Move to Jagran APP

सबसे लंबी अवधि तक राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मू, आदिवासियों-बालिकाओं के हितों को लेकर हमेशा दिखाई तत्परता

Jharkhand Governor Draupadi Murmu द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में सीएनटी-एसपीटी संशोधन सहित कई विधेयकों को लौटाया था। चांसलर पोर्टल पर सभी कॉलेजों के लिए एक साथ ऑनलाइन नामांकन शुरू कराया। खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान को लेकर भी रायशुमारी की।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 07:26 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 07:32 PM (IST)
सबसे लंबी अवधि तक राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मू, आदिवासियों-बालिकाओं के हितों को लेकर हमेशा दिखाई तत्परता
Jharkhand Governor, Draupadi Murmu द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में सीएनटी-एसपीटी संशोधन सहित कई विधेयकों को लौटाया था।

रांची, राज्य ब्यूरो। द्रौपदी मुर्मू झारखंड में सबसे लंबी अवधि तक राज्यपाल रही हैं। मुर्मू झारखंड की एकमात्र राज्यपाल भी रहीं, जिन्होंने न केवल पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया, बल्कि पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वे इस पद पर बनी रहीं। उनका कार्यकाल पिछले वर्ष 17 मई को ही समाप्त हो गया था।

loksabha election banner

विवादों से परे रहा द्रौपदी मुर्मू का छह साल से अधिक का कार्यकाल

द्रौपदी मुर्मू झारखंड के राज्यपाल के रूप में हमेशा आदिवासियों, बालिकाओं के हितों को लेकर सजग और तत्पर रहीं। आदिवासियों के हितों से जुड़े मुद्दों पर कई बार उन्होंने संज्ञान लेते हुए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिए। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बननेवाली द्रौपदी मुर्मू का छह साल एक माह अठारह दिनों का कार्यकाल विवादों से भी परे रहा। विश्वविद्यालयों की चांसलर के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल के दौरान चांसलर पोर्टल पर सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेजों के लिए एक साथ ऑनलाइन नामांकन शुरू कराया।

विश्वविद्यालयों में यह नया प्रयास था, जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिला। उन्होंने कई विधेयकों को लौटाने का निर्णय भी लिया। भाजपा की ही पिछली सरकार में सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक सहित कई विधेयकों को सरकार को वापस लौटाने का कड़ा कदम भी उठाया। वर्तमान सरकार में भी उन्होंने कई आपत्तियों के साथ जनजातीय परामर्शदातृ समिति के गठन से संबंधित फाइल लौटाई।

खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान को लेकर वहां के परंपरागत ग्राम सभाओं, मानकी, मुंडा व अन्य प्रतिनिधियों को बुलाकर उनके साथ रायशुमारी भी उनकी अच्छी पहल मानी जाती है। बालिकाओं की शिक्षा को लेकर चिंता दिखानेवाली द्रौपदी मुर्मू ने कई कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों का भी भ्रमण किया। इस दौरान छात्राओं से रूबरू होते हुए उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। बाद में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को आवश्यक निर्देश देते हुए उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया।

अपनी सादगी के लिए भी याद की जाएंगी

द्रौपदी मुर्मू अपनी सादगी के लिए भी याद की जाएंगी। राजभवन में रहते हुए भी उनकी सादगी की हमेशा चर्चा होती रही। वे खुद शाकाहारी हैं। उन्होंने पूरे राजभवन परिसर में मांसाहार पर रोक लगाई। राज्यपाल के रूप में मुर्मू प्रतिदिन विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा किसी समस्या लेकर आनेवाले लोगों से मुलाकात करती थीं।

झारखंड में कौन कबतक रहे राज्यपाल

-प्रभात कुमार : 15 नवंबर 2000 से तीन फरवरी 2002

-विनोद चंद्र पांडेय : चार फरवरी 2002 से 14 जुलाई 2002 (अतिरिक्त प्रभार)

-एम रामा जोयस : 15 जुलाई 2002 से 11 जून 2003

-वेद मारवाह : 12 जून 2003 से नौ दिसंबर 2004

-सैयद सिब्ते रजी : 10 दिसंबर 2004 से 23 जुलाई 2009

-के शंकरनारायणन : 26 जुलाई 2009 से 21 जनवरी 2010

-एमओएच फारुक : 22 जनवरी 2010 से तीन सितंबर 2011

-डाॅ. सैयद अहमद : चार सितंबर 2011 से 17 मई 2015

-द्रौपदी मुर्मू : 18 मई 2015 से अबतक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.