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RIMS डा. विवेक कश्यप के कार्यमुक्त होने की इच्छा जताते ही कई वरीय चिकित्सक रिम्स अधीक्षक बनने के लिए कतार में हो गए खड़े

रिम्स वर्तमान अधीक्षक डा. विवेक कश्यप ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डा नितिन मदन कुलकर्णी को पत्र लिख कार्यमुक्त होने की इच्छा जताई है। इसकी जानकारी मिलते ही कई चिकित्सक इसके लिए स्वयं को दावेदार के रूप में प्रस्तुत करने लगे हैं।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 03:15 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 03:15 PM (IST)
RIMS डा. विवेक कश्यप के कार्यमुक्त होने की इच्छा जताते ही कई वरीय चिकित्सक रिम्स अधीक्षक बनने के लिए कतार में हो गए खड़े
राज्य का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान रिम्स की फाइल फोटो

रांची, जागरण संवाददाता । रिम्स को जल्द नया अधीक्षक मिलने वाला है। वर्तमान अधीक्षक डा. विवेक कश्यप ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डा नितिन मदन कुलकर्णी को पत्र लिख कार्यमुक्त होने की इच्छा जताई है। जैसे ही रिम्स के अन्य वरीय चिकित्सकों को इसकी जानकारी मिली, कई चिकित्सक इसके लिए स्वयं को दावेदार के रूप में प्रस्तुत करने लगे हैं। कई चिकित्सको ने रिम्स अधीक्षक बनने का सपना भी देख लिया है। हालांकि उनके कार्यमुक्त होने के पत्र के बाद सचिव के निर्देश पर निदेशक डा. कामेश्वर प्रसाद ने अधीक्षक पद के इच्छुक उम्मीदवारों के नाम भी मांगे थे, लेकिन एक भी नाम अब तक प्रबंधन के सामने नहीं आया। संभावना जताई जा रही है कि गुरुवार को कुछ नाम प्रबंधन के समक्ष आ सकता है। इसके पूर्व प्रभारी निदेशक रहे डा. डीके सिन्हा का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं मेडिसिन और नन क्लीनिकल विभाग के भी कई वरीय चिकित्सक का नाम सामने आ रहा है। अब देखना है कि किसे अधीक्षक का दायित्व दिया जाता है।

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बताते चलें कि राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डा. विवेक कश्यप अब अपने पद पर नही रहना चाहते है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से अपने पद से मुक्त करने का आग्रह किया है। डा. विवेक कश्यप ने कहा है स्वास्थ्य कारणों से वह अधीक्षक पद की जिम्मेवारी निभा पाने में असमर्थ हैं। जिस वजह से उन्हेंं अधीक्षक पद से मुक्त कर दिया जाए। एक सप्ताह पहले ही प्रधान सचिव को पत्र लिखकर उन्होंने यह अनुरोध किया है।

प्रभारी निदेशक के चयन में दूसरे नंबर पर थे डॉ कश्यप

रिम्स के वर्तमान चिकित्सा अधीक्षक प्रभारी निदेशक की दौड़ में भी दूसरे स्थान पर थे। डीन डा. मंजू गाड़ी ने इन्हें प्रभारी निदेशक का दायित्व दिलाने के लिए खुद को दरकिनार भी कर लिया था। लेकिन उस दरम्यान डेंटल कालेज घोटाला में महालेखाकार की रिपोर्ट सामने आई और वे प्रभारी निदेशक के पद में आते आते रह गए।


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