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ESIC Scam: बीमा के पैसे ऐंठने के लिए इन महिलाओं ने जन्‍मे बच्‍चे, कंपनी बनने से पहले तय था घोटाला

सरायकेला के आदित्यपुर जमशेदपुर के गोलमुरी और रांची में गड़बड़ी के कई मामले सामने आने के बाद ऑडिट टीम ने अवैध तरीके से भुगतान की गई राशि वसूलने की अनुशंसा की है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 07:29 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 01:22 PM (IST)
ESIC Scam: बीमा के पैसे ऐंठने के लिए इन महिलाओं ने जन्‍मे बच्‍चे, कंपनी बनने से पहले तय था घोटाला
ESIC Scam: बीमा के पैसे ऐंठने के लिए इन महिलाओं ने जन्‍मे बच्‍चे, कंपनी बनने से पहले तय था घोटाला

रांची, [अनूप कुमार]। ईएसआइ की मातृत्व हितलाभ योजना के तहत बीमित कर्मचारियों के नाम में हेराफेरी कर गलत तरीके से लाखों रुपये का भुगतान करने के मामले में नियोक्ता कंपनियों की भूमिका भी सामने आई है। ईएसआइ के आदित्यपुर (सरायकेला) शाखा कार्यालय में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ऑडिट टीम ने कहा है कि सिर्फ बीमित महिला को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के लिए नियोक्ता द्वारा अंशदान का भुगतान किया गया है।

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इसमें बीमा संख्या 6015687683 भी शामिल है। इस बीमित महिला को 21 फरवरी 2017 से 24 अप्रैल 2017 तक मातृत्वहित लाभ का भुगतान किया गया है, जबकि यह महिला मई 2016 में ही अपनी कंपनी में काम छोड़ चुकी थी। जून 2016 में महिला को नियोक्ता के साथ पंजीकृत कर जून-2016 से सितंबर 2016 तक अंशदान दिनांक नौ मार्च 2017 को पूरक अंशदान के रूप में अपलोड कर उसे इस योजना का लाभ दिलाया गया। 

गुलराना को केवल लाभ दिलाने के लिए बनाया पात्र

मातृत्व हित लाभ दिलाने के लिए कई अपात्र लोगों को भी पात्र बना दिया गया। बीमा संख्या 6015884178 गुलराना शफीक के नाम से है। उसकी  नियोक्ता कंपनी प्रिंस कंस्ट्रक्शन का ईएसआइ में पंजीकरण दिनांक तीन जून 2015 को किया गया है, जिसमें कंपनी की स्थापना तिथि 20 मई 2015 दर्शाई गई है। उक्त इकाई के प्रोपराइटर के नाम और बीमित महिला के पति के नाम में समानता है। गुलराना शफीक का मई 2015 से मार्च 2016 तक की पूर्ण अवधि के लिए 12 अप्रैल 2016 को अंशदान अपलोड कर फरवरी से दिसंबर 2017 तक के लिए नो वर्क के रिमार्क के साथ जनवरी 2018 में कार्य छोड़ देना दिखाया गया है। ऑडिट टीम ने यह आशंका जताई है कि उक्त लाभार्थी इकाई के मालिक की पत्नी हो सकती है। जिसे लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नियोक्ता ने एकमुश्त अंशदान अपलोड कर मातृत्व हितलाभ का पात्र बनाकर लाभ पहुंचाया। 

मुंडा लकड़ा के नाम पर मौसमी पांडा को दिया लाभ

ऐसा ही कुछ मामला जमशेदपुर की गोलमुरी शाखा में भी सामने आया है। यहां बीमा संख्या 6015198807 मुंडा लकड़ा को 20 अगस्त 2016 को मेसर्स सखी गोपाल पांडा में पुन: पंजीकृत कर बीमित व्यक्ति का नाम मुंडा लकड़ा से बदलकर मौसमी पांडा कर दिया गया है। इस बीमा में मार्च और अप्रैल 2015 के लिए 23 अगस्त 2016 तथा मई 2015 से जुलाई 2016 की अवधि के लिए 24 अगस्त 2016 को अंशदान अपलोड किया गया है। इस प्रकार बीमित व्यक्ति मुंडा लकड़ा का नाम बदलकर मौसमी पांडा कर उसे मातृत्वहित लाभ के योग्य बनाकर हित लाभ का भुगतान किया गया है। 

पूनम कुमारी को कवरेज से अधिक दिलाया लाभ

जमशेदपुर की गोलमुरी शाखा के अंतर्गत ही बीमा संख्या 5915226125 पूनम कुमारी को दिनांक 19अक्टूबर 2016 से 20 जनवरी 2017 तक के लिए कुल 628 रुपये प्रतिदिन की दर से 52752 रुपये मातृत्व हितलाभ का भुगतान किया गया है जो मातृत्वहित औसत कवरेज योग्य दैनिक दर से अधिक है। 

मनालिसा चौधरी के पिता का नाम बदला

जमशेदपुर की गोलमुरी शाखा के अंतर्गत ही एक मामला मनालिसा चौधरी बीमा संख्या 6015284276 का भी है। यह 12 जनवरी से 14 अप्रैल 2016 तक के लिए कुल दैनिक दर 541 के हिसाब से 45444 रुपये का मातृत्वहित लाभ भुगतान किया गया है। ऑडिट ट्रायल के अनुसार आरंभिक पंजीकरण के समय बीमित महिला का पिता आरसी शर्मा दर्शाया गया है, जिसे बाद में गौतम चौधरी किया गया है। प्रसूति की तारीख को उक्त महिला किसी नियोजक से संबद्ध नहीं थी। 

पिंकी कुमारी के पति का नाम बदला

इसी तरह एक मामला रांची शाखा कार्यालय के अंतर्गत पिंकी कुमारी बीमा संख्या 6015315602 का है। इसमें बीमित महिला को 16 सितंबर  से 27अक्टूबर 2017 तक की अवधि के लिए 42 दिनों के लिए मिस कैरेज होने पर मातृत्व हितलाभ प्रदान किया गया है। लेकिन ऑनलाइन पोर्टल से ज्ञात हुआ है कि नियोजक द्वारा इनके पति का नाम बदलकर अजीत सिंह से अनिल कुमार गुप्ता किया गया है। ऐसे ही कई मामले इस शाखा अंतर्गत पाए गए हैं।

ऑडिट टीम ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि शाखा कार्यालय बोकारो को छोड़ अन्य किसी भी शाखा कार्यालय में प्रसूति हित लाभ दावा रजिस्टर उपलब्ध नहीं कराया गया। कुछ ऐसे भी मामले पाए गए जिसमें नियोक्ता द्वारा फॉर्म-10 में बीमित महिला के काम नहीं करने की पुष्टि कर इसी आधार पर मातृत्व लाभ भुगतान किया गया है। टीम ने नियोजक के रिकॉर्ड से इसकी जांच कराने व अधिक भुगतान की राशि वसूली एवं बैंक खातों में ट्रांसफर की संपुष्टि बैंक द्वारा कराए जाने की अनुशंसा की है।


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