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शहर में दिखेंगे अद्भुत पंडाल, कहीं लुप्त हो रही संस्कृति दिखेगी तो कहीं फिल्मी सेट

शहर के सारे पंडाल श्रद्धालुओं के लिए खुल गए. एक से बढ़कर एक भव्य पंडाल और उनकी निर्माण सैली देखने के लिए लोग भरी संख्या में उमड़ रहे है। ऐसे में जानिए क्या है खास शहर के पंडालों में..

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 02:52 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 05:14 PM (IST)
शहर में दिखेंगे अद्भुत पंडाल, कहीं लुप्त हो रही संस्कृति दिखेगी तो कहीं फिल्मी सेट
शहर में दिखेंगे अद्भुत पंडाल, कहीं लुप्त हो रही संस्कृति दिखेगी तो कहीं फिल्मी सेट

जासं, राची: पूजा पंडालों के पट मा के नव पत्रिका प्रवेश के बाद श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। सोमवार को कई पंडलो के उद्घाटन किये गए। इस वर्ष शहर के पंडाल एक दूसरे को टक्कर देते नजर आ आ रहें हैं और इसी क्रम में उन्होंने एक से बढ़ कर एक थीम, नवीनतम कल्पना का उदहारण पेश किया है। कहीं किसी फिल्म के सेट को सजीव किया गया है, कहीं पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया गया है और कोई पंडाल शहर में सबसे ऊँचा है तो कोई पंडाल सबसे अधिक लगत वाला. इतने सरे भव्य पंडालों में सबसे उत्तम पंडाल तय करना काफी मुश्किल है।

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अल्बर्ट एक्का चौक स्थित दुर्गाबाड़ी में मा का सोने के गहनों से श्रृंगार किया गया। यहाँ के प्रतिमाओं की यह विशेषता है की सारे प्रतिमाओं एक माप के और एक ही फ्रेम में होते है जिसे बंगाली में एकचाला कहा जाता है और उनका निरमा वीरभूम के एक ही परिवार के पीढि़या करती है। यहाँ विद्यापीठ, हावड़ा, और मिदनापुर के पुरोहित पूजा करते हैं।

बकरी बाजार स्थित पंडाल का थीम बेंगलुरु के हुबली के इस्कॉन मंदिर पर आधारित है। पंडाल में मा दुर्गा और आसुरी शक्तियों के संघर्ष के साथ मीरा की भगवान कृष्णा के प्रति भक्ति देखने का मिलेगी। पंडाल के मुख्य द्वार पर भगवन कृष्णा के प्रेम में लीन मीरा की विशाल पेंटिंग लगाई गयी है। भगवान कृष्णा लीला से लेकर महाभारत युद्ध के विभिन दृश्यों का दर्शाया गया है और मा की 12 फ़ीट सुन्दर प्रतिमा स्थापित की गयी है। 120 फीट ऊँचे पंडाल के आयोजन में करीब 45 लाख रूपये खर्च हो रहें हैं।

राची रेलवे स्थित पंडाल श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय और चर्चा का विषय बना राहत है। इस वर्ष भी इसमें कोई संका नहीं है ये चर्चा का विषय बनेगा। पंडाल में झारखंडी आदिवासी संस्कृति को बहुत भव्यता से दिखाया गया है। पंडाल का थीम छऊ नृत्य शैली, सोहराई चित्रकारी, डोकरा शैली, और पट चित्रों पर आधारित है। पंडाल के अंदर प्रवेश करते ही वातावरण में बदलाव महसूस होता है और खुद को आदिवासी संस्कृति के करीब पाते है। पंडाल की लगत 35 लाख रूपये के करीब आयी है.

रातु स्थित आरआर स्पोर्टिंग क्लब के पंडाल को संथाल परगना की कला संस्कृति पर निर्माण किया गया है। पंडाल के बाहरी और भीतरी हिस्से पर लुप्त होतीं संथाल परगना की कला एवं संस्कृति को मनमोहक तरीके से दिखाया गया है पंडाल के आयोजन पर 54 लाख रूपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बाधगाड़ी स्थित पूजा पंडाल में श्रद्धालुओं को एक साथ 24 शक्तिपीठों के दर्शन होने वाले है। इस पंडाल की एक और विशेषता है की इसका उद्घाटन विभिन्न धर्मो के बुज़ुर्गो द्वारा सद्भवना के सन्देश देने के लिया किया गया। मंदिर का निर्माण बास और इकोफ्रैंडली सामग्री से हुआ है जिससे पर्यावरण को छति ना पहुंचे। पंडाल निर्माण में 25 लाख रुपये खर्च हुए हैं।

मारवाड़ी भवन स्थित सत्य अमर लोक के पूजा पंडाल को बौद्ध मंदिर के तर्ज पर तैयार किया गया है। पंडाल के बहार महात्मा गौतम बुद्ध की शाति मुद्रा में बैठे हुए शाति का सन्देश देते हुए स्थापित किये गए हैं जो देखने में भव्य है। पंडाल का उद्घाटन भारतीय हॉकी टीम की पूर्व कप्तान अंसुता लकड़ा और एशियाड में तीरंदाजी में रजक पदक विजेता मधुमिता कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। पंडाल निर्माण और साचला में 18 लाख रूपये खर्च होने की सम्भावना है।

लोअर चुटिया स्थित महादेव मंडा के पूजा पंडाल में कारीगरी का अद्भुत नमूना दिखाया गया है। पंडाल निर्माण और सजावट में चाट के पर, नारियल का छिलका, बेल का छिलका, राधा चूड़ा फूल, अकवंड़ फूल, कोइथ बीज, बुगला पत्ता, थर्माकोल और आइसक्रीम स्टिक से किया गया है।


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