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सबकी चिंता, सबका बजट...नई सरकार में दिखी वादा निभाने की ललक, हर वर्ग का रखा ध्यान

Jharkhand Budget 2020 हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार के पहले बजट को यदि एक लाइन में परिभाषित करना हो तो कहा जा सकता है इसमें सभी वर्गों की चिंता की गई है और यह सबका बजट है...

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 03:20 PM (IST)
सबकी चिंता, सबका बजट...नई सरकार में दिखी वादा निभाने की ललक, हर वर्ग का रखा ध्यान
सबकी चिंता, सबका बजट...नई सरकार में दिखी वादा निभाने की ललक, हर वर्ग का रखा ध्यान

रांची, प्रदीप शुक्ला। हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार के पहले बजट को यदि एक लाइन में परिभाषित करना हो तो कहा जा सकता है, इसमें सभी वर्गों की चिंता की गई है और यह सबका बजट है...। जैसा सरकार गठन के वक्त से ही मुख्यमंत्री कहते आ रहे हैं, प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को देशभर के लिए नजीर बनाना है, तो उन्होंने बजट में इसकी भरपूर चिंता भी की है। शिक्षा के बजट में ही सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।

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इसके अलावा स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, बेरोजगार युवाओं को सहयोग राशि, 50 साल से ऊपर के सभी व्यक्तियों को राशन, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली सहित कई ऐसी योजनाएं हैं जिनके जरिये हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई है। कृषि के बजट में कटौती की गई है लेकिन किसानों के पचास हजार तक का ऋण माफ किये जाने की घोषणा कर उनकी झोली भी खाली नहीं रहने दी गई है। रोजगार पैदा कैसे होंगे, इस पर बजट में कोई स्पष्ट सोच नहीं दिख रही है। इसी तरह आधारभूत संरचना के प्रति बजट में बेरुखी दिखी, जो आने वाले समय में बेरोजगारी बढ़ा सकती है।

शिक्षा, स्वास्थ्य और गांवों पर जोर

बजट में गांव, गरीब का भरपूर ख्याल रखा गया है। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की चौतरफा गूंज का असर राज्य के बजट पर दिख रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह घोषणा कर चुके हैं कि वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दिल्ली से भी बेहतर बनाएंगे। पिछले साल के बजट के मुकाबले शिक्षा में करीब दो प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी उनके इस लक्ष्य को साधने की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा सकता है। यह अच्छा संकेत है।

सरकारों को यह समझ में आ रहा है कि बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना संपूर्ण विकास का सपना बेमानी है। दिल्ली की तरह ही मलिन बस्तियों में मुहल्ला क्लीनिक, दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में तैनात डॉक्टरों के लिए अलग से भत्ता, एपीएल के सभी परिवारों को आयुष्मान योजना का लाभ सहित अन्य तमाम प्रावधान बजट में किए गए हैं। कुपोषण इस राज्य के लिए हमेशा बदनुमा दाग रहा है। स्वास्थ्य योजनाएं यदि धरातल पर ठीक से उतरती हैं, तो बड़ी आबादी को इसका फायदा पहुंच सकता है। वैसे पूर्व की रघुवर सरकार भी अटल मुहल्ला क्लीनिक के जरिये हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की कोशिश कर ही रही थी। 

दीर्घकालिक उपायों की जरूरत

गठबंधन सरकार का यह पहला बजट था। स्वाभाविक है बड़े बहुमत से आई हेमंत सरकार जनता को ज्यादा से ज्यादा लाभ सीधे देना चाहती थी। यह बखूबी दिख भी रहा है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि विकास की दीर्घकालिक योजनाओं के बिना राज्य को विकास की पटरी पर नहीं लाया जा सकता। बेरोजगारों को भत्ता देना बुरा नहीं है लेकिन नौकरियां बढ़ें, इसके भी इंतजाम उतनी ही गंभीरता से होने चाहिए थे जो नदारद दिख रहे हैं। भत्ता देना कभी स्थायी समाधान नहीं हो सकता।

सरकार ऐसा दावा कर रही है कि भविष्य में भत्ता देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि राज्य में रोजगार के पर्याप्त संसाधन पैदा किए जाएंगे। उम्मीद की जानी चाहिए, सरकार इसको लेकर पूरी तरह गंभीर बनी रहेगी। मूलभूत संरचना में निवेश भी दीर्घकाल में राज्य के लिए फायदेमंद ही होता है। इसमें भी पर्याप्त संतुलन नहीं दिख रहा है। इसी तरह उद्योग-धंधों के लिए भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किए गए हैं। यह सेक्टर थोड़ा मायूस हो सकता है।

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने आशा जताई है कि इस वर्ष राज्य की विकास दर आठ प्रतिशत रह सकती है, लेकिन यह संभव कैसे होगा? देश और दुनिया में जो हालात हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह लक्ष्य काफी बड़ा है। बहरहाल, सरकार की नीयत स्पष्ट है। जो सबसे आखिरी पायदान पर खड़ा है, उसे इस बजट का जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले यही इस बजट की सफलता होगी। फिलहाल संकेत अच्छे दिख रहे हैैं।

प्रदीप शुक्ला, स्थानीय संपादक, झारखंड


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