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वसूल नहीं पाते पैसे, कैसे खत्म हो घाटा

रांची झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के विखंडन के बाद बनी स्वतंत्र बिजली कंपनियां अपने पांव पर खड़ी नहीं हो पाईं जबकि विखंडन का उद्देश्य कंपनियों को घाटा शून्य कर अपने बूते विकसित करना था। राजस्व वसूली के प्रति पदाधिकारियों का लापरवाह रवैया पूरी तरह बिलिग नहीं करना बिलिग के मुकाबले वसूली में कोताही आदि ऐसे कारक हैं जो बिजली की आत्मनिर्भरता की राह में सबसे बड़ी बाधा बने।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:45 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:45 PM (IST)
वसूल नहीं पाते पैसे, कैसे खत्म हो घाटा
वसूल नहीं पाते पैसे, कैसे खत्म हो घाटा

रांची : झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के विखंडन के बाद बनी स्वतंत्र बिजली कंपनियां अपने पांव पर खड़ी नहीं हो पाईं, जबकि विखंडन का उद्देश्य कंपनियों को घाटा शून्य कर अपने बूते विकसित करना था। राजस्व वसूली के प्रति पदाधिकारियों का लापरवाह रवैया, पूरी तरह बिलिग नहीं करना, बिलिग के मुकाबले वसूली में कोताही आदि ऐसे कारक हैं, जो बिजली की आत्मनिर्भरता की राह में सबसे बड़ी बाधा बने। दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) बकाए के मद में केंद्र सरकार द्वारा कटौती के बाद आरंभ हुई कवायद में यह सच्चाई सामने आई है कि किसी बिजली एरिया बोर्ड की वसूली संतोषप्रद नहीं है। ग्रामीण इलाकों में राजस्व वसूली पूरी तरह फिसड्डी है। इसके अलावा, शहरों में भी राजस्व वसूली लक्ष्य से काफी पीछे हैं।

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बहरहाल, पदाधिकारियों की पेच कसने की कवायद में यह अल्टीमेटम दिया गया है कि राजस्व वसूली में बढ़ोतरी किए बगैर कोई चारा नहीं है। इसका तत्काल प्रभाव दिखना भी स्पष्ट हो जाएगा। अगली समीक्षा बैठक में तमाम पदाधिकारियों को यही टास्क सौंपा गया कि हर हाल में राजस्व वसूली का लक्ष्य हासिल करने के साथ-साथ शत-प्रतिशत बिलिग सुनिश्चित करना है। बिलिग के काम में लगी तमाम निजी एजेंसियों को इस बाबत हिदायत दी गई है कि वे कार्य का प्रदर्शन सुधारें, वरना कड़ी कार्रवाई होगी। इसमें निजी एजेंसियों का करार खत्म तक करने की सख्त कार्रवाई हो सकती है। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार के कड़े रुख से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।

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रांची सेंट्रल-रातू रोड से बेहतर वसूली, सबसे कम सारठ में राजस्व :

विद्युत एरिया बोर्ड की वसूली के लिहाज से शहरी क्षेत्रों में राजस्व की वसूली कुछ स्थानों पर बेहतर है। इसमें रांची सेंट्रल की वसूली दर 85 प्रतिशत है। यह हरमू सब-डिवीजन का इलाका है। रांची पश्चिम का इलाका रातू रोड का है। यहां भी वसूली 84 प्रतिशत है। इसके मुकाबले मेन रोड और कांके इलाके में वसूली कम है। सबसे कम वसूली महज सात प्रतिशत देवघर एरिया बोर्ड के मधुपुर डिवीजन के सारठ में है। जमशेदपुर के मानगो में 75 प्रतिशत और आदित्यपुर में 78 प्रतिशत राजस्व का संग्रह है। जबकि, धनबाद के झरिया डिवीजन सिदरी में वसूली 75 प्रतिशत और लोयाबाद, कतरास का राजस्व संग्रह 71 प्रतिशत है। यह आंकड़ा इस वर्ष जून से लेकर सितंबर महीने का है।

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