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जिस कुएं के लिए किसान ने लिया कर्ज, उसी में डूबकर दे दी जान Ranchi News

ग्रामीणों के अनुसार मनरेगा योजना के तहत कुआं निर्माण के लिए किसान लखन महतो ने रिश्तेदारों से करीब एक लाख रुपये कर्ज लिया था।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 12:12 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 03:56 PM (IST)
जिस कुएं के लिए किसान ने लिया कर्ज, उसी में डूबकर दे दी जान Ranchi News
जिस कुएं के लिए किसान ने लिया कर्ज, उसी में डूबकर दे दी जान Ranchi News
चान्हो (रांची), जासं। रांची जिले के चान्हो प्रखंड के पतरातू गांव में कर्ज में डूबे एक किसान ने कुएं में कूदकर जान दे दी। बताया जाता है कि जिस कुएं के निर्माण के लिए किसान लखन महतो (43) ने अपने रिश्तेदारों से कर्ज लिया था, कर्ज न चुका पाने पर उसी कुएं में कूदकर जान दे दी। इस घटना ने सिस्टम पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं, क्योंकि यह कुआं मनरेगा के तहत बन रहा था। किसान लखन महतो की पत्नी विमला देवी ने बताया कि उसके पति ने डेढ़ वर्ष पूर्व मनरेगा से मिले सिंचाई कूप के निर्माण के लिए अपने रिश्तेदारों से करीब डेढ़ लाख रुपये कर्ज लिए थे।
इस पैसे से कुएं का निर्माण पूरा हो गया था। डेढ़ वर्ष बाद भी प्रखंड से बकाया राशि का भुगतान न होने के कारण वह रिश्तेदारों का कर्ज चुका नहीं पा रहे थे। इस बात को लेकर वह हमेशा तनाव मे रहते थे। अंतत: इस तनाव में ही उन्होंने कुएं मे कूदकर अपनी जान दे दी। विमला के अनुसार लखन महतो (43) शुक्रवार की सुबह किसी को कुछ बताए बगैर घर से निकला था। पूरे दिन व रात में भी घर न लौटने पर परिजनों ने उनकी खोजबीन की, लेकिन रात भर ढूंढने के बाद कहीं पता नहीं चल सका। शनिवार की सुबह घर के पास ही खेत में बने कुएं में उनकी लाश मिली।
किसान को दो लाख से अधिक का नहीं हो सका था भुगतान
जानकारी के अनुसार लखन महतो को वर्ष 2017-18 मे प्रखंड से मनरेगा से सिंचाई कूप के निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद मनरेगा कूप (योजना संख्या 7080901221509) बनवाया था। इसकी प्राक्कलित राशि 3 लाख 54 हजार रुपये है। वर्तमान में कुएं का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बावजूद इसके प्रखंड से अब तक लखन महतो को मजदूरी मद में 1 लाख 41 हजार 792 व सामग्री मद में 59 हजार 679 रुपये (कुल 2 लाख 471 रुपये) का ही भुगतान हुआ है और मनरेगा के ऑनलाइन दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार उसके कूप के निर्माण मद में करीब डेढ़ लाख रुपये का बकाया है।
परिजन बताते हैं कि कूप के निर्माण में मेटेरियल के लिए लखन महतो ने भरनो तुति अम्बा निवासी अपने साले हरि महतो से 80 हजार, अपने दामाद इटकी भंडरा निवासी श्याम महतो से 40 हजार व तोरपा के कुंदरी निवासी बहनोई बीरबल महतो से 30 हजार रुपये कर्ज लिए थे, जिसे वह अब तक वापस नहीं कर पाया था। बीच-बीच में उनसे कहा करता था कि प्रखंड से भुगतान मिलते ही उनका पैसे चुका देगा।

पत्नी विमला देवी ने बताया कि उसके पति बकाया पैसे नहीं मिलने से काफी परेशान रहा करते थे और बची हुई राशि के भुगतान को लेकर काफी दिनों से चान्हो प्रखंड मुख्यालय का का चक्कर लगा रहे थे। वहां प्रखंड कर्मियों द्वारा कहा जाता था कि जल्द ही उनका पैसा उन्हें मिल जाएगा लेकिन अब तक राशि का भुगतान नहीं किया गया।
बीडीओ ने कहा- यह आत्महत्या नहीं दुर्घटना, कर्ज से कई संबंध नहीं
उधर, घटना को लेकर चान्हो बीडीओ संतोष कुमार ने कहा कि लखन महतो की मौत एक दुर्घटना है। इसका से मनरेगा का कोई संबंध नहीं है। लखन महतो की मौत की सूचना पर चान्हो पहुंचे आइटीडीपी के निदेशक अवधेश पांडे ने प्रखंड में मनरेगा से लखन महतो के कूप निर्माण से संबंधित दस्तावेज निकलवा कर जानकारी ली। उन्होंने कहा कि लखन की मौत कैसे हुई है यह जांच का विषय है। रही बात उसके कूप निर्माण की तो उसके मद में करीब डेढ़ लाख रुपये का बकाया है। बाद में उन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ पतरातू गांव पहुंचकर परिजनों व ग्रामीणों से भी बात कर पूरी जानकारी हासिल की।

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