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Ranchi-Tata NH 33: 1000 करोड़ के एक्‍सप्रेस-वे घोटाले में CBI ने दर्ज की FIR

रांची-टाटा फोरलेन निर्माण घोटाले में सीबीआइ ने मंगलवार को रांची एक्सप्रेसवे कंपनी के सीएमडी दो निदेशक और सहयोगी कंपनियों पर प्राथमिकी दर्ज की है।

By Sujeet SumanEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 09:05 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 02:39 PM (IST)
Ranchi-Tata NH 33: 1000 करोड़ के एक्‍सप्रेस-वे घोटाले में CBI ने दर्ज की FIR
Ranchi-Tata NH 33: 1000 करोड़ के एक्‍सप्रेस-वे घोटाले में CBI ने दर्ज की FIR

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो । रांची-टाटा फोरलेन केे निर्माण में भ्रष्टाचार की पुष्टि के बाद सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने मंगलवार को रांची एक्सप्रेसवे कंपनी के सीएमडी, दो निदेशक व सहयोगी कंपनियों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्राथमिकी प्रारंभिक जांच (पीई) में भ्रष्टाचार की पुष्टि के बाद दर्ज की गई है।

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प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस प्रोजेक्ट के लिए बैंकों से गलत तरीके से कुल 1029.39 करोड़ रुपये निकले, लेकिन इस अनुपात में रांची-टाटा फोरलेन निर्माण में कोई प्रगति नहीं दिख रही। बैंकों से उक्त राशि रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड को निर्गत हुई थी। इतना ही नहीं, 264.01 करोड़ रुपये आपराधिक षडयंत्र के तहत विभिन्न खातों में डायवर्ट किए गए। गलत ऑडिट रिपोर्ट भी दिखाई गई। राशि की हेराफेरी रांची, हैदराबाद सहित अन्य जगहों पर भी की गई है।  

गौरतलब है कि इससे पूर्व झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ की एसीबी रांची में 07 अगस्त 2018 को प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के निदेशक के. श्रीनिवास राव, एन. सिथैया व एन. पृथ्वी तेजा ने एक साजिश के तहत ऑडिटर्स मेसर्स कोटा एंड कंपनी के साथ मिलकर यह फ्राड किया। इन्होंने जालसाजी के लिए मधुकॉन ग्रुप कंपनी के खातों का उपयोग किया। इसमें बैंकों ने भी उन्हें मदद किया।

ऐसे डायवर्ट किए 264.01 करोड़ रुपये
रांची-टाटा फोर लेन निर्माण मामले में हाई कोर्ट ने 14 नवंबर 2017 को सीरियस फ्राड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) नई दिल्ली को जांच का आदेश दिया था। इस मामले में एसएफआइओ की लिफाफा बंद रिपोर्ट 14 जून 2018 को खुली थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार रांची-टाटा मार्ग के चार लेन निर्माण के लिए 31 अक्टूबर 2011 को अनुमानित खर्च 1655 करोड़ रुपये थे। बाद में प्रोजेक्ट की लागत बढ़ती चली गई। रिपोर्ट के अनुसार कुल 264.01 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट पर खर्च नहीं कर दूसरी ओर डायवर्ट किए गए।

इनपर दर्ज हुई है प्राथमिकी 
-के. श्रीनिवास राव, सीएमडी, मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड।
-एन सिथैया, निदेशक, मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड।
-एन. पृथ्वी तेजा, निदेशक, मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे, लिमिटेड। 
-मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड।
-मेसर्स मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड।
-मेसर्स मधुकॉन इंफ्रा लिमिटेड।
-मेसर्स मधुकॉन टॉल हाइवे लिमिटेड।
-मेसर्स कोटा एंड कंपनी। 
-अन्य अज्ञात कर्मी, बैंक, जिसका नेतृत्व केनरा बैंक ने किया। 


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