दस दिनों के बाद भी एसीबी नहीं पहुंची कंबल घोटाले की फाइल
मुख्यमंत्री के आदेश के प्रति अधिकारी कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। धनबाद नगर निगम में 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री को दो बार आदेश जारी करना पड़ा तब जाकर फाइल एसीबी तक पहुंची।
रांची : मुख्यमंत्री के आदेश के प्रति अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। धनबाद नगर निगम में 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री को दो बार आदेश जारी करना पड़ा, तब जाकर फाइल एसीबी तक पहुंची। इस बार सीएम ने बहुचर्चित कंबल घोटाले की जांच से संबंधित आदेश 28 जुलाई को जारी किया है। आदेश जारी हुए 10 दिन बीत गए, लेकिन फाइल एसीबी तक नहीं पहुंची। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्राक्कलन घोटाले की ही तरह कंबल घोटाले की जांच के लिए सीएम को एक और आदेश जारी करना होगा।
बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कंबल खरीदने में हुई अनियमितता के मामले में झारक्राफ्ट की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी रेणु गोपीनाथ पणिकर, उप महाप्रबंधक मोहम्मद नसीम अख्तर और मुख्य वित्त पदाधिकारी अशोक ठाकुर को आरोपी बनाते हुए एसीबी को जांच का आदेश दिया था। आरोपितों पर लोकसेवकों के विरुद्ध पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप है।
बताते चलें कि सरकार ने साल 2017-18 में गरीबों के बीच बांटने के लिए करीब 10 लाख कंबल बनाने का जिम्मा झारक्राफ्ट को सौंपा था। कंबल बुनाई का काम राज्य की सखी मंडलों और बुनकर समितियों को देने की बात हुई थी ताकि वे आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकें। इसके बाद झारक्राफ्ट ने कंबल बुनाई के लिए पानीपत से 18.81 लाख किलोग्राम ऊनी धागा ट्रकों से मंगाने और उसकी बुनाई के बाद उसकी फिनिशिग के लिए उसे पानीपत भेजने के लिए कुछ कंपनियों से करार किया था। घोटाला धागा लाने व फिनिशिग के नाम पर ही हुआ है, जिसकी जांच होनी है।