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इम्‍यूनिटी बढ़ाने में ड्राई फ्रूट बड़े कारगर, 6 माह में रांची में बिक गए 1200 करोड़ के काजू-किशमिश

रांची के बाजारों में काजू किशमिश अखरोट अंजीर जैसे ड्राई फ्रूट की खूब मांग रही है। रांची में औसतन वर्ष भर में 450 करोड़ के मेवे की खपत होती थी। 30 प्रतिशत मेवों की कीमतों में वृद्धि हुई है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 02:51 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 08:43 AM (IST)
इम्‍यूनिटी बढ़ाने में ड्राई फ्रूट बड़े कारगर, 6 माह में रांची में बिक गए 1200 करोड़ के काजू-किशमिश
त्योहारों के दौरान मेवों की बिक्री 50 प्रतिशत बढ़ सकती है।

रांची, जासं। कोरोना काल में सैनिटाइजर और मास्क के बाद अगर किसी चीज की बिक्री में सर्वाधिक इजाफा हुआ तो वो है सूखा मेवा। कोरोना काल में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने जमकर काजू, किशमिश, बादाम, पिस्ता और अखरोट खाए। ऐसे में व्यापारियों के अनुसार थोक मंडी में पिछले छह माह के दौरान 1200 करोड़ रुपये के ड्राई फ्रूट बिक गए। हालांकि रांची में औसतन वर्ष भर में 450 करोड़ के मेवे की खपत होती थी। रांची से मेवे रामगढ़, हजारीबाग, लोहरदगा, लातेहार, पलामू और कुछ अन्य बाजारों में भी सप्लाई की जाती है।

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निर्बाध रही है मेवों की सप्लाई

लॉकडाउन में भी बाजार में ड्राई फ्रूट की मांग के हिसाब से ही आपूर्ति हो रही है। इसके बाद भी मेवों की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। बताया जा रहा है कि आगे की बड़ी थोक मंडियों में दाम के उतार चढ़ाव और माल भाड़ा बढऩे से इसकी कीमतों में इजाफा हुआ। हालांकि मेवों की सप्लाई निर्बाध रही है।

रांची में इन मेवों की यहां से होती है सप्लाई

अंजीर और मुनक्का अफगानिस्तान से मंगाया जाता है।

देशी छुहाड़े के साथ पाकिस्तान का फाइन छुहाड़ा, विदेशी बादाम भी रांची के बाजार में है।

अखरोट कश्मीर, चिली, कैलिफोर्निया से आता है।

खजूर सऊदी अरब, ईरान, यूएई से मंगाया जाता है।

राज्य में मखाना की आपूर्ति बिहार के दरभंगा और पूर्णिया से होती है।

काजू की थोड़ी फसल अपने राज्य में भी होती है। इसके साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी माल आता है। मगर मुख्य रूप से काजू आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल से ही मंगाया जाता है।

त्योहारों में हर वर्ष बढ़ती है मांग

हमारे यहां त्योहारों में तोहफा देने का चलन है। हाल के दिनों में लोग तोहफे में मिठाई से ज्यादा मेवे का गिफ्ट पैक देना पसंद कर रहे हैं। खासकर के कॉर्पोरेट घरानों में मिठाई की जगह मेवों का ही इस्तेमाल होता है। ऐसे में बाजार में मांग और दाम दोनों में इजाफा होता है। कोरोना संक्रमण के बीच उम्मीद है कि त्योहारों में इसकी बिक्री 50 फीसद और बढ़ सकती है।

मसालों की भी बढ़ी है मांग

कोरोना काल में मसालों की भी मांग काफी ज्यादा बढ़ी है। इसमें सबसे ज्यादा अदरक, सोठ, दालचीनी और छोटी-बड़ी इलाइची की मांग बढ़ी है। व्यापारी बता रहे हैं कि मसालों की मांग में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लोग अदरक और सोठ के साथ अन्य मसालों का जमकर काढ़ा के लिए प्रयोग पर रहे हैं। मसाला की थोक उत्पादक मंडियों में दाम बढऩे के कारण राज्य में मसालों के दाम में तेजी आयी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर इनकी भी जमकर बिक्री हुई है। हालांकि राज्य में अब अदरक की नयी फसल आने से दामों में थोड़ी कमी आयी है।

मेवा    पहले की कीमत    वर्तमान कीमत (किलो/रुपये)(खुदरा भाव)

काजू     480-600         510-800

पिस्ता     1200-1300     1650-1800

बादाम     600-680         700-800

किशमिश     240-270        250-280

मेवों के गुण

काजू : काजू में प्रोटीन, खनिज लवण, लौह, फाइबर, फोलेट, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सेलेनियम और तांबा का अच्छा स्रोत है।

पिस्ता : पिस्ता कैलोरी-मुक्त होता है और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं। इसके अलावा अन्य कई सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं।

अखरोट : अखरोट में वसा, ओमैगा-3 फैटी एसिड, खनिज लवण और लौह पोषक तत्व होते हैं।

बादाम : बादाम में वसा का उच्च स्तर होता है जिसमें 65 प्रतिशत वसा मोनोअनसेचुरेटेड होते हैं जो कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में उपयोगी हैं।  

सूखी खुबानी : सूखी खुबानी का सेवन प्यास और कफ में फायदेमंद है। इसमें विटामिन ए, बी कांप्लेक्स और सी की प्रचुरता होती है।

अंजीर : सूखी अंजीर मोटे लोगों के लिए अच्छा अल्पाहार होता है। इनमें फाइबर और पोटेशियम प्रचुर मात्र में होता है, जो भूख नियंत्रित करता है।

किशमिश : किशमिश में एंथोयायनिन होता है, जो गैस संबंधित रोगों में फायदेमंद है। इसमें उपस्थित एंटीआक्सीडेंट अल्जाइमर में भी लाभदायक है। साथ ही कब्ज आदि में भी इससे लाभ मिलता है।

खजूर : फाइबर और एंटीआक्सीडेंट के अलावा खजूर में कई विटामिन और खनिज होते हैं। खजूर में फाइबर अधिक होता है, जो कब्ज को रोकने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए फायदेमंद होता है।

क्‍या कहते हैं चिकित्‍सक

सूखे मेवे सूक्ष्म पोषक तत्व और एंटी आक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं। ये आपको कई बीमारियों से लडऩे की प्राकृतिक शक्ति प्रदान करते हैं। इनमें मौजूद प्रोटीन, फाइबर, फालिक एसिड, विटामिन्स, मिनरल्स जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड और अनसैचुरेटेड फैट शरीर को तुरंत ऊर्जा और ताजगी प्रदान करते हैं। बादाम और किशमिश को छोड़कर दूसरे सूखे मेवे अधिक गर्म तासीर वाले होते हैं। सूखे मेवों का रोजाना एक निश्चित मात्रा में सेवन जहां हेल्दी और फिट रहने में मदद करता है। वहीं जरूरत से ज्यादा खाने से ये नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। वहीं अदरक में जिजरौल पाया जाता है जो एंटीवायरल और एंटीबैक्टेरियल गुणों से भरा हुआ है। मगर इसका भी सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए। -डा. ममता कुमारी, डायटिशियन, सदर अस्पताल।

'कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मेवों की मांग में निश्चित रूप में बढ़ोत्तरी हुई है। हर वर्ष दशहरा से दिवाली तक मेवों की मांग बढऩे का ट्रेंड रहा है। इस वर्ष भी अच्छी बिक्री की उम्मीद है। व्यापारियों ने मांग और बाजार की जरूरत को देखते हुए आगे की बड़ी मंडियों में अपना ऑर्डर दिया है।' -अभिषेक आंनद, सचिव, पंडरा बाजार समिति।

क्या कहते हैं व्यापारी

मेवों की मांग तो काफी बढ़ी है। मगर मध्य वर्ग पर महंगाई का असर भी दिख रहा है। जहां लोग किलो में मेवे ले रहे थे अब दाम बढऩे पर पाव में आ गए है। त्योहारों में मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। हालांकि इससे दाम पर अब ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। -अजीत प्रकाश, दुकानदार।

ग्राहक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिहाज से मेवे ले रहे हैं। ऐसे में हम उन्हें पैक और सैनिटाइज मेवे दे रहे हैं। मेवों की मांग पिछले छह महीने में चार गुना बढ़ी है। इसके साथ ही दाम में 30 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है। पूजा के लिए हमने अलग से स्टॉक भी मंगाया है। -देवेंद्र तिवारी, गीतांश्री ग्रोसरी।


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