घने जंगल में अगल-बगल दफनाए गए दादा व पोता
संजय साहू, एटकेडीह (खूंटी) एटकेडीह गाव में मातम का महौल है। सैंकड़ों लोग बिरसा भगवान
संजय साहू, एटकेडीह (खूंटी) एटकेडीह गाव में मातम का महौल है। सैंकड़ों लोग बिरसा भगवान के सेनापति शहीद गया मुंडा के पुश्तैनी घर के सामने जमें हैं। लोग शहीद के पोते लाल मुंडा के शव के आने का इंतजार कर रहे हैं। बारह बजे सरकारी एंबुलेंस शव लेकर गांव पहुंचती है। वाहन के साथ कई सरकारी अधिकारी भी मौजूद हैं। शव पहुंचते ही कोहराम मच जाता है। कुछ देर में लोग थोड़ा शांत होते हैं सैकड़ों ग्रामीणों ढ़ोल नगाड़ो के साथ उन्हें अश्रपूर्ण अंतिम विदाई देते हैं। अंतिम विदाई समारोह में जिला प्रशासन की ओर से खूंटी जिला कल्याण पदाधिकारी सुषमा निलम सोरेंग, मुरहू कल्याण पदाधिकारी सुरेन्द्र प्रसाद कंठ, मुरहू विकास पदाधिकारी प्रदिप भगत आदि मौजूद रहे।
बाक्स : खुद के लगाए अरहर के खेत में चीर निंद्रा में सो गए लाल
लाल मुंडा को परिजनों ने बिरसाइत विधि-विधान से घने जंगलो के बीच उनके खुद के लगाए अरहर के खेत में पोता सोमा मुंडा के बगल में दफना दिया गया। बताते चलें कि मंगलवार को सोमा मुंडा की मौत के बाद उसे वहीं दफनाया गया था। मौके पर मौजूद सैकड़ों ग्रामीण अश्रुपूर्ण नेत्र से हाथो में मिट्टी डालकर उन्हें अंतिम विदाई दी। बाक्स : मंगलवार को बेटे तो बुधवार को पिता को दी मिट्टी
बिरसा भगवान के सेनापति शहीद गया मुंडा के परपोते रमई मुंडा का नसीब भी अजीब है। मंगलवार को उन्होंने अपने बेटे सोमा को मिट्टी दी तो बुधवार को अपने पिता लाल मुंडा को।
बाक्स : सुबह से डटे रहे प्रवीर नाथ झारखंड सेनानी कोष के सदस्य लाल प्रवीर नाथ शाहदेव सुबह से लेकर अंतिम संस्कार होने तक गांव में डटे रहे। उन्होंने बेहद रोष के साथ बताया कि झारखंड के शहीदों के वंशजों के संरक्षण के लिए सरकार ने 2003 में झारखंड सेनानी कोष बनाया लेकिन यह उचित ढंग से काम नहीं कर रही। 2014 के बाद तो कोष की बैठक ही नहीं हुई। जबकि समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री व सदस्य सचिव गृह सचिव हैं। कोष के सदस्य मुख्य सचिव, वित्त सचिव, कला संस्कृति के सचिव एवं विकास आयुक्त और शहीद ठाकुर साहदेव के परिवार की ओर से वह खुद हैं। बाक्स : राज्य में चिन्हित हैं स्वतंत्रता संघर्ष के 18 शहीद
1. भगवान बिरसा मुंडा, 2. अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, 3. सरदार गया मुंडा, 4. पांडेय गणपत राय 5. टिकैत उमरांव, 6. शेख भिखारी, 7. पितांबर 8. निलांबर, 9 बख्तर सोय, 10. जतरा टाना भगत, 11. मुंडल सिंह, 12 तेलंगा खड़िया, 13. जग्गू दिवान, 14 बुधु भगत, 15 सिद्दो, 16 कानू, 17 तिलका माझी। इन शहीद परिवारों को विषेष दर्जा एवं सुविधा देने के लिए स्वतंत्रता सेनानी कोष का गठन किया गया था।