Jharkhand: मत्स्य पालन को बनाया आजीविका का साधन
मत्स्य पालन के क्षेत्र में बौधा जलाशय मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड अपने परिश्रम के बल पर प्रखंड क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है। अन्य मत्स्यजीवियों के लिए यह समिति प्रेरणास्रोत बनी हुई है। समिति के सचिव खम्भवा निवासी महावीर साव कहते हैं।
टाटीझरिया (हजारीबाग) मिथिलेश पाठक । मत्स्य पालन के क्षेत्र में बौधा जलाशय मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड अपने परिश्रम के बल पर प्रखंड क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है। अन्य मत्स्यजीवियों के लिए यह समिति प्रेरणास्रोत बनी हुई है। समिति के सचिव खम्भवा निवासी महावीर साव कहते हैं कि वे अपने सभी सदस्यों के साथ कड़ी मेहनत करते हैं तब जाकर उन्हें इस क्षेत्र में अच्छी- खासी आमदनी हो रही है। बताया कि उनके साथ रिंगल साव, छोटी साव और राजदीप साव भी कंधे से कंधा मिलाकर हर समय चलते हैं। हम चारों साथी मिलकर मत्स्य पालन के बारे में ही हमेशा सोचते हैं कि इसमें और ज्यादा बेहतर कैसे कर सकते हैं।
वे अपनी आमदनी से बिल्कुल संतुष्ट भी हैं। वे हर साल खराब स्थिति में भी दो लाख रुपये मत्स्य पालन से कमा ही लेते हैं। आगे बताते हैं कि यहां तक का सफर आसान नहीं था। हम लोगों ने वर्ष 2014 में पहली बार बौधा जलाशय को मत्स्यपालन के लिए लीज पर लिया। उस वक्त डाक में 2 लाख 27 हज़ार रुपए में पांच साल के लिए डैम लिया। इसी बीच उन्होंने 2017 में बौधा जलाशय मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के नाम पर समिति का निबंधन भी कराया। उसी पेपर के आधार ओर इन्होंने फिर से 2018 में जलाशय को दो लाख 62 हजार में मत्स्यपालन के लिए डाक बोलकर पांच वर्षों के लिए लिया।
ये बताते हैं कि वे प्रति वर्ष रेवेन्यू की राशि जमा करते हैं। उनके अच्छे काम को देखते हुए मत्स्यपालन विभाग द्वारा मछली का बीज तैयार करने के लिए केज भी बनवा दिया। केज में पहली बार मत्स्य बीज भी विभाग ने ही दिया। उन्होंने बताया कि फिलहाल मत्स्य बीज से उन्हें लाभ नहीं हो पा रहा है, फिर भी यह कार्य उन्हें संतुष्टि देता है। वे अगल-बगल के क्षेत्र में मत्स्य बीज भी बेचते हैं। वे इस व्यवसाय से काफी संतुष्ट हैं। मत्स्य विभाग से इन्हें अपेक्षित सहयोग भी लगातार मिल रहा है।