Door To Door Garbage Collection : आरएफआइडी चिप से नहीं शुरू हो पाई डोर टू डोर कचरा उठाव की निगरानी
राजधानी में प्रतिदिन 700 टन कचरा निकलता है। इसमें से 500 टन कचरा शहर से ले जाकर झिरी के डंपिंग यार्ड में फेंका जाता है। बाकी 200 टन कचरा का उठाव नहीं हो पा रहा है। यही कचरा राजधानी की तस्वीर बदरंग कर रहा है।
रांची (मुजतबा हैदर रिजवी) जासं। कोकर के सुंदरविहार की रहने वाली रीमा झा सुबह जब घर से निकलीं तो राजधानी में गंदगी से उनका सामना पड़ा। छह महीने दिल्ली में गुजारने के बाद घर लौटीं रीमा को शहर की ये तस्वीर देख निराशा हुई। क्योंकि, उन्होंने सोचा था कि अब तक डोर टू डोर कचरा उठाव की वजह से शहर की रंगत बदल चुकी होगी। मगर, उन्हें पता चला कि ऐसा नहीं हुआ है। कचरा उठाव की आनलाइन निगरानी की बात अब तक हवा हवाई ही साबित हुई है।
स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद रांची नगर निगम के अधिकारी इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि आखिर कहां कमी रह गई है। मंथन में यह बात उभर कर सामने आ रही है की डोर टू डोर कचरा उठाव नियमानुसार नहीं हो पा रहा है। किसी मोहल्ले में कचरा उठाने वाली गाड़ी रोज जाती है, तो किसी मोहल्ले में हफ्ते में एक दिन जाती है। राजधानी के बहुत से इलाके ऐसे हैं जहां कचरा उठाने वाली गाड़ी कभी नहीं जाती। इससे राजधानी में कचरा बढ़ रहा है। डोर टू डोर कचरा उठाव नहीं होने की वजह से लोग कचरा बाहर फेंक देते हैं।
गौरतलब है कि राजधानी में प्रतिदिन 700 टन कचरा निकलता है। इसमें से 500 टन कचरा शहर से ले जाकर झिरी के डंपिंग यार्ड में फेंका जाता है। बाकी 200 टन कचरा का उठाव नहीं हो पा रहा है। यही कचरा राजधानी की तस्वीर बदरंग कर रहा है। रांची नगर निगम ने कचरा उठाव के लिए सीडीसी कंपनी को दिया था। तय हुआ था कि सीडीसी कंपनी सभी घरों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन चिप लगाएगी।
इंदौर में हर घर से उठता है कचरा:
इंदौर में हर घर से कचरा उठाव होता है। वहां नगर निगम इसकी पूरी तरह से निगरानी करता है। बताते हैं कि जब हर घर से कचरा उठाव होता है तो किसी घर में बाहर फेंकने के लिए कचरा रहता ही नहीं है। शहर में कहीं डस्टबिन नहीं रखी गई है। सभी लोग नगर निगम की आने वाली गाड़ी में ही कचरा डालते हैं। बताते हैं कि रांची जैसी स्थिति ही कभी इंदौर की भी थी। मगर, इंदौर नगर निगम ने डोर टु डोर कचरा उठाव को मजबूत बनाया। सड़क के किनारे से सभी डस्टबिन को हटा दिया गया। बाहर कचरा फेंकने वाले पर जुर्माना लगना शुरू हुआ। इससे लोग अनुशासित हुए। इंदौर नगर निगम ने एक साल में डेढ़ करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है। सख्ती के बाद अब इंदौर में हर दुकान में सूखे और गीले कचरे की अलग अलग डस्टबिन रखी जाती है।
सभी घरों में नहीं लग पाई आरएफआइडी चिप:
ससे डोर टु डोर कचरा उठाव की ऑनलाइन निगरानी होनी थी। लेकिन अभी तक राजधानी के सभी दो लाख 10 हजार घरों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन चिप नहीं लग पाई है। कंपनी का सर्वर भी स्थापित नहीं हो पाया है। डोर टू डोर कचरा उठाव की ऑनलाइन निगरानी नहीं हो पा रही है। लोगों का कहना है कि ऑनलाइन निगरानी नहीं होने की वजह से ही कंपनी के कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं और कचरा नहीं उठा रहे है। सीडीसी कंपनी को अपने संसाधन लगाकर राजधानी से कचरे का उठाव करना था।
कंपनी नहीं खरीद सकी गाड़ियां:
लेकिन सीडीसी कंपनी अभी तक नगर निगम के गाड़ियों के सहारे ही कचरा उठाव कर रही है। नगर निगम से उसे 204 छोटी गाड़ियां मिली हैं। कंपनी के अधिकारियों का कहना था कि 100 छोटी गाड़ियां खरीदी जाएंगी। ताकि, कचरा उठाव प्रतिदिन सभी मोहल्लों में किया जा सके। इस बात की योजना तैयार हुए 6 महीने बीत गए। अभी तक डोर टू डोर कचरा उठाव में गाड़ियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है।
मैं हूं स्वच्छता प्रहरी:
रातू रोड समाजसेवी उत्तम यादव ने कहा कि मैं समाजसेवी हूं। मैंने समाजसेवा पर काफी काम किया है। मैं शपथ लेता हूं कि राजधानी को साफ सुथरा रखूंगा और इसे साफ रखने में नगर निगम की मदद भी करूंगा। साथ ही राजधानी को साफ सुथरा रखने में लोगों के बीच में जागरूकता फैलाऊंगा।
वहीं, उपनगर आयुक्त रजनीश कुमार का कहना है कि डोर टु डोर कचरा उठाव को मजबूत बनाया जा रहा है। कंपनी के प्रतिनिधि के साथ बैठक की गई है। उसे कचरा उठाव के लिए और गाड़ियां खरीदने को कहा गया है।