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आस्था: कार्तिक पूर्णिमा के साथ वर्ष का आखिरी चंद्रगहण भी आज, पुराणों के क्या है इसकी महत्ता....जानें विस्तार से

कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार को है। इस दिन वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण भी होगा। हालांकि ग्रहण न दिखने से सूतक नहीं लगेगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन अपना पहला मत्स्य अवतार लिया था।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 09:06 AM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 09:06 AM (IST)
आस्था: कार्तिक पूर्णिमा के साथ वर्ष का आखिरी चंद्रगहण भी आज, पुराणों के क्या है इसकी महत्ता....जानें विस्तार से
कार्तिक पूर्णिमा के साथ वर्ष का आखिरी चंद्रगहण भी आज

रांची जासं। कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार को है। इस दिन वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण भी होगा। हालांकि ग्रहण न दिखने से सूतक नहीं लगेगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है। हर माह पूर्णिमा तिथि होती है। पुराणों में इस दिन स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला दिन बताया गया है। आज के दिन शहर के स्वर्ण-रेखा नदी के तट पर सुबह से ही भीड़ लग जाती है। पंडित बिपिन पांडेय ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने इसी दिन अपना पहला मत्स्य अवतार लिया था। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति व आर्थिक समस्याएं भी खत्म होती हैं।

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इस दिन दान करने का है विशेष महत्व:

सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, दूध, फल, चावल वस्त्र या अन्य चीजें भी दान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन ब्राह्मणों के भोजन करा कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन दीप दान करने का विधान है।

स्नान करने का विशेष महत्व:

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बेहद फलदाई माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर विधिवत स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन गंगा में स्नान करने का विधान है। यदि आप गंगा में स्नान करने नहीं जा सकते है तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं।

मोक्ष काल में दिखेगा ग्रहण:

साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आज 12 बजकर 48 मिनट में शुरु होगा। जो 2 बजकर 33 मिनट में मध्य में रहेगा। जबकि 4 बजकर 17 मिनट में ग्रहण मोक्ष काल में रहेगा। चंद्र ग्रहण मोक्ष काल में पड़ने के कारण भारत के सुदूर पूर्वी सीमा में इस ग्रहण को दूरबीन से देखने से दिखेगा। इस ग्रहण का भारत में कोई धार्मिक मान नहीं रहेगा। ग्रहण न दिखने के कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा।


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