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गुलाब की खेती को मिले उद्योग का दर्जा तो किसानों को होगा फायदा

पिछले कुछ वर्षो में फूलों की माग बाजार में काफी ज्यादा बढ़ गयी है। इसमें गुलाब की खेती सबसे ज्यादा होती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 07:36 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 07:36 PM (IST)
गुलाब की खेती को मिले उद्योग का दर्जा तो किसानों को होगा फायदा
गुलाब की खेती को मिले उद्योग का दर्जा तो किसानों को होगा फायदा

जागरण संवाददाता, राची : पिछले कुछ वर्षो में फूलों की माग बाजार में काफी ज्यादा बढ़ गयी है। किसी भी आयोजन में सजावट के साथ-साथ उपहार के रूप में भी लोग फूलों का गुलदस्ता ही देना पसंद कर रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिक्री गुलाब के फूलों की होती है। हाल के दिनों में माग बढ़ने से राची और आसपास के इलाके जैसे पिठौरिया, ओरमाझी, नगड़ी और देवरी के पास के गाव में फूलों की खेती की जा रही है। लंबी अवधि के फसल के रूप में गुलाब की खेती को सबसे बेहतर माना जाता है। हालाकि बाजार में गुलाब की खेती करने वाले किसानों के लिए बाजार में सुविधाओं का बड़ा अभाव है। फूल स्टोर करने से लेकर इसे दूसरे राज्यों में भेजने तक की सुविधा नहीं है। अगर गुलाब की खेती को उद्योग का दर्जा मिल जाए तो किसानों को काफी राहत मिलेगी। इसकी खेती के लिए सुविधाएं बढ़ जाएंगी। गुलाब की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने की है जरूरत

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डॉ केके झा बताते हैं कि राची और आसपास के इलाकों में गुलाब की खेती काफी अच्छी होती है। फिर भी किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। हमारे यहा ज्यादातर किसान छोटे और मध्यम दर्जे के हैं। उन्हें खेत से हर तीन से चार महीने में लाभ की जरूरत होती है। वहीं गुलाब की खेती लंबी अवधि की होती है। ऐसे में छोटे किसानों के लिए इंतजार करना मुश्किल होता है। मगर उन्हें एक बात समझने की जरूरत है कि एक बार सीजन में तीन से चार लाख का गुलाब काट सकते हैं। वहीं औसत पाच से सात लाख के गुलाब की बिक्री एक वर्ष में की जा सकती है। इसके साथ ही सरकार को गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे उद्योग के रूप में विकसित करने की जरूरत है। केवल गुलाब का फूल हजारों लोगों के लिए रोजगार के द्वार खोल सकता है।

प्रारंभ में लागत आती है ज्यादा

गुणाकर मणि राची ने जेवियर कालेज से एमबीए किया है। इसके बाद दस सालों तक प्राइवेट कंपनी में काम किया। पिछले साल अप्रैल के महीने में बीएयू की मदद से उन्होंने नौकरी छोड़कर गुलाब की खेती शुरू की। गुणाकर बताते हैं कि गुलाब की खेती को शुरू करने में थोड़ी लागत ज्यादा है। मगर एक बार पौधा लगाने के बाद सात से दस सालों तक फूल प्राप्त किया जा सकता है। गुलाब के फूल की बेहतर क्वालिटी के लिए हमें इसे पॉली हाउस में तैयार करना होता है। पॉली हाउस बनाने में लाखों का खर्च आता है। इसमें सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत का सब्सिडी दी जाती है। हालाकि सरकार को गुलाब की खेती के लिए प्रोत्साहन और मदद देने की जरूरत है। -------

-------- क्या कहते हैं मजदूर----------

कोरोना के कारण काम धंधा बंद हो गया है। बहुत मुश्किल के बाद वापस गाव आ सकें हैं। जो पैसे कमाये थे। घर आते वक्त सब खत्म हो गये। अब सरकार से मदद मिले तो अपने जिले मे ही काम करेंगे।

-अनिल मुंडा, प्रवासी मजदूर। जितना कमाया नहीं उससे ज्यादा गवा दिया। अब वापस दूसरे राज्य कमाने जाने की हिम्मत नहीं है। जो होगा अब गाव में ही करेंगे। कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत खेती करेंगे।

-एंथोनी तिर्की, प्रवासी मजदूर। मजबूरी में गाव के कुछ लोगों के साथ पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्य में गए। सरकार की मदद मिले तो जो काम दूसरे राज्य में करते थे अपने यहा करेंगे।

-दिलीप उराव, प्रवासी मजदूर। बड़े बुजुर्ग कहते थे घर पर ही काम करों दूर देश न जाओ। घर छोड़कर पैसे के लिए इतना दूर गये। फिर मुसीबत में अपने घर ही वापस आना पड़ा।

-प्रकाश बेदिया, प्रवासी मजदूर। किसी तरह लोगों की मदद से वापस आये हैं। फिर कभी नहीं जायेंगे। सरकार से कुछ मदद मिल जाये तो अपने राज्य के किसी भी कोने में काम कर लेंगे।

-संदीप मुंडा, प्रवासी मजदूर।


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