धीरे-धीरे सुनने की ताकत छीन रहा इयरफोन, दिमाग की नसों को कमजोर कर रही तेज आवाज
युवाओं में हेडफोन का काफी ट्रेंड है। लेकिन इसका लगातार इस्तेमाल उन्हें बीमार बना रहा है| जाने-अनजाने युवा हेडफोन की लत लगा बैठते हैं...
रांची, जासं : युवाओं में कई प्रकार के हेडफोन का काफी ट्रेंड है। ब्लू टूथ, ईयर बड से लेकर वायर हेडफोन का काफी इस्तेमाल हो रहा है। लोग काम करते हुए, घर में काम करने के दौरान या ऑफिस में काम करते हुए कई लोग लगातार हेडफोन लगाकर गाना सुनना पसंद करते हैं। लेकिन ये लाइफस्टाइल आपको बीमार कर सकती है। यहीं नहीं ये कई गंभीर बीमारी जैसे कैंसर का कारण भी बन सकती है। वहीं इससे निकलने वाली तेज आवाज दिमाग की नसों को कमजोर कर देते हैं।
लोग महंगे इयरफोन और हेडफोन खरीद लेते हैं और इसे स्टेटस सिंबल के रुप में इस्तेमाल करते हैं। कान में लगने वाले हेडफोन के कारण आपके कान में संक्रमण हो सकता है। जो गंभीर बीमारी का रुप धारण कर सकता है। कान में संक्रमण के अलावा आपका हेडफोन आपको कान के कैंसर का भी शिकार बना सकता है। इसके साथ ही हमें ये भी ध्यान देना चाहिए हमारे पर्सनल आइटम की तरह हमारा इयर फोन भी अंजान लोग इस्तेमाल न करे। क्योकि हो सकता है कि किसी की कान में इंफेक्शन हो जो इयरफोन से हमारे कान तक पहुंच जाये। ये संक्रमण काफी गंभीर रूप धारण कर सकता है।
विभिन्न अध्ययन में ये पाया गया है कि यदि प्रतिदिन लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल किया जाये तो उससे सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। वहीं ईयर फोन के रेडिएशन और मेग्नेटिक इफेक्ट सिरदर्द की समस्या बढ़ी है। इसके साथ ही इससे मानसिक बीमारी होने का भी खतरा रहता है। ऐसे में यदि किसी का काम हेडफोन के इस्तेमाल का हो तो उसे बीच-बीच में ब्रेक ले लेना चाहिए। इसके साथ ही समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेते रहना चाहिए।
बताया जाता है कि एक सामान्य इंसान के सुनने की क्षमता 90 डेसिबल तक होती है। लेकिन ईयर फोन के इस्तेमाल से ये 40 से 50 डेसिबल होने लगती है। ज्यादातर लोगों को अपनी पसंदीदा गाना सुनते वक्त इसका पता नहीं चलता और वो वैल्यूम बढ़ाते चले जाते हैं। हालांकि इन समस्याओं का असर लोगों पर कुछ लंबे इस्तेमाल के बाद देखने के लिए मिलता है|
युवाओं को पता नहीं चलता कि उनकी ये आदत कब बीमारी का रुप लेकर उनके सामने खड़ा हो जाती है। हाल के दिनों में सुनने की ताकत कम होने की समस्या काफी बढ़ गयी है। इसमें इयरफोन भी एक कारण है। डॉ. प्रदीप सिंह, एचओडी