'ढूलू' की फसल पर मौसमी प्रकोप... हर जगह जयपुर वाला किस्सा, चर्चा में है इनकी रंगीन मिजाजी
जब सत्ता का मौसम और मिजाज दोनों बदला है तो बदलाव टालने से भी नहीं टलने वाला और यह गांठ बांध लीजिए। पिछली सरकार में कई माननीय ऐसे ही चलता कर दिए गये थे सो अब हिसाब-किताब बराबर।
रांची, [जागरण स्पेशल]। सत्ता का गलियारा पूरी तरह गरम है। विपक्षी द्वेषपूर्ण और बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप हेमंत सोरेन सरकार पर मढ़ रहे हैं, तो सरकार चुप्पी साधे एक्शन मोड में है। एक-एक कर नेता से लेकर अफसर तक निपटाए जा रहे हैं। सलाखों के डर से जहां टाइगर तक मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ। वहीं कुछ हाकिमों की सांसें भी लगातार ऊपर नीचे हो रही है। इधर बाबूलाल की भाजपा में वापसी के बाद पलटवार की भी जबर्दस्त तैयारी है। बीजेपी ने झामुमो और कांग्रेस को घेरने की कवायद तेज कर दी है। आइए जानते हैं सत्ता के गलियारा का हाल राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह के साथ...
बिजली का झटका
बिजली का 'राहु' न जाने, कितने की जान लेगा। खुद ठहरे बड़े हाकिम। सरकार ने नोटिस थमाया है हुजूर को, लेकिन सांस अटकी है इनके तीन कारिंदों की। हर अच्छे-बुरे काम में तीनों का साथ था। अब यही इनका जवाब भी कर रहे तैयार। इसके अलावा चौथा तो सगा था हाकिम का। जाते-जाते मलाई खाने के चक्कर में अफवाह फैला गया कि भैया रहने वाले हैं मार्च तक। अब मार्च लूट पर किसकी लार नहीं टपकती। वो तो बुरा हो जलने वालों का, ऊपर पहुंचा दी बात तो बिजली का करंट ऐसा तेज लगा कि हाकिम को वहां से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा। देर-सवेर ये निपटने ही वाले हैं। इनके खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा भारी है। पेमेंट के फेर में इन्हें ढाई परसेंट कमीशन हर हाल में चाहिए। अब चार्जशीट में भी इनकी इतनी ही भागीदारी तय है। बस, इधर जवाब आया और इधर से पलटवार तैयार है।
राज की बात
बिजली की महिमा निराली है। जिसको सूट कर गया वह चकाचक कर रहा है। इतनी तेजी से चमक रहे थे कि बुझने को बरकरार हैं। बगलबच्चों को इनकी तेजी रास नहीं आ रही थी और अब एसीबी वाले भी फाइलें समेटकर ले जा रहे हैं तो सांस अटक रही है। एसीबी को सबूत के साथ-साथ शिकायतें भी थोक मिल रही है। एक जूनियर को चीफ इंजीनियर का पद मिला तो रांची से नोएडा तक फ्लैट के मालिक बन बैठे। बेचारे जरा रंगीन मिजाज भी हैं। इनका जयपुर का किस्सा भी मुख्यालय में खूब चर्चित हो रहा है। ऐसे ही इनकी शोहरत फैलती रही तो होटवार जेल की शोभा बढ़ाते नजर आएंगे। इसके बाद दूसरे की भी बारी आ ही जाएगी। ऐसे ही थोड़े कहते हैं कि बिजली महकमे की हर ईंट में भ्रष्टाचार है। सही कहा है किसी जानकार ने, नींव टेढी है तो इमारत भला सीधा कैसे खड़ा होगी।
दुमका का दांव
बाबूलाल मरांडी की अग्निपरीक्षा होने ही वाली है। हाई प्रोफाइल दुमका सीट पर होली के बाद रस्साकशी तेज होगी। भाजपा की कमान संभालने के बाद यह उनका पहला टेस्ट होगा। इस बात का उन्हें अंदाज है कि तीर-धनुष को दुमका सीट से पछाडऩा आसान नहीं है, सो उन्होंने दांव आजमाना शुरू कर दिया है। दुमका में दम दिखाएंगे तभी दिल्ली वालों के सामने रुतबा बढेगा। इसी समर में उन्हें अपने और पराये की पहचान भी हो जाएगी। दुमका से पांव उखड़े तो नई पार्टी में पांव जमने में वक्त लगेगा। वैसे पुराने घर में लौटकर सब कुछ नया-नया ही लग रहा है। नए लोगों ने हाथों-हाथ भी लिया है, लेकिन पांव खींचने वाले भी मौके पर नहीं चूकने वाले। ऐसे लोगों की पहचान करना भी बड़ी मुश्किल का काम है। फिलहाल चेहरे पर सदैव हल्की मुस्कान रखने वाले बाबूलाल सबको देख-परख रहे हैं।
जो बोएगा, वही पाएगा
वर्दी वालों से डरकर खिसकने वाले बाघमारा के तथाकथित टाइगर का मामला तो सिर्फ ट्रेलर है। शुरुआत इनसे हुई है और आगे ऐसी कार्रवाई की चपेट में कई 'माननीय' आएंगे। कुछ इसे पुराने कर्मों का फल बता रहे हैं तो कुछ मौसमी प्रकोप। जब सत्ता का मौसम और मिजाज दोनों बदला है तो बदलाव टालने से भी नहीं टलने वाला और यह गांठ बांध लीजिए। पिछली सरकार में कई 'माननीय' ऐसे ही चलता कर दिए गये थे, सो अब हिसाब-किताब हो रहा बराबर। अच्छा भी है, कर्ज सूद समेत वापस हो जाए तो बोझ थोड़ा कम होगा। ऐसे लोगों की सूची तैयार है। बारी-बारी सबकी बारी आएगी। कोई ऊपर वाले की नजर से बच नहीं पाएगा। वैसे इसकी शुरुआत करने वाले तो पहले ही चुनावी समर में वीरगति को प्राप्त हो चुके। कहां दावा था 65 प्लस का, अब कहना पड़ रहा है 'वी विल कम बैक सून'।