Coronavirus Update: डॉक्टरों का जुगाड़, यहां रेनकोट बना कोरोना से लड़ाई का हथियार
Coronavirus Update. हजारीबाग में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) की कमी के कारण जुगाड़ पर काम चला रहे डॉक्टर। दूसरे राज्यों से लौटे कामगारों से है सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा।
हजारीबाग, [विकास कुमार]। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े चिकित्सक और मेडिकल कर्मी संसाधनों के अभाव में भी मरीजों की सेवा में जी-जान से जुटे हैं। हर दिन जिले के अलग-अलग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे कोरोना के संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं, लेकिन चिकित्सकों की खुद की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट(पीपीई) की मौजूदा समय में अस्पतालों में भारी कमी है।
पीपीई (मास्क, जैकेट, सैनिटाइजर व अन्य जरूरी बचाव के इंतजाम) नहीं रहने पर भी चिकित्सक जुगाड़ के तहत रेन कोट का सहारा लेकर इलाज कर रहे हैं। बारिश से बचाने वाले रेन कोट को चिकित्सकों ने इन दिनों कोरोना वायरस से लडऩे का हथियार बना लिया है। एप्रॉन के साथ रेन कोट पहनकर वह किसी तरह इसके सहारे बचाव कर रहे हैं, ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण उनके कपड़ों से होकर उनतक नही पहुंचे। रेन कोट बतौर पीपीई उनका अभी सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है।
हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्र में चूरचू, आंगो, टाटीझरिया समेत अन्य स्थान पर तैनात चिकित्सक रेन कोट का सहारा ले रहे हैं, ताकि किसी भी परिस्थिति में यहां आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग नहीं रुके। इन प्रखंडों में दूसरे राज्यों में काम करने वाले कामगार बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर भारत के सर्वाधिक कोरोना संक्रमित राज्यों मसलन महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों से यहां पहुंचे हैं।
उपायुक्त खुद हैं चिकित्सक, लड़ाई में मिल रही है मदद
हजारीबाग के उपायुक्त डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने पीपीई की कमी को देखते हुए अस्थायी तौर पर चिकित्सकों को यह सुझाव दिया कि जब तक पीपीई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक वे इस तरह रेनकोट पहनें, ताकि बचाव हो सके। उपायुक्त खुद भी चिकित्सक हैं। ऐसे में कोरोना से लड़ाई में उन्हें इस वजह से काफी मदद मिल रही है। वैसे हजारीबाग मेडिकल अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में तैनात 11 चिकित्सकों और मेडिकल कर्मियों के लिए फिलहाल पीपीई की व्यवस्था की गई है। उपायुक्त 1000 से अधिक पीपीई जिले को उपलबध करवाने के इंतजाम में लगे हैं।