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President Election: दिल को छू जाएगी द्रौपदी मुर्मू की कहानी... जानिए, कैसे आटो चालक की पत्नी का कराया सुरक्षित प्रसव

President Election 2022 प्रधान सचिव रहे आइएएस अधिकारी एसके शतपथी ने दैनिक जागरण संग साझा किए अपने अनुभव। बच्चे को देखकर काफी खुश हुई थीं तत्कालीन राज्यपाल नाम रखा था रुद्र। राजभवन में डीबीटी शुरू करनेवाली थीं पहली राज्यपाल। जरूरतमंदों की मदद के लिए रहती थीं तैयार।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Wed, 22 Jun 2022 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2022 08:02 PM (IST)
President Election: दिल को छू जाएगी द्रौपदी मुर्मू की कहानी... जानिए, कैसे आटो चालक की पत्नी का कराया सुरक्षित प्रसव
President Election 2022: झारखंड में राज्यपाल रहते द्रौपदी मुर्मू की एक शानदार कहानी।

नीरज अम्बष्ठ, रांची : Draupadi Murmu Story उस दिन झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्म काफी खुश थीं। उनसे मिलने आटाे ड्राइवर और उसकी पत्नी अपने एक साल के बच्चे के साथ राजभवन पहुंचे थे। द्रौपदी मुर्मू ने न केवल उस बच्चे को अपनी गोद में उठाया बल्कि उसका नाम भी रखा, रुद्र। उन्होंने लगभग एक घंटे उस बच्चे और उसके माता-पिता के साथ बिताया था। दरअसल, द्रौपदी मुर्मू काे पता चला था कि आटो ड्राइवर की पत्नी का कुछ शारीरिक गड़बड़ी की वजह से सुरक्षित प्रसव नहीं हो पा रहा है। आटाे ड्राइवर गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं करा पा रहा था तथा उसके दो संतान की मौत प्रसव से पहले या उसके दौरान हो गई थी।

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रांची रिम्स में कराया इलाज, नाम रखा रुद्र

गरीब मरीजों के इलाज के लिए तत्पर रहनेवाली द्रौपदी मुर्मू ने न केवल उसका इलाज रिम्स में कराया, बल्कि उन्होंने स्वयं रिम्स के चिकित्सकों एवं रांची की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. शोभा चक्रवर्ती से बात कर उनसे चिकित्सीय परामर्श दिलाया। उनके प्रयास से उसकी पत्नी का न केवल सही इलाज हुआ बल्कि सुरक्षित प्रसव भी। नन्हा रुद्र उनके सामने था।

राजभवन में पहली बार डीबीटी लागू किया

द्रौपदी मुर्मू की सादगी, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की उनकी ललक और अपने कर्त्तव्य को लेकर सजगता के अपने अनुभवों को दैनिक जागरण से साझा करते हुए उनके प्रधान सचिव के रूप में काम कर चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी एसके सतपथी कहते हैं, उन्होंने कई गरीब मरीजों को इलाज की राशि अपने विवेकानुदान की राशि से दी थी। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने ही राजभवन में पहली बार इसमें डीबीटी लागू किया। वे जरूरतमंद छात्र-छात्राओं की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहती थीं। मदद का परिणाम मिलता था तो वे उतनी ही अधिक खुश भी होती थीं। बकौल सतपथी, द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली राज्यपाल थीं, जिन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों सहित लगभग 200 स्कूलों का भ्रमण कर वहां की छात्राओं की समस्याओं को जाना। उनकी समस्याओं के निदान के लिए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश भी दिए।

मजबूत व्यक्तित्व की महिला हैं द्रौपदी मुर्मू

एसके सतपथी के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू एक मजबूत व्यक्तित्व की महिला हैं। राज्यपाल के रूप में वे वहीं काम करती थीं जो वे सही समझती थीं। उनके साथ काम करने में न केवल उन्हें बल्कि राजभवन के सभी पदाधिकारियों और कर्मियों को आनंद आता था। बिल्कुल समय की पाबंद, काम करने में कभी भी नहीं थकनेवाला उनका व्यक्तित्व भी उनकी पहचान थी।


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