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Rashtriya Swayamsevak Sangh: कोरोना काल में संघ ने बदला तौर-तरीका

विश्व के सबसे बड़े सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने लॉकडाउन के दौैरान अपनी कार्यपद्धति बदल ली है। अधिकारी ऑनलाइन प्रवास कर रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 12 May 2020 01:57 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 04:00 PM (IST)
Rashtriya Swayamsevak Sangh: कोरोना काल में संघ ने बदला तौर-तरीका
Rashtriya Swayamsevak Sangh: कोरोना काल में संघ ने बदला तौर-तरीका

रांची, [संजय कुमार]।  विश्व के सबसे बड़े सामाजिक संगठन माने जा रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने लॉकडाउन के कारण अपनी कार्यपद्धति को बदल लिया है। स्वयंसेवकों की सक्रियता बनाए रखने के लिए कुटुंब शाखाएं शुरू की गई हैं और जिला से लेकर अखिल भारतीय स्तर के पदाधिकारी ऑनलाइन बैठकें कर रहे हैं। केंद्रीय पदाधिकारियों का सुबह से लेकर शाम तक बैठकों का दौर चलता रहता है। वहीं, पूरे देश में संघ के सभी विभाग घर बैठे स्वयंसेवकों के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिताएं कर रहे हैं।

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कोरोना संकट के दौर में संघ परिवार की तरफ से देशभर में जरूरतमंदों के लिए राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। इस कार्य में शामिल नहीं हो पाने वाले स्वयंसेवकों के लिए संघ के सभी विभाग ऑनलाइन प्रतियोगिताएं करा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व बौद्धिक विभाग की ओर से कई राज्यों में संघ को जानो प्रतियोगिता कराई गई। इसमें ऑनलाइन कुछ प्रश्न दिए गए।

उसी तरह स्वयंसेवकों के लिए सूर्य नमस्कार प्रतियोगिता व संघ की प्रार्थना प्रतियोगिता आयोजित की गई है। पिछले दिनों पर्यावरण विभाग की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। भारत को जानो प्रतियोगिता आरएसएस के आनुषांगिक संगठन भारत विकास परिषद ने भारत को जानो प्रतियोगिता आयोजित की है। इसमें देश-विदेश में रहने वाला कोई भी भारतीय व्यक्ति या अप्रवासी भारतीय जिसकी आयु 18 से 40 वर्ष के बीच हो भाग ले सकता है।

100 रुपये पंजीकरण शुल्क रखा गया है। 20 मई तक आवेदन किए जा सकेंगे। डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट बीकेजेभारत डॉट ओआरजी पर विस्तृत जानकारी डाली गई है। ऑनलाइन हो रही बैठकें संघ पदाधिकारियों का पूरे साल का प्रवास एक बार ही तय हो जाता है। विशेष परिस्थितियों में ही बदलाव होता है। लॉकडाउन के कारण जून तक के सभी कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं। इस दौरान भी प्रवास के तहत ली जाने वाली बैठकें ऑनलाइन हो रही हैं। इन बैठकों में ही राहत कार्यो की समीक्षा की जा रही है। जरूरत के अनुसार भोजन वितरण कार्यक्रम को बढ़ाया भी जा रहा है।


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