डॉक्टरों की सुरक्षा करेंगे डीएसपी स्तर के पदाधिकारी, सभी जिलों में होंगे तैनात Ranchi News
Jharkhand. डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए सभी जिलों में डीएसपी स्तर के पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी के रूप में नियुक्त होंगे।
रांची, राज्य ब्यूरो। डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए सभी जिलों में डीएसपी स्तर के पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी के रूप में नियुक्त होंगे। सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में उनके मोबाइल नंबर लिखे जाएंगे ताकि सुरक्षा संबंधित किसी तरह की समस्या होने पर नोडल पदाधिकारी को अविलंब सूचना दी जा सके। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने सोमवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) तथा झासा के पदाधिकारियों के साथ बैठक में इस मांग पर अपनी सहमति प्रदान की।
इसके लिए उन्होंने आवश्यक कार्रवाई करने का भी निर्देश गृह विभाग को दिया। इस बैठक में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह व स्वास्थ्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी भी उपस्थित थे। जिलों में नियुक्त होनेवाले ये नोडल पदाधिकारी डॉक्टरों या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के विरुद्ध मारपीट जैसी घटना होने पर आवश्यक कार्रवाई भी करेंगे। इन नोडल पदाधिकारियों के मोबाइल नंबर आइएमए के पदाधिकारियों के पास भी उपलब्ध होंगे।
इससे पहले, आइएमए के पदाधिकारियों ने रिंची अस्पताल में डॉक्टरों के साथ मारपीट मामले में त्वरित कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव के प्रति आभार प्रकट किया। आइएमए के वीमेन डॉक्टर्स विंग की अध्यक्ष डॉ. भारती कश्यप ने कहा कि मुख्य सचिव ने 24 घंटे के भीतर आरोपी की गिरफ्तारी का आदेश देकर झारखंड में डॉक्टरों की मृतप्राय हो चुकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक संजीवनी का काम किया है। वहीं, आइएमए, झारखंड के सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि डीके तिवारी पहले मुख्य सचिव हैं जिन्होंने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाया है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव के समक्ष क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को जनोपयोगी व प्रासंगिक बनाने की भी मांग रखी जिसपर मुख्य सचिव ने आइएमए को प्रस्ताव देने को कहा। आइएमए के पदाधिकारियों ने ङ्क्षरची अस्पताल में हुई घटना में घायल डॉ. एके सिंह के इलाज तथा क्षतिपूर्ति की मांग रखी। इसपर मुख्य सचिव ने इसका प्रावधान नहीं होने की बात कहते हुए सरकार के समक्ष इस बात को रखने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. भारती कश्यप, डॉ. आरएस दास, डॉ. विमलेश सिंह, डॉ. जीडी बनर्जी आदि शामिल थे।
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का होगा प्रयास
मुख्य सचिव ने बैठक में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का प्रयास करने का भी आश्वासन दिया। बता दें कि संबंधित विधेयक विधानसभा सचिवालय के पास भेजे जाने के बावजूद अभी तक इसे विधानसभा से पारित नहीं कराया जा सका है।
डॉक्टरों को व्यवहार नियंत्रित करने की जरूरत
मुख्य सचिव ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि डॉक्टरों और क्लिनिक प्रबंधन को भी अपना व्यवहार नियंत्रित करने की जरूरत है। उन्होंने डॉक्टरों और मरीज के बीच सद्भावना और अपनेपन के रिश्ते पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा होने पर किसी तरह के तनाव या असुरक्षा की समस्या से बचा जा सका है।
बायो मेडिकल वेस्ट का शीघ्र लें लाइसेंस
मुख्य सचिव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के आलोक में सभी अस्पतालों द्वारा शीघ्र बायो मेडिकल वेस्ट का लाइसेंस लेने का भी निर्देश दिया। उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन तथा पारदर्शी है। यह भी बताया कि जो भी क्लिनिक संचालक लाइसेंस नहीं लेंगे वे कानूनी दायरे में आ जाएंगे और उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।
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