झारखंड सरकार के लिए चुनौती, आमदनी का स्रोत नहीं; प्रभावित हो सकती है कोरोना के खिलाफ जंग
Coronavirus News Update. मार्च में ही मिले संकेत। आशा के अनुरूप राजस्व संग्रह नहीं रहा है। पहली तिमाही भारी पड़ सकती है। सरकार को स्वास्थ्य के साथ सामाजिक मोर्चे पर भी जूझना है।
रांची, राज्य ब्यूरो। सीमित आर्थिक संसाधनों के बीच कोरोना संकट से मुकाबला राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। यह चुनौती इसलिए भी बड़ी हो जाती है, क्योंंकि अगले तीन माह राजस्व की आमद का कोई बड़ा स्रोत दिखाई नहीं दे रहा है। लॉकडाउन के कारण व्यापार, उद्योग धंधे ठप हैं। इस कारण जीएसटी, खनन, परिवहन, निबंधन व उत्पाद, जो सरकार की आय के मुख्य स्रोत हैं, वहां से अगले कुछ माह में आय की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है।
जबकि, इस दौरान सरकार को चिकित्सीय मोर्चे के साथ-साथ सामाजिक मोर्चे पर भी जूझना है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जनता से किए गए वादों को भी पूरा करना है और विकास योजनाओं को भी गति देनी है। राज्य सरकार ने वाणिज्यकर विभाग के लिए इस वित्तीय वर्ष 17,100 करोड़ की राजस्व उगाही का लक्ष्य निर्धारित किया है। वाणिज्यकर विभाग की आय का मुख्य स्रोत जीएसटी है। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल से मिलने वाला वैट, प्रोफेशनल टैक्स और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से आय होती है।
व्यापार बंद होने से जीएसटी की आमद की उम्मीद काफी कम है। वैसे भी भारत सरकार के निर्देश पर रिर्टन फाइल करने की तिथि बढ़ा दी गई है। लॉकडाउन के कारण पेट्रोल व डीजल की मांग कम हुई है। जाहिर है यहां से भी टैक्स काफी कम आएगा। हां, प्रोफेशनल टैक्स से सरकार को कुछ आय अवश्य हो सकती है, लेकिन टैक्स में उसका योगदान काफी कम है। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की भी कुछ ऐसी ही स्थित है।
वाणिज्यकर विभाग सरकार को सर्वाधिक राजस्व देने वाला विभाग है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2019-20 में लक्ष्य के सापेक्ष उगाही नहीं हो सकी। लक्ष्य 16,700 करोड़ के सापेक्ष कर संग्रह 14,286 करोड़ रुपये रहा। जाहिर है कि जब पिछले वित्तीय वर्ष 2414 करोड़ रुपये की कमी रही, तो यह साल तो और भारी पडऩे वाला है। लॉकडाउन के दौरान न तो वाहन चल रहे हैं और न ही निबंधन हो रहा है। शराब की दुकानें बंद होने से उत्पाद का राजस्व भी मारा जा रहा है। कोयला छोड़कर अन्य खनन परियोजनाएं पूरी तरह से ठप हैं। ऐसी स्थिति में राजस्व संग्रह लक्ष्य पहली तिमाही पर तो बहुत भारी पड़ेगा।