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अवैध हथियारों का गढ़ बन रही रांची, हर महीना खूनी खेल

अवैध हथियार सप्लाई करने में मुख्य सप्लायर औरतों का इस्तेमाल कर रहे है। औरतों के पास हथियार होने पर किसी को शक भी नहीं होता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 04:36 PM (IST)
अवैध हथियारों का गढ़ बन रही रांची, हर महीना खूनी खेल
अवैध हथियारों का गढ़ बन रही रांची, हर महीना खूनी खेल

किसलय शानू, रांची। राजधानी रांची में अवैध हथियारों से खूनी खेल हो रहे हैं। ये हथियार कम कीमत पर राजधानी में पहुंच रहे हैं। अपराधियों के हाथों में ये असानी से पहुंच रहे हैं। न इसकी भनक पुलिस को लग रही है, न खुफिया एजेंसियों को। खमियाजा आम लोगों को जान गवां कर भुगतना पड़ रहा है। खौफ अब आम लोगों में है। घर में घुसकर गोली मारने की घटना के बाद राजधानी का माहौल और भी खराब हो गया है। पुलिसिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं, तो साथ में आम लोगों में रोष भी देखने को साफ मिल रहा है।

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बिहार के मुंगेर से आ रहे अवैध हथियार :

कम दाम पर बिहार के मुंगेर से अवैध हथियार मंगाकर सप्लायर चोरी-छिपे मार्केट में बेच रहे है। बेरोजगार युवक, स्कूल व कॉलेज के छात्र शौक पूरा करने के लिए हथियार लेकर खुलेआम घूम रहे हैं। पुलिस को इन लोगों पर कोई शक भी नहीं होता है। फिर दुश्मनी होने पर इसी अवैध हथियार से घटना को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पुलिस अपराधियों की खोजबीन के लिए छापामारी करती है। मगर, जांच पूरी होने पर पता चलता है कि घटना के पीछे छात्र या आम जीवन बिताने वाले किसी युवक की संलिप्तता है। हाल के दिनों में देखा जाए, तो दो मार्च को बरियातू इलाके के हरिहर सिंह रोड में हुए शिवा लोहरा हत्याकांड में अवैध हथियार का इस्तेमाल पढ़ने वाले छात्रों ने किया था। फिर हत्या करने के बाद मोबाइल बंद कर छात्र पुलिस को चकमा देकर भाग चुके हैं।

धंधे में हो रहा है औरतों का इस्तेमाल :

अवैध हथियार सप्लाई करने में मुख्य सप्लायर औरतों का इस्तेमाल कर रहे है। औरतों के पास हथियार होने पर किसी को शक भी नहीं होता है। इस कारण अवैध हथियार आराम से पुलिस की नजरों से बचते हुए जगह तक पहुंच जाते हैं। पुलिस की बढ़ती दबिश को देखते हुए हथियार सप्लायर ट्रेन व बस से सप्लाई करना छोड़ चुके हैं।

कई खेप पकड़ चुकी है पुलिस :

पुलिस सूत्रों की मानें, तो रांची पुलिस अवैध हथियारों का जखीरा दर्जनों बार पकड़ चुकी है। इसके बावजूद हथियार सप्लाई करने का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा है।


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