Medical Strike: हेमंत सरकार को 15 दिनों की चेतावनी, झारखंड के डाक्टरों में जबरदस्त आक्रोश, आइएमए झुकने को तैयार नहीं
Jharkhand Doctors Strike Threat आइएमए ने झारखंड सरकार को चेतावनी दी है कि 15 दिनों के भीतर अपना आदेश वापस ले वरना राज्यभर के सरकारी डाक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। कहा है कि जब सरकार एनपीए नहीं देती है तो निजी प्रैक्टिस पर रोक क्यों लगा रही है।
रांची, जागरण संवाददाता। झारखंड के सरकारी डाक्टरों ने हेमंत सोरेन सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों के भीतर निजी प्रैक्टिस पर से रोक नहीं हटाई गई तो राज्य के 20178 सरकारी डाक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे। डाक्टरों का आरोप है कि सरकार निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाकर डाक्टरों को परेशान कर रही है। जब सरकार डाक्टरों को एनपीए नहीं देती है तो निजी प्रैक्टिस रोकने का आदेश क्यों दे रही है। रविवार को हुई बैठक में डाकटरों ने कहा कि हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहेंगी। सरकार को किसी भी सूरत में अपना आदेश वापस लेना ही होगा। झारखंड हेल्थ सर्विसेस के सचिव डा बिमलेश सिंह ने कहा, अगर हेमंत सोरने सरकार ने हड़ताल के बाद भी अपना आदेश वापस नहीं लिया तो सभी डाक्टर सामूहिक इस्तीफा देंगे। सभी जिलों में डाक्टरों की बैठक हुई है। सभी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा छोड़कर सभी कार्य ठप रखने का निर्णय लिया गया है।
सरकारी डाक्टरों को काम नहीं करने दिया जा रहा
उधर, आइएमए के सचिव डा प्रदीप सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा, राज्य सरकार का यह आदेश किसी भी तरह से सही नहीं है। डाक्टर यदि ड्यूटी के बाद किसी मरीज का इलाज करते हैं तो इसमें गलत क्या है। निजी प्रैक्टिस में सिर्फ ओपीडी ही कर सकेंगे, लेकिन इंडोर में इलाज नहीं कर सकेंगे। सरकार की यह तानाशाही नहीं चलेगी। जब डाक्टरों को सरकार एनपीए नहीं दे रही है तो उन्हें निजी प्रैक्टिस करने का पूरा हक है। 2016 में भी सरकार ने इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। डाक्टरों के विरोध के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा। अफसोस की बात है कि झारखंड में सरकार डाक्टरों को काम नहीं करने दे रही है। जिस राज्य में डाक्टरों की भारी कमी है, वहां इस तरह का आदेश निकाल कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है।
जानिए, अपने आदेश में सरकार ने क्या कहा
- झारखंड सरकार के स्वास्थ, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि गैर शैक्षणिक संवर्ग के चिकित्सक किसी भी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या जांच केंद्र में सेवा नहीं देंगे।
- सरकार ने कहा है कि सभी सरकारी डाक्टर शपथ पत्र भरकर अपने सिविल सर्जन को देंगे, जिसमें उन्हें निजी प्रैक्टिस करने वाले स्थान से लेकर अन्य जानकारी उपलब्ध करना होगा।
- सरकारी डाक्टर ड्यूटी के वक्त व ओपीडी के समय किसी तरह की निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे।
- सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी अपने निजी क्लिनिक में मरीजों को भर्ती कर इंडोर सेवा नहीं देंगे।
- डाक्टर निजी प्रैक्टिस ड्यूटी आवर के उपरांत ही सिर्फ ओपीडी में ही कर सकेंगे।
- सरकारी डाक्टर को पदस्थापन के जिले के बाहर निजी प्रैक्टिस पर रोक रहेगी।
- अस्पताल परिसर स्थित सरकारी आवास में निजी प्रैक्टिस अवैध माना जाएगा।
डाक्टरों का आंदोलन बिल्कुल जायज : सिविल सर्जन
बहरहाल, मालूम हो कि झारखंड सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए अभी तक किसी भी सरकारी डाक्टर ने शपथ पत्र जमा नहीं किया है। डाक्टरों का विरोध जारी है। उधर, रांची के सिविल सर्जन डा विनोद कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा, मैं डाक्टरों के फैसले के साथ हूं। इस तरह के आदेश से डाक्टरों का मनोबल गिरता है। वे अगर ड्यूटी आवर में निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं और बाद में करते हैं तो इसमें कोई गलती नहीं है। मरीजों की सेवा करना ही डाक्टर की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।