फसल बेचकर पिता ने खरीदे जूते, फुटबॉल खेलने बेटी पहुंची भूटान
एक पिता ने अपनी बेटी को फुटबॉल का खिलाड़ी बना दिया। स्वयं अनाज बेचने के बाद बेटी के लिए फुटबॉल खरीदा। बेटी भी मेहनत कर आगे बढ़ी।
जागरण संवाददाता, रांची : अभिनेता आमिर खान की फिल्म दंगल की कहानी याद होगी। एक पिता संघर्षो के बीच अपनी बेटियों को खेल के लिए तैयार करता है। कुछ ऐसी ही पटकथा रांची जिले के जोन्हा गांव में लिखी जा रही है। गांव के खेत और खलिहान से निकल कर एक बेटी ने भूटान की धरती पर अपनी प्रतिभा का परचम फहरा दिया। गवर्मेंट गर्ल्स हाईस्कूल बरियातू की छात्रा सुनीता मुंडा ने 9 से 15 अक्टूबर तक होने वाली साउथ एशियन फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए अंडर 15 टीम में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया है। महेश्वर मुंडा के पांच बच्चों में सबसे बड़ी पंद्रह वर्षीय सुनीता के सफलता की कहानी हैरान कर देने वाली है। मासूम बच्ची ने अपने हौसले और परिवार ने संघर्ष के दम पर प्रतिभा को मंच मुहैया कराया है। संसाधनों की भारी कमी के बीच सुनीता ने धान के खेत में फुटबॉल का प्रशिक्षण लिया। पेड़ों के बीच गोल पोस्ट बनाया। पिता ने फसल बेचकर खेल के लिए जूते खरीदे। आखिरकार बेटी का चयन साउथ एशिया फुटबॉल फेडरेशन की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली टीम के लिए हो गया। सुनीता की यह सफलता पूरे इलाके और गांव के लिए प्रेरक कहानी बन रही है।
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भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा बनने की इच्छा
सुनीता ने बताया कि वह एसएएफएफ की प्रतियोगिता से हिस्सा लेकर लौट आयी है। फिलहाल जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग ले रही है। इच्छा है कि एक दिन भारतीय महिला फुटबॉल टीम का हिस्सा बने। देश में क्रिकेट की तरह ही फुटबॉल का विकास हो। खेल प्रतिभागियों को उभारने के लिए संसाधन और अवसर में वृद्धि की जाए।
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खिलाड़ी के रूप में अपार संभावनाएं
सुनीता के खेल प्रशिक्षक सुनील ने बताया कि एक खिलाड़ी के तौर पर उसमें अपार संभावनाएं हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वह जिस कठिन हालात से निकल कर यहां तक पहुंची है, वह संघर्ष और चुनौतियों को मात देकर भविष्य में नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।