 ट्रेंच कम बंड बन चुके हैं और 1870 ट्रेंच कम बंड पर काम लगाया गया है। जिला प्रशासन इसकी मदद से जल संरक्षण और मिट्टी कटाव को रोकने का पहल कर रही है। बारिश के दौरान पहाड़ों से बहने वाले पानी का संरक्षण करने के लिए बंड का निर्माण किया जाता है। इसमें पहाड़ों के चारो तरफ एक बडे़ नाले की शक्ल में खोदाई की जाती है। घेराबंदी से भूमिगत जल से रिचार्ज होने का रास्ता खुलता है। अनगड़ा, बुढ़मू, लापुंग, नगड़ी और सिल्ली सहित अन्य प्रखंडों में तेजी से काम चल रहा है। पहाड़ी इलाकों में तेज बारिश तबाही लेकर आती है
पहाड़ी इलाकों में तेज बारिश तबाही लेकर आती है। पहाड़ से नीचे गिरते बारिश का पानी तेज बहाव वाले नाले का शक्ल ले लेती है। आठ फीसद या उससे कम ढलान वाले भू-भाग में ट्रेंच कम बंड का निर्माण किया जाता है। क्योंकि इन क्षेत्रों में वर्षा जल न केवल खुदाई वाले हिस्सों में संचित होता है। बल्कि बंड के सहारे भी संचित होते हैं। खुदाई तीन फीट होगी, जिसकी लंबाई 12 फीट तक होगी। जबकि मेढ की ऊंचाई डेढ़ फीट होती है। फिलहाल इसकी नियमित मॉनिटरिग की जा रही है। पदाधिकारी भी ग्रामीण इलाकों में जाकर निर्माण कार्यो का जायजा ले रहे हैं। ट्रेंच कम बंड निर्माण का लक्ष्य
ख्ेालारी 167, बेड़ो 326, चान्हो 227, कांके 279, सिल्ली 246, अनगड़ा 329, इटकी 66, मांडर 173, तमाड़ 290, नामकुम 283, राहे 100, लापुंग 144, सोनाहातु 108, बुंडू 121, बुढ़मू 257, ओरमांझी 192, नगड़ी 55 और रातू में 345।
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