झारखंड के गोमो से गुजरेगी डेडिकेटेड ईस्ट फ्रेट कोरिडोर की रेल लाइन
मालगाड़ियों के दौड़ने के लिए अलग से तीसरी लाइन बन जाने के बाद झारखंड में 50 पैसेंजर ट्रेनों को राहत मिलेगी। मेन लाइन में ट्रैफिक कम होने से ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी।
रांची, शक्ति सिंह। माल ढुलाई के लिए रेलवे सेप्रेट लाइन बना रहा है। इस पर सिर्फ माल गाड़ियां दौड़ेंगी। ईस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) झारखंड के गोमो-सोननगर होकर 58 स्टेशन से गुजरेगी। ईस्टर्न कॉरिडोर लुधियाना से सोननगर, गोमो होते हुए दानकुनी (पं. बंगाल, हुगली जिला) तक बनेगी।
1856 किमी की लंबी लाइन हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से गुजरेगी। इसे मार्च 2020 तक बना लेने का लक्ष्य है। इस पर तकरीबन 81,459 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 1300 ट्रकों की क्षमता का बोझ लेकर अकेली मालगाड़ी दौड़ेगी। डबल डेकर होगी। स्पीड होगा 100 किलोमीटर प्रति घंटा। अभी मेन लाइन से मालगाड़ियां दौड़ती हैं। सेपरेट लाइन होने से झारखंड की पचास गाड़ियों को राहत मिल जाएगा।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के एमडी अनुराग सचान के मुताबिक मेन लाइन से मालगाड़ी के हटने से पैसेंजर गाड़ियों की गति बढ़ेगी और उनका परिचालन भी सही होगा। मेन लाइन से ट्रैफिक भी कम होगा। जहा भारतीय रेलवे 1100 बिलियन टन प्रत्येक साल लोडिंग करते है, वहा 2022 तक 1885 बिलियन लक्ष्य पहुंच जाएगा। इसी तरह पश्चिमी डीएफसी के तहत 48 स्टेशन आएंगे।
नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट से यूपी के दादरी के बीच 1504 किलोमीटर की लंबाई लाइन होगी। रास्ते में वड़ोदरा-अहमदाबाद-पालनपुर-फुलेरा-रेवाड़ी पड़ेंगे। वर्ष 2020 मार्च तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लाइन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सिर्फ 35 फीसद है भागीदारी एक ही ट्रैक पर पैसेंजर और मालवाहक दोनों ट्रेन चलती हैं। इससे गति धीमी होने के साथ, ट्रेन परिचालन में परेशानी होती है।
परिचालन में पैसेंजर को पहली प्राथमिकता दी जाती है। मालवाहक ट्रेनें लेट होती हैं। इन्हीं कारणों से देश के अंदर ट्रासपोर्टिंग में रेलवे की हिस्सेदारी 35 फीसदी रह गयी। सड़क परिवहन 57 फीसद है। सड़क परिवहन बढ़ने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। वेस्टर्न कॉरिडोर वहीं वेस्र्टन कॉरिडोर दादरी से जेएनपीटी 1500 किमी लाइन बनाने के लिए लोन जापान की जाइका कंपनी ने दी है।
फ्रेट कॉरिडोर लाइन से 42 हजार लोगों को रोजगार मिला है। फ्रेट कॉरिडोर का कंट्रोल रूम इलाहाबाद और अहमदाबाद में बनाया जा रहा है। जहा से मालगाड़ी के हर गतिविधि का का पता चल सकेगा। खड़गपुर-विजयनगर ईस्ट कॉस्ट कॉरिडोर बनाने की योजना एमडी अनुराग सचान ने कहा कि दो कॉरिडोर और बनाने की योजना है। ईस्ट कोस्ट कॉरिडोर और ईस्ट- वेस्ट कॉरिडोर है।
इसका प्रस्ताव रेलवे के पास भेजने की प्रक्रिया चल रही है। ईस्ट कोस्ट कॉरिडोर खड़गपुर से विजयनगरम तक 762 किमी की फ्रेट लाइन होगी है। वही ईस्ट- वेस्ट खड़गपुर से नागपुर तक 1142 किमी की लाइन बनेगी। 6 बिलियन डॉलर खर्च आएगा। पश्चिमी कॉरिडोर पर साल 2020-21 के बीच 152.24 मिलियन टन माल की ढुलाई होगी। वहीं इसी दौरान पूर्वी कॉरिडोर पर 153.23 मिलियन टन सामान की आवाजाही होगी।
अनेक योजनाएं : फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन आने वाले वक्त में देश में 100 रेलवे स्टेशन और टर्मिनल बनाएगा। ये सभी स्टेशन खास होंगे और 3360 किलोमीटर लंबे पूर्वी और पश्चिमी तटों को उत्तर भारत से जोड़ेगा। फ्रेट कॉरिडोर के अलावा-अलग से 12 निजी फ्रेट टर्मिनल भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा दस गुड्स शेड्स बनाए जाएंगे, जो 2020-21 तक 300 मिलियन टन सामान की आवाजाही के लायक होगा।
कई निजी कंपनियों ने कॉरिडोर के साथ मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक पार्क और टर्मिनल्स बनाने में रुचि दिखाई है। इसकी मदद से सामान की पैकैजिंग, लेबलिंग, रिटेलिंग और ट्रासपोर्टेशन के काम में आसानी होगी। 2020-21 में कॉरिडोर के शुरू होने से पहले नए डिजाइन स्टेशन और र्टिमनल्स तैयार हो जाएंगे। कॉरिडोर के बीच में स्टेशन और टर्मिनल बनाने पर इसलिए जोर दिया जा रहा है, क्योंकि इससे इलाके में आर्थिक गतिविधिया तेज होंगी।
पश्चिमी कॉरिडोर में हरियाणा के अटेली और राजस्थान के फुलेरा के बीच के एक हिस्से को 15 अगस्त को ट्रायल रन के लिए खोला गया। इस रूट पर बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम प्रोडक्ट, आयातित फर्टिलाइजर्स, कोयले के अलावा स्टील और लोहे की ढुलाई होगी। कॉरिडोर के पूर्वी हिस्से को बनाने के लिए जहा विश्व बैंक मदद देगा, वहीं पश्चिमी हिस्से के लिए जापान की इंटरनेशनल को आपरेशन एजेंसी जाइका फंड देगा।