Move to Jagran APP

आठ महीने बाद भी दुकानों की नहीं हुई मरम्मत

संजय कृष्ण, रांची : न्यू रातू रोड में आरआरडीए की दुकानें जर्जर हो चुकी हैं, लेकिन उसकी सुध नहीं। पिछ

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 10:32 AM (IST)
आठ महीने बाद भी दुकानों की नहीं हुई मरम्मत
आठ महीने बाद भी दुकानों की नहीं हुई मरम्मत

संजय कृष्ण, रांची : न्यू रातू रोड में आरआरडीए की दुकानें जर्जर हो चुकी हैं, लेकिन उसकी सुध नहीं। पिछले साल अगस्त में इसको लेकर खबर भी प्रकाशित हुई थी। नींद से जागा भी आरआरडीए, लेकिन फिर सो गया। आठ महीने हो गए, एक ईट भी नहीं रख पाया। लाखों वेतन उठाने वाले आरआरडीए कर्मचारियों का एक ही काम है, केवल नक्शा पास करना और भाड़ा वसूली करना। यहां दुकानों की हालत इतनी खराब है कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। कोई दीवार का हिस्सा, प्रवेश द्वार की खपरैल, छत की रेलिंग कब जानलेवा बन जाए, कोई नहीं जानता। आठ माह से आरआरडीए क्या काम करता रहा, किसी को पता नहीं। कर्मचारियों की यहां मौज ही मौज है। बात कीजिए तो कर्मचारियों की कमी का रोना रोते हैं, लेकिन जो हैं, वह भी कुछ नहीं कर रहे। जब खबर छपी तब आरआरडीए के उपाध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा था कि दुकानों की जर्जरावस्था की बात मेरे संज्ञान में आई है। इंजीनियर को प्राक्कलन बनाने का आदेश दे दिया गया है। प्राक्कलन राशि की स्वीकृति के बाद वहां तत्काल रिपेयर का काम कराया जाएगा। लेकिन रिपेयर आज तक नहीं हो सका। दुकानदार हमेशा सशंकित रहते हैं।

loksabha election banner

----

1970 में बना मार्केट

लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से 1970 दुकानों का निर्माण हुआ। इसके बाद 1983 में व कुछ 2000 में भी दुकानें बनीं। 1970 में बनीं दुकानों की कभी रंगाई-पुताई नहीं हुई। पहली मंजिल के बाद दूसरी मंजिल बनानी थी, लेकिन आज तक नहीं बनी। जो दुकानें बनीं, उसका रख-रखाव ढंग से नहीं किया गया। दुकानों के अंदर काफी गंदगी है। बारिश के मौसम में कई दुकानों में पानी भी रिसता है। इस बाजार में प्रवेश करने के लिए चारों ओर से प्रवेश द्वार है। चूंकि चारों ओर सड़क है। इसलिए प्रवेश द्वार बनाया गया। प्रवेश द्वार का छप्पर भी जहां-तहां से गिर चुका है। कुछ गिरने की स्थिति में है। बारिश में जहां-तहां पानी जमा है।

--

1983 में बनी दुकानों की गिर चुकी है रेलिंग

यहां 1983 में कुछ और दुकानों का निर्माण हुआ। ये दुकानें दो मंजिली हैं। रेलिंग सीमेंट की है। सीढ़ी के सामने की रेलिंग गिर चुकी है। बाकी जर्जर हाल में है। कभी भी पूरी रेलिंग गिर सकती है। हाथ से रेलिंग छूने पर हिलने लगती है। पीलर से भी रेलिंग अलग हो चुकी है। इसके बाद भी आरआरडीए आंख मूंद कर सोया है। जबकि इस न्यू मार्केट से सटा राजभवन है। सौ कदम में न्यायाधीश, मुख्यमंत्री का आवास और नगर विकास मंत्री सीपी सिंह भी रहते हैं, जिनके विभाग के अंतर्गत आरआरडीए है। इसके बाद भी दुकानों की हालत जर्जर है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

---

जांच भी हुई, पर हुआ कुछ नहीं

दुकानों की मरम्मत के लिए एक जांच टीम भी बनाई गई। उस समय बोर्ड सदस्य के राजीव रंजन कुमार को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। इन्होंने न्यू मार्केट की दुकानों की जांच ही की। दुकानों की जर्जर हालत देख आगे जांच का काम बंद कर दिया।

--

दुकानें 749, आमदनी नौ लाख महीना

आरआरडीए के पास कुल 749 दुकानें हैं और उसे हर महीने 9,13,977 रुपये महीना भाड़ा आता है। दुकानों का किराया 15 रुपया वर्गफीट से वसूला जाता है। इसके बाद भी दुकानों की मरम्मत नहीं होती। न्यू मार्केट में ही 1983 में बनी दुकानों में ऊपर जाने के लिए चैनल की आज तक रंगाई नहीं हुई न दीवार पर सफेदी ही की गई है।

--

कहां कितनी दुकानें

न्यू मार्केट रातू रोड : 245

कांटा टोली : 115

कांके मार्केट :109

डेली मार्केट : 226

कचहरी चौक : 13

आरआइटी 41

----------

टेंडर हो गया है। दुकानों की मरम्मत का काम जल्द शुरू होगा। सात लाख रुपये में न्यू रातू रोड की जर्जर दुकानों का मरम्मत होना है।

अरविंद कुमार, उपाध्यक्ष, आरआरडीए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.