Happy Teachers Day 2019: हाथों में चप्पल पहनकर चलते हैं, दृष्टिहीन बच्चों को सिखा रहे कंप्यूटर
Teachers Day. पैरों से लाचार यह शिक्षक रांची में दृष्टिबाधित बच्चों को निश्शुल्क कंप्यूटर की शिक्षा दे रहे हैं। इन्होंने दिखाया कि दिव्यांग होना असक्षम होना नहीं है।
रांची, [विवेक आर्यन]। देख नहीं पाने के कारण जिन दिव्यांग बच्चों के करियर पर पूर्ण विराम लग जाता है, उन्हें कंप्यूटर सिखाना दूसरी जिंदगी देने के बराबर है। शिक्षा और शिक्षक की यह कहानी तब समाज के लिए प्रेरणा बन जाती है, जब वह शिक्षक स्वयं दिव्यांग हो, इसके बावजूद दूसरे के जीवन में शिक्षा की जोत जला रहा हो। सत्यजीत सिंह पिछले दो सालों से रांची के दृष्टिबाधित बच्चों को निश्शुल्क कंप्यूटर की शिक्षा दे रहे हैं। वे खुद पैरों से लाचार हैं, पैर में जूते और हाथ में चप्पल पहनकर चलते हैं।
लेकिन दिव्यांगता को कभी अक्षमता नहीं समझा। और आज 250 दृष्टिबाधित बच्चे उनकी वजह से वो सब कुछ कर पा रहे हैं, जिसके बारे में उन्होंने शायद कभी सोचा भी नहीं हो। डोरंडा के एक सरकारी स्कूल में साइट सेवर्स संस्था के तहत वे अपने मिशन को अंजाम दे रहे हैं। यहां बच्चे एमएस एक्सेल पर काम करना सीख रहे हैं। इस कोर्स को करने का फायदा बच्चों को करियर चुनने में होगा। बच्चे एमएस एक्सेल के अलावा बुक रीडिंग भी रहे हैं। उन्हें ऑनलाइन किताबें उपलब्ध कराई जा रही है।
दिलचस्प है कंप्यूटर सीखने का तरीका
दृष्टिबाधित बच्चों के लिए कंप्यूटर सिखाना असंभव था, लेकिन तकनीक के विकास के बाद यह संभव हो गया है। स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर के जरिए बिना आंखों के भी कंप्यूटर चलाया जा सकता है। सत्यजीत सिंह नॉन विजिबल डेस्कटॉप एक्सेस नामक सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं। इस सॉफ्टवेयर के द्वारा स्क्रीन के हर गतिविधियों को सुना जा सकता है।
कंप्यूटर चला रहे व्यक्ति के कान में हेडफोन लगा होता है। उसे पता होता है कौन सा फाइल खुल रहा है और इस वक्त उनके स्क्रीन पर क्या हो रहा है। यही काम वे फोन पर भी करते हैं। टॉक बैक एप के द्वारा वे फोन में हो रहे गतिविधि को सुन सकते हैं। एक बार टैप करने पर फोल्डर का नाम सुनाई देता है और दो बार टैप करने पर वह फोल्डर खुल जाता है।