Jharkhand IAS Pooja Singhal: हेमंत सरकार को न दें हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज... ईडी ने हाई कोर्ट में कही ये बातें
Jharkhand IAS Pooja Singhal प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि उसके हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज किसी सूरत में हेमंत सोरेन सरकार या झारखंड पुलिस को न सौंपे जाएं। ये दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण हैं इसके सार्वजनिक होने से ईडी की जांच प्रभावित होगी।
रांची, [जागरण स्पेशल]। Jharkhand IAS Pooja Singhal केंद्रीय सतर्कता एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय, ईडी ने झारखंड हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि उसके हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज किसी सूरत में हेमंत सोरेन सरकार या झारखंड पुलिस को न सौंपे जाएं। ये दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसके सार्वजनिक होने से ईडी की जांच प्रभावित होगी। ईडी ने साथ ही हाई कोर्ट को यह भी बताया है कि भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में गिरफ्तार की गई आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की हेमंत सोरेन को रांची के अनगड़ा में खनन पट्टा आवंटित करने में खास भूमिका रही है। ईडी ने गुरुवार को हाई कोर्ट में दाखिल किए शपथ पत्र में कहा कि हेमंत सोरेन और उनके करीबियों से जुड़ी कई शेल कंपनियों के बार में भी पता चला है।
यह भी पढ़ें : Jharkhand News: हेमंत सोरेन की CBI जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में, हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज पर कानूनी जंग
हाई कोर्ट ने सीलबंद रिपोर्ट वापस लेने का आग्रह किया था खारिज
हेमंत सोरेन से जुड़ी शेल कंपनियों की सीबीआइ जांच कराने के मामले में हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को सीलबंद रिपोर्ट मंगाने का अधिकार नहीं है। इस तरह की रिपोर्ट केस से जुड़ सभी पक्षों को मिलनी चाहिए। तब हाई कोर्ट ने पी चिदंबरम मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हेमंत सोरेन सरकार की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया था।
हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज में अब आगे क्या हो सकता है, जानिए
- हेमंत सोरेन को पत्थर खनन लीज आवंटन मामले में खान सचिव पूजा सिंघल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसकी अलग से जांच हो सकती है।
- पूजा सिंघल के मनी लांड्रिंग में शामिल होने का साक्ष्य भी ईडी को मिला है। इस मामले की भी अलग से जांच हो सकती है।
- ईडी के आग्रह पर हाई कोर्ट प्रारंभिक जांच रिपोर्ट और हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज को तब तक सीलबंद रखेगा, जबतक की जांच पूरी न हो जाए।
- ईडी इस मामले में पूरक शपथ पत्र दाखिल कर सकता है।
- झारखंड पुलिस और झारखंड सरकार को हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज नहीं सौंपने का आग्रह उच्च न्यायालय द्वारा अबतक मान लिया गया है। जाए।
- ईडी खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले के कुछ मामलों की जांच कर रहा है। इस मामले में कुल 16 प्राथमिकी दर्ज की गई है।
- ईडी की जांच शेल कंपनियों के बारे में पता चला है। आगे की जांच में इसकी पूरी सच्चाई सामने आ सकती है।
- ईडी को सीलबंद रिपोर्ट देने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हेमंत सोरेन सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राज्य सरकार ने कहा है कि बिना हड़कंप मचाने वाले दस्तावेज देखे कोर्ट में सरकार अपना पक्ष कैसे रखेगी। जबकि ईडी ने कहा है कि जांच पूरी होने तक रिपोर्ट किसी दूसरे को नहीं दे सकते।
- हेमंत सोरेन को खदान लीज आवंटित करने, शेल कंपनियों में निवेश के मामले में झारखंड हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ हेमंत सोरेन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दाखिल की है।
- शुक्रवार को हेमंत सोरेन सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। झारखंड सरकार ने हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने ईडी से सीलबंद लिफाफे में अलार्मिंग रिपोर्ट मांगी थी।
- कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट को बताया कि उसके आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में झारखंड सरकार ने याचिका दाखिल की है। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने तक इस मामले की सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए।
- हाई कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज लेने और शेल कंपनियां चलाने का बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है। अदालत इस मामले की जल्द से जल्द सुनवाई चाहती है। सरकार के बार-बार आग्रह करने पर उच्च अदालत ने इस मामले में 24 मई को सुनवाई निर्धारित की है।
- इस मामले में सरकार का कहना है कि हाई कोर्ट के उस आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिसमें इस याचिका की फिर से सुनवाई की जा रही है।
- सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने कहा कि ईडी की हड़कंप मचाने वाली रिपोर्ट के देखने के बाद यह जनहित का मामला बन गया है। इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
- ईडी के वकील तुषार मेहता ने पी चिदंबरम मामले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट को बताया कि चार्जशीट दाखिल होने तक कोर्ट को छोड़कर दूसरे को दस्तावेज नहीं दिए जा सकते। अदालत परंपरा के तहत सीलबंद रिपोर्ट मंगाकर दस्तावेज की सत्यता परख सकती है। आगे की जांच का आदेश दे सकती है।