Move to Jagran APP

धर्मातरण के सख्त खिलाफ थे डा. कार्तिक उरांव

जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से मंगलवार को वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 12:00 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 12:02 AM (IST)
धर्मातरण के सख्त खिलाफ थे डा. कार्तिक उरांव
धर्मातरण के सख्त खिलाफ थे डा. कार्तिक उरांव

जागरण संवाददाता, रांची : जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से मंगलवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें धर्मातरण कर चुके जनजातियों को एसटी श्रेणी से हटाने पर चर्चा हुई। जनजातीय सुरक्षा मंच के संरक्षक सत्येंद्र सिंह ने कहा कि देश बाबा डा. कार्तिक उरांव की 96वीं जयंती मना रहा है। उनके विचार को जन-जन तक पहुंचाना काफी आवश्यक है। कहा कि बाबा कार्तिक उरांव शुरू से ही धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने संसद भवन में कहा था कि कोई भी जनजाति आदि मत व विश्वास को छोड़कर ईसाई या फिर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेता है तो वह जनजाति नहीं कहलाएगा। संयुक्त समिति ने इसे सर्व सम्मति से पास कर दिया। इसके बाद एक वर्ष तक इसपर कोई बहस नहीं हुई। इसे लेकर सांसदों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंप कर प्रस्ताव का समर्थन करने का आग्रह किया गया, लेकिन ईसाईयों के दबाव में सरकार झुक गई। सत्येंद्र सिंह ने कहा कि बीस वर्षो की काली रात नामक पुस्तक में डा. कार्तिक उरांव ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि अंग्रेजी राज में जितना धर्मातरण नहीं हुआ, आजादी के बाद उससे ज्यादा जनजाति धर्मातरित हुए। वेबिनार में छह वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इसमें दुमका से डा. राजकिशोर हांसदा, महाराष्ट्र से डा. विशाल वल्वी, छत्तीसगढ़ से दिलमन रति मिज, उदयपुर से डा. मन्नालाल रावत शामिल थे।

prime article banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.